विनोद शंकर
उससे किसी लड़की ने प्यार नहीं किया
ये और बात है कि
उसने कई लड़कियों से प्यार किया
उन्हें प्रपोज किया
फिर भी अकेला ही रह गया
जबकि उसके दोस्त
प्रेम की दुनिया में व्यस्त रहे
कभी मैना तो कभी तोता के साथ
आकाश में उडते रहे
जब भी वो उन्हें देखता
तो अपनी किस्मत पर रोता
और इस भरी दुनिया में
अकेला ही सफ़र करता
सोचता वो कितने खुशनसीब है
जिन्हें किसी का प्यार मिला
और वो कितना बदनसीब है कि
उसे किसी का प्यार नहीं मिला
अब उसने इस हकीकत को स्वीकार कर लिया है
और जान गया है कि प्यार की चिड़ियां
उसी पेड़ पर फुदकती है
जिस पर फल लगता है
और वो तो एक सुखा हुआ पेड़ है
जिसे इस अंधेरे में जलना है
भला उसे कौन प्यार करेगा
जिसे कुछ ही दिनों में मिटना हैं
इसलिए वो अब अकेले ही खुस रहता हैं
और किसी से प्यार कि उम्मीद नहीं करता है !