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अधिक एनर्जी या उदासी : जानिए मैनिक सिंड्रोम के लक्षण और निदान के उपाय

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     ~सोनी तिवारी, मेडिकल स्कॉलर 

रोजमर्रा के जीवन में हम कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से सामना कर सकते हैं। इनमें से एक समस्या है मेनिया। इसके कारण व्यक्ति असमय बहुत अधिक खुश महसूस कर सकता है और कभी बहुत दुखी।

    कुलमिलाकर व्यक्ति का व्यवहार असामान्य हो सकता है। इसके लिए कई तरह के पोषक तत्वों की कमी या मेंटल हेल्थ में गड़बड़ी भी जिम्मेदार हो सकता है। अलग-अलग तरह की रेमेडी के अलावा, कुछ प्राकृतिक उपाय भी मेनिया को क्योर करने में मदद कर सकते हैं।

*क्या है मेनिया (उन्माद/मैनिक सिंड्रोम)?*

    यह एक मानसिक और व्यवहार संबंधी विकार है। यह बाइपोलर डिसऑर्डर के अंतर्गत आता है। इसके कारण व्यक्ति असामान्य रूप से मूड में बदलाव महसूस करता है।

    मेनिया के कारण व्यक्ति लगातार चिड़चिड़ा व्यवहार कर सकता है। वह असामान्य रूप से खुद को एनर्जेटिक महसूस कर सकता है। मेनिया के दौरान व्यक्ति का व्यवहार सामान्य व्यवहार से बहुत अलग होता है।

*लक्षण :*

•आत्म-सम्मान और सेल्फ इम्पोर्टैंस की भावना.

• ऐसा महसूस करना कि नींद की ज़रूरत नहीं है या बहुत कम नींद की ज़रूरत है.

• असामान्य रूप से बातूनी हो जाना.

• तेजी से बढ़ते विचारों का अनुभव करना.

• आसानी से विचलित हो जाना.

• खरीदारी अधिक करना, सेक्सुअली गलत बिहेव करना या उल्टा-पुल्टा व्यवहार करना.

*मूड स्टैबिलाइज़िंग दवाओं की ज़रूरत :*

  मेनिया या  बाईपोलर डिसऑर्डर के लक्षण सिर्फ़ प्राकृतिक उपचार से कंट्रोल नहीं किए जा सकते हैं।

   उन्माद या मेनिया की स्थिति में पहले मूड स्टैबिलाइज़िंग दवाओं की ज़रूरत पड़ती है। 

   मन स्थिर होने के बाद और साइकियाट्रिक दवाओं के साथ प्राकृतिक उपचार दिये जा सकते हैं।इससे प्रीवेंशन पर फोकस करना उद्देश्य होता है।

*दवा के साथ मददगार 4 प्राकृतिक  उपाय :*

  1. सप्लीमेंट

फिश आयल सप्लीमेंट मूड को स्थिर करने में मदद करते हैं। इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड खराब मूड के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।

    ओमेगा-3 का सेवन बढ़ाने से अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। लेकिन डॉक्टर से पूछकर ही यह सप्लीमेंट लें। यह उन्माद को ट्रिगर कर सकता है। प्राकृतिक रूप में इसका सेवन करना सबसे अच्छा है।

    मैगनीशियम सप्लीमेंट भी खराब मूड को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। विटामिन सी सप्लीमेंट अवसाद के लक्षणों को कम कर सकते हैं।

2. लाइफस्टाइल

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में लाइफस्टाइल चेंज भी मदद कर सकते हैं।

    साउंड स्लीप और क्वालिटी स्लीप से मूड मैनेजमेंट, भावनाओं को नियंत्रित करने और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार करने में मदद मिल सकती है। पर्याप्त नींद न लेने से अवसाद या मेनिया हो सकता है।

     इसके लिए समय पर बिस्तर पर जाना और नियमित समय पर जागना जरूरी है। सोने वाला आरामदायक और अंधेरा होन चाहिए। शराब के सेवन से बचना या इसे सीमित करना, सोने से पहले ज्यादा खाना नहीं खाना, स्क्रीन टाइम से बचना या कम करना भी लाइफस्टाइल चेंज के लिए जरूरी है। पौष्टिक और संतुलित आहार खाना अच्छी जीवनशैली के लिए आवश्यक है।

3. व्यायाम 

   रेगुलर एक्सरसाइज से इसके लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है। जब कोई व्यक्ति खराब मूड का अनुभव कर रहा हो, तो व्यायाम लक्षणों में प्रभावी ढंग से सुधार कर सकता है।

   इससे मेनिया से प्रभावित लोगों में मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होने का जोखिम कम हो जाता है। ध्यान दें कि एंटीडिप्रेसेंट्स, एंटीसाइकोटिक्स और मूड स्टेबलाइजर्स जैसी बाइपोलर डिसऑर्डर की दवाएं कुछ लोगों में वजन बढ़ाने का कारण बनती हैं।

    इसलिए व्यायाम स्वस्थ रहने और प्रभावों को संतुलित करने में मदद कर सकता है।

4. कूलिंग तकनीक 

  शरीर और मन को शांत करने वाली तकनीक, जैसे गहरी सांस लेना मेनिया के लक्षणों को कम करने में मदद  करती है।

   इसके लिए योग, मसाज थेरेपी, ध्यान, गहरी सांस लेना जैसी तकनीक तनाव को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। ये मेन्टल वेलनेस में सुधार कर सकते हैं।

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