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डिप्रेशन : मेडिसिन का जहर नहीं, मेडिटेशन का अमृत पीएं

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      डॉ. विकास मानव

हमारे मन का पार्ट Centerpoint (विचार निर्माणक स्थान) में फ़ास्ट स्पीड से नेगेटिव विचार बनने की प्रकिया को साधारण भाषा में “डिप्रेशन” कहते हैं। बाकी जैसा नाम है वैसा कुछ भी नहीं हैं, सिर्फ नेगेटिव विचारों का फ्लो हैं।

    अगर हम खुद के मन की पिक्चर ठीक से समझ ले, तो नेगेटिव विचार कैसे बनते है? यह हमें अनुभव हो जाता है। फिर नेगेटिव विचारों के फ्लो से जल्दी ही बाहर निकल जाते हैं और कुछ ही दिनों में नेगेटिव विचारों का फ्लो खत्म हो जाता है।

     हर साधारण इन्सान के जीवन में नेगेटिव विचारों का फ्लो बनता है. यह बहुत ही कॉमन बात है। छोटा इंसान हो या फिर बड़ा इंसान हो, रिजन हर किसी का अलग-अलग हो सकता है। नेगेटिव विचारों का फ्लो सभी का एक जैसा ही होता हैं।

 हमारे सामने महत्वपूर्ण प्रश्न यह हैं :

~साधारण इंसान के जीवन में क्यों नेगेटिव विचारों का फ्लो बनता है?

~नेगेटिव विचारों के फ्लो को कैसे दूर करें?

~ इस फ्लो के टाइम पीरियड में हमें क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए?

आप अगर नियमित 21 दिन भी प्राणायाम और मेडिटेशन कर लें तो  ऊपर के तीनों प्रश्नों का उत्तर क्लैरिटी से समझ जाएंगे। अगर परिवार का कोई सदस्य इस फ्लो से गुजर रहा है तो हमारी जिम्मेदारी क्या रहती है? कैसे विचारों के द्वारा उनकी केयर करनी है? यह भी आप समझ जायेंगे.

   इस फ्लो में centerpoint में विचार बनने की प्रक्रिया कई बार रिवर्स हो जाती हैं। फिर मेमोरी से शब्द भी नेगेटिव add हो जाते हैं। अगर इस टाइम पीरियड में उसको  मन की इन्फॉर्मेशन नहीं पहुँचाई है तो ऐसा इंसान नेगेटिव विचारों में हमेशा ट्रैप ही रहता है।

  यह खुद को भी हर्ट करता है और उसके सम्पर्क में आने वालों को भी हर्ट करता है। खुद के मन को ठीक से समझने पर हमारे centerpoint में हर्ट करने के विचार कैसे बनते है? यह हमें अनुभव हो जाता है।

   जिस दिन खुद के मन को और centerpoint से विचार बनने की प्रक्रिया को समझ लिया उस दिन डिप्रेशन शब्द पढ़कर या सुनकर आप को हंसी आएगी।

   साधारण इंसान के जीवन में नेगेटिव विचारों का फ्लो बनने की मुख्य तीन वजह ये हैं :

   1. खुद को दूसरों की नज़रों से ज्यादा फीडबैक देने की आदत।

2. खुद की नज़रों से खुद को ज्यादा नेगेटिव फीडबैक मिलना।

3. फ्री टाइम में दूसरों के ज्यादा नेगेटिव विचारों की कैलकुलेशन करना।

    जो इंसान नेगेटिव विचारों के फ्लो से गुजर रहा है, ध्यान क्रिया हेल्पर बन जाती हैं। ध्यान किसका करना है, कैसे करना है, यह समझाना यहाँ पॉसिबल नहीं है. आप व्हाट्सप्प 9997741245 पर अपना परिचयात्मक डिटेल लिखकर संबंधित लेख प्राप्त कर सकते हैं. चिंता नहीं करें, हम अपनी कोई भी सेवा देने के बदले कुछ मांगते नहीं हैं.

   खुद के मन को समझने के बाद हमारे सभी प्रश्नों का उत्तर हमारे पास ही होगा। डिप्रेशन की स्थिति में कोई इंसान किन्ही भी प्रश्नों का उत्तर ठीक से दे नहीं सकता. ऐसे लोग दूसरों से अपने प्रश्नों का उत्तर पाना चाहते हैं।

    अक्सर दूसरों के उत्तर से हम तनाव distress में आ जाते हैं। आप मेडिटेशन से खुद को जानेंगे, देखेंगे और तब खुद से प्यार करना और खुद को ढंग से जीना भी सीख लेंगे. आपके centerpoint से विचार बनने की स्पीड स्लो हो जाएगी और साथ में अवचेतन मन (subconscious mind) की रि-प्रोग्रामिंग होती जाएगी।

   फिर आप खुद की जिंदगी का पॉजिटिव निर्णय लेना शुरू कर देंगे। आपका मौलिक थॉट सिस्टम अपडेट हो जाएगा। नई पॉजिटिव मानसिकता की प्रोग्रामिंग हो जाएगी।

   हमारा अवचेतन मन ही ख़ुशियों का सबसे बड़ा “मार्कर” हैं। हमारे शरीर की उम्र के साथ-साथ अवचेतन मन डेवलप नहीं हो रहा है तो फिर हमारा centerpoint अस्वस्थ हो जाता है. तब कई मानसिक बीमारियाँ तैयार होती हैं। जैसे :

~ Overthinking जरूरत से ज्यादा।

~Anxiety चिंता और भय के विचारों में खोना।

~ डीप डिप्रेशन यानी नेगेटिव विचारों के ऑवरफ्लो में जाना।

~ अनियंत्रित जुनूनी विचारों की चपेट में आना। यानी खुद के नेगेटिव विचारों से गहरे अटैच होकर शारीरिक और मानसिक असंतुलन की स्थति मे पहुंचना।

~ आत्मघाती विचार, याददाश्त संबंधी समस्याएं, एकाग्रता की कमी और नेचुरल नींद नहीं आना.

 ~अकेलापन, माइग्रेन, अपच, कब्ज, अनिद्रा, सेक्सशून्यता आदि का जन्म.

      इन मानसिक बीमारियों की मुख्य वजह सिर्फ एक ही है कि इन्सान का अवचेतन मन उम्र के अनुसार डेवलप नहीं हुआ है।

  अगर आप ECT (electroconvulsive therapy) करवाते हुए थक गए है. कॉमन डिप्रेशन की मेडिसिन लेते-लेते थक गए है तो आपको जरूरत है खुद के मन को समझने के लिए मेडिटेशन की. नेचुरल नींद तभी आएगी. डिप्रेशन से मुक्ति के लिए इसकी ज्यादा जरूरत होती है।

    नेचुरल नींद में Centerpoint स्वस्थ होता है और दूसरे दिन मन के सभी पार्ट परफेक्ट वर्क करते हैं।

   खुद के मन को ठीक से समझ लेंगे तो जीवन से सभी प्रॉब्लम हमेशा दूर रहेगी। हर छोटी प्रॉब्लम और बड़ी प्रॉब्लम की नींव मन में बन रहे विचारों से ही तैयार होती है।

   प्रयोग से आपको जो मिलेगा वह आपका खुद का अनुभव होगा। फिर भविष्य में बनने वाली सभी प्रॉब्लम की जड़ ही roastage (जलकर) खत्म हो जाएगी।

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