तमाम धूर्त, झूठे, धोखेबाज, विश्वासघाती, वचन से फिरने वाले, और नीच कर्म करके धन, दौलत सत्ता हासिल करने वालों के बीच चाणक्य काफी लोकप्रिय है. उनका कहना है कि चाणक्य इसी तरह के व्यक्ति थे, और यह स्वभाव देशप्रेमियों का अनिवार्य गुण है.
मनीष सिंह
चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्यारोहण और उसके जीवनकाल का आंखों देखा विवरण, प्रसिद्ध नाटक मुद्राराक्षस से मिलता है. यहीं चाणक्य का प्रथम विवरण मिलता है, उसका लेजेंड खड़ा होता है. यह लेजेंड अगर उनका ट्विटर बायो होता, तो यह कहता – ‘एक ब्राह्मण, जिसने नंद वंश का नाश करने की कसम ली. और सड़क से उठाकर चन्द्रगुप्त को सम्राट बना दिया.’
चन्द्रगुप्त मौर्य के दौर का सबसे प्रामाणिक विवरण देने वाली किताब है- इंडिका, जो मेगस्थनीज की लिखी है. मगर इंडिका की मूल प्रति उपलब्ध नहीं. इसकी पैराफ़्रेजिंग जिन दूसरी किताबों में है, वहां से इसका कुछ टैक्स्ट मिलता है. मगर इंडिका से चाणक्य का पता नहीं मिलता. दूसरा स्रोत उस दौर का बौद्ध और जैन साहित्य हो सकता है, मगर वह भी चाणक्य के विषय में मौन है.
अशोक के 32 से ऊपर शिलालेख मिल चुके, 20 से ऊपर स्तम्भ लेख. ऐसे महान व्यक्तित्व का कहीं उल्लेख नही, जिसने उनके साम्राज्य को जन्म दिया. तो मौर्य लोग सम्भवतः निहायत अहसानफरामोश थे ! हालांकि यह भी सम्भव है कि वामपन्थी इतिहासकारों ने उनके नाम खुरचकर मिटा दिये हैं !
चाणक्य की किताब अर्थशास्त्र जो मशहूर है, वह अचानक 1900 के आसपास दिखी, और छपी. इसका मूल पाठ कहां से मिला, इस पर कोई विश्वसनीय ट्रेल नहीं है. कहा जाता है कि किसी ब्राह्मण कुल ने इसे सुरक्षित रखा था.
बहरहाल, विशाखदत्त ने तो किताब लिखी, और चाणक्य का वर्णन भी किया. जरूर वह चन्द्रगुप्त मौर्य के दौर में रहा होगा. उसका दरबारी होगा.. दोस्त या बायोग्राफर होगा ? नहीं, विशाखदत्त की दूसरी किताब है- देवीचन्द्रगुप्तम. इसका चन्द्रगुप्त, मौर्य नहीं है, गुप्त वंश वाला चन्द्रगुप्त है, जिसका विवाह लिच्छवियों की राजकुमारी कुमारदेवी से हुआ था.
यह वंश चन्द्रगुप्त मौर्य के कोई 500 साल बाद आया. अर्थात, मुद्राराक्षस नामक बेस्टसेलर, चन्द्रगुप्त मौर्य के 500-600 साल बाद लिखा गया. टाइम गैप इतना है, जैसे आप आज 2023 में अकबर बीरबल के किस्से लिखें. तो जाहिर है आप फिक्शन लिखेंगे. विशाखदत्त लिख भी तो नाटक ही रहे थे न..!
तो मुद्राराक्षस के इवेंट कल्पित हैं, और चाणक्य का कैरेक्टर भी पहली बार यहीं से अविष्कृत होता है. उसके बाद कुछ और नाटकों गीतों में उनका वर्णन आता है. यू ट्यूब पर भी काफी जानकारी रहती है, जिसमें कई बातें ऐसी है, जिसमें कई कोट बड़े ज्ञानवान है- ‘जहां का राजा व्यापारी होता है, वहां की प्रजा भिखारी होती है.’ उन्होंने अमात्य राक्षस के सम्बन्ध में कहा- ‘आई विल मेक हिम अन ऑफर ही कान्ट रिफ्यूज !!!’
इन वनलाइनर कोट्स की वजह से चाणक्य की काफी फॉलोइंग है. विशेषतर, तमाम धूर्त, झूठे, धोखेबाज, विश्वासघाती, वचन से फिरने वाले, और नीच कर्म करके धन, दौलत सत्ता हासिल करने वालों के बीच चाणक्य काफी लोकप्रिय है. उनका कहना है कि चाणक्य इसी तरह के व्यक्ति थे, और यह स्वभाव देशप्रेमियों का अनिवार्य गुण है.
हालांकि ऐसा विश्वास करना कठिन है. परन्तु कुछ और भी बातें है जो जरा अजीब हैं. उनके बारे में जानकर लगता है कि इसके बारे में किसी विशाल साम्राज्य का प्रधानमंत्री भला क्यों ही बोलेगा ?
जरा सोचिए कितना अजीब होगा, अगर आज से 100-50 साल बाद हमारे राष्ट्र प्रधानमंत्री के हवाले से कोई यू ट्यूब वीडियो कहे- गोभी जी ने कहा था- ‘जिस स्त्री के होंठ पर तिल होता है, वह रसिक मिजाज होती है.’
- मनीष सिंह