इस बार हिंदू तीर्थयात्री पाकिस्तान के 5,000 साल पुराने कटासराज मंदिर में महाशिवरात्रि मनाएंगे। मान्यता है कि भगवान शिव का यह मंदिर महाभारत काल का है। पाकिस्तान से वीजा मिलने के बाद 62 हिंदू श्रद्धालुओं का जत्था महाशिवरात्रि पर मंदिर में पूजा के लिए अटारी बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान पहुंचा है।विभाजन के बाद हिंदुओं की कई ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर पाकिस्तान के हिस्से में आई थीं। कटासराज धाम मंदिर पाकिस्तानी पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में है।
यह लाहोर से 300 किलोमीटर दूर है। मान्यता है कि जब सती की मौत हुई तो उनके विछोह में भगवान शिव इतना रोए कि उनके आंसुओं से दो कुंड भर गए। इनमें एक कुंड राजस्थान के पुष्कर में, जबकि दूसरा कटासराज में है। कटासराज परिसर में एक तालाब है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह भगवान शिव के आंसुओं से बना था। एक पाकिस्तानी अफसर के मुताबिक हिंदू तीर्थयात्री 11 मार्च को लाहोर में कृष्ण मंदिर के दर्शन के बाद 12 मार्च के स्वदेश लौटेंगे।
हिंदू धर्म स्थलों का सही रख-रखाव नहीं
हिंदू श्रद्धालुओं का मकसद कटासराज के पवित्र कुंड में डुबकी लगाना है, लेकिन इसके सूखने के कारण यह असंभव लग रहा है। केंद्रीय सनातन धर्म सभा के अध्यक्ष शिव प्रताप बजाज ने पाकिस्तान में हिंदू धार्मिक स्थलों का उचित रख-रखाव नहीं होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, कई बार हमारी मांग के बाद भी श्रद्धालुओं के लिए कटासराज मदिर में कमरे नहीं बने। मंदिर में स्थायी पुजारी की नियुक्ति भी नहीं की गई।
गुरुनानक ने किया था निवास
कटासराज में ज्यादातर मंदिर भगवान शिव के हैं। भगवान राम और हनुमान के भी कुछ मंदिर हैं। कटासराज मंदिर परिसर में एक गुरुद्वारे के अवशेष भी हैं, जहां गुरुनानक ने निवास किया था। केंद्रीय सनातन धर्म सभा का कहना है कि और भी श्रद्धालु महाशिलरात्रि पर कटासराज मंदिर जाना चाहते थे, लेकिन पाकिस्तान उच्चायोग ने उन्हें वीजा नहीं दिया।