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बिहार के लोग मुद्दे को पसंद करते हैं – राजद

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जनता दल सेक्युलर एचडी देवगौड़ा की पार्टी, जीतन राम मांझी की हम पार्टी, चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास, पशुपति कुमार पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा, अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल, आरएलडी जयंत चौधरी सहित दर्जनों पार्टियां है जो परिवारवाद को बढ़ावा दे रही है, अब परिवारवाद की पोषक है. उसके बाद भी प्रधानमंत्री जी को विपक्षी दलों में ही परिवारवाद का राग अलापते हैं.बिहार की जागरूक जनता अब मोदी की अवसरवादी साम्प्रदायिक राजनीति को समझ चुकी है, और आज जिस तरह से कुर्सियां खाली रही इस तरह से एनडीए सीटों के लिए भी तरस जायेगी

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जनविश्वास महारैली की जबरदस्त सफलता से राजद समेत इंडिया गठबंधन के तमाम संगठनों में जबदस्त उत्साह है. लालू प्रसाद यादव ने जिस तरह मोदी के ‘हिन्दू’ होने के दावे का बखिया उघेड़ा है, उससे तिलमिलाई भाजपा और उसके सरगना मोदी बिहार में लुभावने ढ़पोरशंखी दावों का मानो पिटारा ही खोल दिया है. राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने प्रधानमंत्री के बिहार दौरे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एक बार फिर सौगात के नाम पर बिहार को जुमले पर ही संतोष करना पड़ा.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक सप्ताह के अन्दर बिहार यह उनका दूसरा दौरा है. प्रचारित किया गया कि प्रधानमंत्री जी बिहार को बहुत बड़ी सौगात देने आ रहे हैं और 12,800 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे. पर सौगात तो नहीं, पिछले दौरों की तरह इस बार भी केवल जुमलों की बौछार कर चले गए.

मुजफ्फरपुर से मोतिहारी एलपीजी लाइन तो 2014 के पहले हीं हुए भारत-नेपाल करार के तहत बनाया गया है, जिसके तहत नेपाल को एलपीजी गैस की आपूर्ति करने के लिए पाइप लाइन बिछाया गया है. अब मोदी द्वारा जिस शिवहर-सीतामढी और पिपराकोठी-मोतिहारी-रक्सौल सड़क का लोकार्पण किया गया है, वह तो अभी पुरे तौर पर बना हीं नहीं है और अभी निर्माण कार्य चल ही रहा है.

मोदी ने रेलवे के कई वैसी योजनाओं का भी लोकार्पण किया गया है, जिसका उदघाटन पहले मंडल रेल प्रबंधक स्तर के पदाधिकारी किया करते थे. मोदी ने कई योजनाओं का शिलान्यास भी किया है. इसके पहले भी चुनाव के समय अनेकों योजनाओं का शिलान्यास और घोषणाएं होती रही है जिसका हश्र लोग देख चुके हैं. पिछले लोकसभा चुनाव के समय उसी चम्पारण की धरती पर उन्होंने बेतिया चीनी मिल को चालू करने की घोषणा की थी, जो आज तक चालू नहीं हुआ.

राजद प्रवक्ता ने कहा कि मोदी के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी अपने सम्बोधन में एक बार भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और पटना विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाने का जिक्र तक नहीं किया.

राजद प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का सरकारी कार्यक्रम आज पूर्णतया चुनावी कार्यक्रम बन कर रह गया और भाषण का अधिकांश हिस्सा लालू प्रसाद यादवौर तेजस्वी यादव के हीं इर्द-गिर्द हीं सिमटा रहा, जिसमें बिहार में एनडीए की शर्मनाक हार का भय दिखाई पड़ रहा था.

वहीं, बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव एवं प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने अपने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि अब मोदी को नहीं बिहार के लोग मुद्दे को पसंद करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बेतिया की जनता ने पूरी तरह से नकार दिया और सभा पूरी तरह से फ्लॉप रही. बिहार की जनता ने स्पष्ट संदेश दे दिया कि बिहार में अब लोग मोदी को नहीं बल्कि मुद्दों की बात सुनना चाहते हैं.

मोदी की सभा में 60% से अधिक कुर्सियां खाली रह गई और यह उन लोगों के लिए सबक है जो सत्ता और स्वार्थ के लिए गठबंधन बनाते रहे हैं, उन्हें जनता ने करारा जवाब दिया है. साथ ही साथ लोगों ने डबल इंजन सरकार को पूरी तरह से नकार कर स्पष्ट संदेश दे दिया कि बिहार में जुमलाबाजी या भ्रम के राजनीति नहीं चलेगी.

नेताओं ने कहा कि जिस तरह से देश और बिहार के नौजवानों को नरेंद्र मोदी सरकार ने ठगने का काम किया है, लोगों ने अपने गुस्से का इजहार कर बता दिया कि ऐसी राजनीति को अब लोग नहीं पसंद करते हैं. जहां हर साल 2 करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का केंद्र सरकार ने वादा किया था वहां 10 सालों में सिर्फ 7 लाख 22 हजार 311 लोगों को ही नौकरियां या रोजगार दी गई, जबकि 20 करोड लोगों को रोजगार या नौकरी देने का नरेंद्र मोदी सरकार ने वादा किया था .

इन नेताओं ने कहा कि बिहार की राजनीति में अब नौकरी और रोजगार के प्रति जो ललक और चाहत है नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने 17 महीना में 5 लाख से ऊपर नौकरियां देकर की है. उससे यह स्पष्ट संदेश गया कि हर घरों में खुशियां और चेहरे पर मुस्कुराहट तभी आ सकती है जब हर परिवार में नौकरी या रोजगार होगा. भाजपा ने रोजगार की जगह नफरत की राजनीति को बढ़ावा दिया और नौजवानों को नफरत की राजनीति की ओर ले जाने का काम किया.

लेकिन बिहार से तेजस्वी प्रसाद यादव ने जो संदेश दिया, नौकरी और रोजगार को बढ़ावा देकर देश और बिहार में खुशहाली लायी जा सकती है, उसके प्रति जनता का विश्वास स्पष्ट रूप से दिख रहा है, और उसका प्रकटीकरण 3 मार्च 2024 को गांधी मैदान में जन विश्वास महारैली में पटना में देखने को मिला. बिहार से लोगों ने संदेश दिया कि परिवर्तन की राजनीति का आगाज हो चुका है ,और इसकी बयार पूरे देश में है. नेताओं ने कहा कि अब मोदी चाहकर भी वैसी राजनीति नहीं कर सकते हैं, जैसी राजनीति करके वह लोगों को भ्रम और जुमलाबाजी के जाल में फंसाते रहे हैं.

नेताओं ने कहा कि परिवारवाद की बात करने वाले अपने गिरेबान में झांक ले तो बेहतर रहेगा क्योंकि जिनके घर शीशे के होते हैं, वह दूसरे के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते. भाजपा में परिवारवाद की श्रृंखला है और एनडीए में जितने भी घटक दल हैं, सभी के सभी परिवारवाद के पोषक हैं. आइये, मोदी जी परिवारवाद पर राग अलापने से पहले भाजपा और एनडीए के परिवारवाद को देख लें.

बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने आगे कहा कि परिवारवाद की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पार्टी और गठबंधन के अंदर पनप रहे परिवारवाद को देख लिए होते तो शायद परिवारवाद पर बोलने से पहले सौ बार सोच लिए होते क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र जय शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह, सिंधिया परिवार, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, किरण रिजिजू,बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का परिवार.

नारायण राणे परिवार, सीपी ठाकुर परिवार, नितिन नवीन परिवार सहित बिहार का आधा मंत्रिमंडल परिवार की राजनीति का पोषक हैं, जिसमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, बिहार के शिक्षा मंत्री श्री विजय चौधरी, कैबिनेट मंत्री संतोष कुमार मांझी, और सुमित सिंह जैसे लोग मंत्रिमंडल में पारिवारिक शोभा बढ़ा रहे हैं.

एजाज ने आगे कहा कि भाजपा के नेता अपने गिरेबान में झांक लें तो बेहतर रहेगा क्योंकि जिनके घर शीशे के होते हैं वह दूसरे के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते. भाजपा में परिवारवाद की श्रृंखला है और एनडीए में जितने भी घटक दल हैं सभी के सभी परिवारवाद के पोषक हैं.

जनता दल सेक्युलर एचडी देवगौड़ा की पार्टी, जीतन राम मांझी की हम पार्टी, चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास, पशुपति कुमार पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा, अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल, आरएलडी जयंत चौधरी सहित दर्जनों पार्टियां है जो परिवारवाद को बढ़ावा दे रही है, अब परिवारवाद की पोषक है. उसके बाद भी प्रधानमंत्री जी को विपक्षी दलों में ही परिवारवाद का राग अलापते हैं.बिहार की जागरूक जनता अब मोदी की अवसरवादी साम्प्रदायिक राजनीति को समझ चुकी है, और आज जिस तरह से कुर्सियां खाली रही इस तरह से एनडीए सीटों के लिए भी तरस जायेगी.

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