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सट्टेबाजी की कमाई से आईपीएल का गहरा नाता

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क्रिकेट खेल की शुरुआत जेंटल मैन गेम से हुयी थी| इसे बहुत ही सलीके से मित्रता के भाव के साथ खेला जाता था| यह खेल खिलाड़ियों के कौशल और शौक पर आधारित था गेंद और बल्ले से खेले जाने वाले इस गेम में जातिगत टिप्पणियाँ और भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं थी| सभी खेल भावना के साथ खेलते थे| पर जैसे जैसे समय बीता खेल के स्तर, तरीके और तकनीक में बदलाव तो हुआ ही साथ ही में खेल भावना में बदलाव हो गया| जीत-हार का प्रश्न बन गया, देशों के मान सम्मान का मामला बन गया, मैदान से ज्यादा यह मैदान के बाहर राजनीति का खेल बन गया है| और धीरे धीरे इसने एक अंतराष्ट्रीय व्यापार का रूप ले लिया| जहाँ खेल को निवेश के तौर पर खरीदा जाता है और एक अच्छे मुनाफे में बेचा जाता है और इस खरीद फरोख्त के खेल सब कुछ जायज है यहाँ बड़े-बड़े उद्योगपति अपने काले धन के निवेश के लिए खिलाडियों को ऊँचे ऊँचे दामों पर खरीदते हैं और फिर उनके बच्चे,खिलाडियों के साथ अय्यासी का खेल खेलते हैं यहाँ मुजरा घर की तरह देर शाम को महफ़िल जमती है चीयर लीडर्स के नाम पर मासूम लड़कियों को लाखों की भीड़ के मनोरंजन के लिए नचाया जाता है, चकाचौंध से सरोबोर मैदान में अय्यासी का खेल शुरू हो जाता है हर मैच को जानबूझ कर इतना रोमंचाकरी बनाया जाता है कि सट्टा बाजार में अधिक से अधिक पैसा लगाया जा सके और जनता के पैसे को लूटा जा सके|

दरअसल सट्टेबाजी की कमाई से आईपीएल का एक गहरा नाता है, जाने-अनजाने तौर पर हम इस तमाशे को लगातार देख भी रहे हैं कि लोग आईपीएल में गली-मोहल्ले में दांव खेलते रहे. लेकिन हम इसे लगातार अनदेखा कर रहे हैं. हम इस बात की परवाह भी नहीं कर रहे हैं कि लोग सट्टेबाजों के जाल में उलझ कर पैसे तो गंवा ही रहे हैं, कईयों ने तो खुदकुशी तक कर ली है| आईपीएल में क्रिकेट का रोमांच कम, पैसे का खेल ज्यादा होता है| आईपीएल में पैसा बोलता भी है और पैसा खेलता भी है| इसी पैसे की बदौलत मैचो को रोमांचक भी बनाया जाता है और नतीजों को भी प्रभावित किया जाता है|

सच तो यह है कि आईपीएल में खिलाड़ी भी खेलते हैं और मालिकान भी| सट्टेबाजी का दाग कुछ साल पहले लगा था तो खिलाड़ियों के साथ-साथ मालिकों का कलंक भी सामने आया था| अदालती कार्रवाई के बावजूद आईपीएल में जो खेल मैदान के बाहर हो रहा है वह बदस्तूर जारी है| सट्टेबाजी का खेल उजागर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोढा सिमति का गठन किया था| लोढा समिति ने अपनी सिफारिशों में भारत में सट्टेबाजी को वैध करने की बात कही थी| लोढा समिति ने अपनी इस सिफारिश को सार्वजनिक भी कर दिया| लेकिन सरकार ने ऐसा करने की इजाजत नहीं दी| सट्टेबाजी को सरकारों ने अनदेखा किया है हालांकि इसे बहुत सलीके और सुनियोजित तरीके से माफिया चला रहे हैं और पैसा बना रहे हैं|

इसी सट्टेबाजी के लिए इसमें आलग अलग तरीके से रोमांच पैदा करने का प्रयास भी होता रहता है जिसमें भद्दे किस्म के विज्ञापन, मीडिया एड और हिंदी भाषा में देसी कमेंट्री भी शामिल है जहाँ खेल कमेंट्री के नाम पर नश्ल्भेदी टिप्प्णी की जाती हैखिलाड़ियों के रंग और धर्म पर तंज कसा जाता है| अभी हाल ही में एक मैच के दौरान भारतीय टीम के भूतपूर्व खिलाड़ी वर्तमान में आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद हरभजन सिंह ने इंग्लैण्ड टीम के एक खिलाड़ी के रंग पर टिप्पड़ी करते है हुए उसे काली टैक्सी कहकर संबोधित किया, पिछड़े क्षेत्रों से आने वाले खिलाड़ियों पर गरीबी में आटा गीला वाला मुहावरा दिया जाता है| जीत हार के नाम पर खिलाड़ियों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया जाता है  उनके परिवार और समाज पर तंज कसा जाता है| तो कैसे आप इसे भद्रजनों का खेल कहेंगे, यह तो एकदम अभद्रता पूर्ण खेल बन चुका है खेल की आड़ में नशे और जुए का कारोबार चल रहा है लाखों युवाओं को जीवन चौपट किया जा रहा है उन्हें जुए और नशे का आदी बनाया जा रहा है जिसकी वजह से कई परिवार कर्ज में डूबकर आत्महत्या को मजबूर हैं| और देश की सरकारें शांत हैं|  

इसलिए हम देश के सर्वोच्च न्यायालय से इंडियन प्रीमियर लीग  (आईपीएल) के आयोजन पर तुरंत रोक लगाने की मांग करते हैं इसके साथ ही ऑनलाइन सट्टेबाजी एप पर प्रतिबंध एवं इनके आयोजकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश करते हैं|

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