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अयोध्या में जमीनों की खुल्लमखुल्ला लूट….. सेना की 13000 एकड़ ज़मीन पर अडानी और रामदेव और रविशंकर का कब्ज़ा…

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अडानी समूह की सहायक कंपनी होमक्वेस्ट इंफ्रास्पेस ने सरयू नदी के तट पर स्थित एक निर्जन क्षेत्र माझा जमथरा में 1.4 हेक्टेयर से अधिक जमीन खरीदी. यह जगह मंदिर परिसर से मात्र 6 किमी. पर है. अडानी समूह की सहायक कंपनी ने यह जमीन पूर्व भाजपा विधायक सी.पी. शुक्ला द्वारा स्थापित फर्म से खरीदी थी. शुक्ला ने इसे पिछले साल अयोध्या के एक निवासी से खरीदा था. फरवरी 2022 में श्री श्री रविशंकर द्वारा स्थापित फाउंडेशन, “आर्ट ऑफ लिविंग” ने माझा जमथरा के उसी क्षेत्र में 5.31 हेक्टेयर से अधिक जमीन खरीदी. श्री श्री की संस्था खुद को धर्मार्थ ट्रस्ट बताती है.

जुलाई 2023 में हरियाणा योग आयोग के अध्यक्ष जयदीप आर्य, जो योग गुरु और उद्यमी रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से भी जुड़े हैं और राकेश मित्तल सहित चार अन्य, जो उसी ट्रस्ट से जुड़े हैं, ने उसी क्षेत्र में 3.035 हेक्टेयर जमीन खरीदी. ये सारे तथ्य इंडियन एक्सप्रेस ने आरटीआई से प्राप्त जानकारी में सार्वजनिक किए थे, लेकिन अब द प्रिंट की रिपोर्ट उससे आगे का कहानी बता रही है. द प्रिंट के मुताबिक जमीन के ये सभी टुकड़े, जिनकी रजिस्ट्रियां द प्रिंट ने देखी हैं, उन्हें राज्य सरकार ने सेना बफर जोन के रूप में अधिसूचित किया था. क्योंकि यह जमीन सेना की फील्ड फायरिंग और तोपखाना अभ्यास के लिए आरक्षित सेना की जमीन के ठीक बगल में है. फैजाबाद में एक छावनी और डोगरा रेजिमेंटल सेंटर के साथ-साथ एक आवास और पैदल सेना ब्रिगेड भी है.

30 मई 2024 को इन जमीन सौदों के होने के महीनों बाद राज्यपाल का कार्यालय, जो युद्धाभ्यास, फील्ड फायरिंग और आर्टिलरी प्रैक्टिस अधिनियम, 1938 के तहत इन भूमियों को बफर जोन के रूप में अधिसूचित और डी-अधिसूचित करने के लिए सक्षम है, उसने इस विशेष गांव को डीनोटिफाई कर दिया. जिला प्रशासन और सेना के कई अधिकारियों ने बताया कि हालांकि निजी व्यक्ति अधिसूचित भूमि में संपत्ति रख सकते हैं, खरीद और बेच सकते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए उनका उपयोग काफी सीमित है कि मनुष्यों, जानवरों और संपत्तियों को कोई नुकसान न हो. उदाहरण के लिए, इन जमीनों का उपयोग ज्यादातर खेती के लिए किया जा सकता है, ताकि जब भी सेना राज्य सरकार को अपने फील्ड फायरिंग अभ्यास के बारे में सूचित करे, तो इस क्षेत्र खाली किया जा सके.

डीनोटिफाई होने से अब इस जमीन का कॉमर्शियल इस्तेमाल हो सकता है. डी-नोटिफाई ने रास्ता साफ कर दिया है. अधिसूचना के अनुसार, अगस्त 2020 से जुलाई 2025 तक 14 गांवों में कुल 5,419 हेक्टेयर (13,391 एकड़) भूमि अधिसूचित की गई थी. लेकिन 894.7 हेक्टेयर (2,211 एकड़), जो माझा जमथरा के अंतर्गत आती है को विशेष रूप से डी-नोटिफाई कर दिया गया.

जानिए DM ने क्या कहा

जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने माझा जमथरा को डीनोटिफाई करने के फैसले की पुष्टि की. संयोग से अधिसूचित भूमि पर अतिक्रमण का एक मामला पहले से ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है, जिसने इस साल अप्रैल में मामले का स्वत: संज्ञान लिया था. इससे पहले अधिसूचित भूमि पर अतिक्रमण को लेकर अयोध्या के वकील प्रवीण कुमार दुबे ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. 24 नवंबर, 2023 के एक आदेश में, अदालत ने अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) को भूमि के स्वामित्व के उचित सत्यापन के बिना योजनाओं को मंजूरी देने के खिलाफ निर्देश दिया. इसमें कहा गया था, “रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई राज्य भूमि पर कानून का उल्लंघन करते हुए अतिक्रमण करने या उसे नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.”

प्रशासन के सूत्रों ने कहा कि इस विशेष गांव को गैर-अधिसूचित करने का निर्णय इसलिए लिया गया है, क्योंकि यह “विकास” के दृष्टिकोण से प्रमुख भूमि पर है. एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “चूंकि मामला अदालत में है, इसलिए कानूनी टीम से सलाह ली गई और फिर माझा जमथरा को डीनोटिफाई करने का फैसला लिया गया.” प्रशासन के अन्य अधिकारी ने कहा कि सरकार की माझा जमथरा में सैकड़ों करोड़ रुपए का मंदिर संग्रहालय बनाने की योजना है और इसीलिए इस विशेष गांव को डी-नोटिफाई करने का निर्णय लिया गया है. अधिकारी ने कहा, ”इस फैसले का उन निजी संस्थाओं से कोई लेना-देना नहीं है जिन्होंने वहां जमीन खरीदी है.”

प्रशासन नहीं दे रहा जवाब

अडानी समूह के प्रवक्ता ने कहा, “होमक्वेस्ट इंफ्रास्पेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया गया लेनदेन पूरी तरह से कानूनी है और सभी कानूनों और विनियमों के अनुसार आयोजित किया गया था. कंपनी ने भविष्य के विकास के लिए एक निजी पार्टी से जमीन का अधिग्रहण किया है. राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार यह एक निजी भूमि है, जिसमें सेना द्वारा उपयोग के लिए आरक्षित होने का कोई उल्लेख नहीं है.” योग गुरु रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट ने कहा कि जिन्होंने भी जमीन खरीदी है, व्यक्तिगत रूप से खरीदी है. रामदेव के ट्रस्ट से उसका संबंध नहीं है. यूपी के मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव ने इस संबंध में किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया.

6 अगस्त, 2024 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में, ADA ने कहा कि वह अब ‘माझा जमथरा’ में मैपिंग स्वीकार करेगा और पास करेगा. माझा जमथरा वह क्षेत्र जिसे राज्य सरकार ने महीनों पहले अडानी ग्रुप की सहायक कंपनी होमक्वेस्ट इंफ्रास्पेस; आर्ट ऑफ लिविंग के अंतर्गत में पंजीकृत “धर्मार्थ ट्रस्ट” व्यक्ति विकास केंद्र (VVK); और योग गुरु व उद्यमी रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से जुड़े दो व्यक्तियों द्वारा वहां जमीन खरीदने के बाद गैर-अधिसूचित कर दिया था.

अगस्त 2020 से जुलाई 2025 तक 14 गांवों में कुल 5,419 हेक्टेयर (13,391 एकड़) भूमि को सेना प्रशिक्षण के लिए बफर जोन के रूप में अधिसूचित किया गया था, जबकि माझा जमथरा के अंतर्गत आने वाली 894.7 हेक्टेयर (2,211 एकड़) भूमि – जहां उपर्युक्त संस्थाओं ने इस साल जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक से पहले जमीन खरीदी थी – को विशेष रूप से गैर-अधिसूचित किया गया था. दिप्रिंट ने पिछले सप्ताह इस बात की रिपोर्ट की थी.

अब, सरकार द्वारा चुपचाप क्षेत्र को गैर-अधिसूचित करने के दो महीने से अधिक समय बाद, इसने अपने निर्णय के बारे में सार्वजनिक रूप से बताया है, और स्थानीय प्रेस में विज्ञापन जारी कर कहा है कि यह क्षेत्र में विकास के लिए मैपिंग पर विचार करेगा और उन्हें स्वीकार करेगा.

जैसा कि दिप्रिंट ने बताया, युद्धाभ्यास, फील्ड फायरिंग और आर्टिलरी प्रैक्टिस एक्ट, 1938 के तहत क्षेत्र की अधिसूचना का मतलब था कि क्षेत्र में निजी तौर पर भूमि का स्वामित्व, बिक्री और खरीद हो सकती है, लेकिन इसका उपयोग सिर्फ कृषि कार्यों के लिए ही हो सकता था.

इस क्षेत्र में निर्माण और व्यावसायिक गतिविधि प्रतिबंधित थी, क्योंकि यह सेना की भूमि के बड़े हिस्से के ठीक बगल में स्थित है, जहां सेना अपनी फील्ड फायरिंग अभ्यास करती है, जिससे क्षेत्र में रहने वाले लोगों, जानवरों और संपत्तियों को चोट, नुकसान या क्षति होने का खतरा रहता है.

पिछले साल नवंबर में, ADA ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के एक आदेश के रिस्पॉन्स में एक आदेश पारित किया था जिसमें कहा गया था कि वह 5,419 हेक्टेयर अधिसूचित भूमि पर विकास या निर्माण के लिए कोई भी मैपिंग स्वीकार नहीं करेगा. यह आदेश अयोध्या के वकील प्रवीण कुमार दुबे द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) के जवाब में पारित किया गया था, जिसमें बफर ज़ोन में अतिक्रमण का आरोप लगाया गया था. अदालत ने कहा था, “रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई राज्य की भूमि पर कानून के उल्लंघन में अतिक्रमण या उसे नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.”

इस आदेश के अनुपालन में, ADA ने कहा था कि वह क्षेत्र में विकास या निर्माण के लिए कोई भी मैपिंग स्वीकार नहीं करेगा.हालांकि, अब जारी की गई अपनी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से, ADA ने माझा जमथरा को अपने पहले के आदेश के दायरे से हटा दिया है.दिप्रिंट से बात करते हुए दुबे ने पूछा: “जब मामला अभी भी विचाराधीन है, तो वे ऐसा कैसे कर सकते हैं?”

उन्होंने आगे कहा: “इसके अलावा, उन्होंने ऐसा अब क्यों किया, न कि दो महीने पहले जब उन्होंने माझा जमथरा को डी-नोटिफाई किया था? केवल माझा जमथरा को ही क्यों नोटिफाई किया गया है, इस पर बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है – जाहिर है कि इसका उद्देश्य बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना है.”

दिप्रिंट ने एडीए के अध्यक्ष और सचिव तथा अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट से कॉल और व्हाट्सएप मैसेज के जरिए संपर्क किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

पिछले सप्ताह दिप्रिंट द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “क्या आप जानना चाहते हैं कि धर्म और राष्ट्रवाद की आड़ में वे वास्तव में क्या करते हैं? सेना प्रशिक्षण के लिए बफर जोन के रूप में अधिसूचित भूमि को पहले अडानी, रविशंकर और बाबा रामदेव द्वारा खरीदा जाता है और फिर राज्यपाल द्वारा इसे गैर अधिसूचित किया जाता है.

इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने मोदी सरकार पर अयोध्या में सेना की जमीन पर “कब्जा” करने और इसे अपने “मित्रों” को सौंपने का आरोप लगाया था.

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