विजय दलाल
ये साल 2008 की बात है। वॉल स्ट्रीट का भी वही हाल था, जो आज भारतीय शेयर बाजार का है।
तब वॉल स्ट्रीट डूब गया था, क्योंकि गोल्डमैन साक्स के शेयर अपने जगत सेठ की तरह औंधे हो गए।
गोल्डमैन के शेयर्स 75% गिरे थे। आज अदानी ग्रुप के शेयर्स 70% गिर चुके हैं।
आखिर में हुआ यह कि वॉरेन बफेट ने 5 मिलियन डॉलर फूंककर गोल्डमैन साक्स को दिवालिया होने से बचा लिया।
अगर अदानी ग्रुप की थोड़ी सी भी साख बची है तो सेठ को किसी वॉरेन बफेट की तलाश करनी होगी, जो कबाड़ के दाम पर शेयर्स खरीद ले।
फिर भी देश के बैंकों का लोन और निवेश का पैसा वापस नहीं मिलने वाला है।
“डाऊ सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स” से अडानी ग्रुप को निकाले जाने का मतलब :
- विश्व के बाज़ारों में अडानी की क़ीमत “शून्य” हो गई।
- अडानी के शेयर मार्जिन में नही लिए जा सकते।
- अडानी के शेयर को फ्रॉड बता दिया गया।
- दुनिया में कोई भी निवेशक अडानी को नही खरीदेगा।
◆विश्व मे एकमात्र मुल्क भारत है जहाँ आज भी अडानी के शेयर की क़ीमत मानी जा रही है.. क्योंकि अडानी ने बैंकों के पास अपने शेयर गिरवी रख लोन लिया है.. (यही फ्रॉड है)
◆ मान लीजिए, अडानी ने 4000₹ का शेयर गिरवी रख 2000₹ का लोन लिया था..आज गिरवी रखे शेयर की क़ीमत 1000₹ है..बैंक अगर गिरवी रखे शेयर बेचता है तो 1000₹ मिलेंगे और 1000₹ का लोन डूबेगा.. और शेयर नही बेचता है तो पूरा 2000₹ का लोन डूबेगा.. डूबना तय है
अडानी का लोन “टेक्निकल” तौर पर डिफ़ॉल्ट हो चुका है.. “प्रैक्टिकल” तौर पर डूबना बाक़ी है.. कब तक बचेगा ?