आज के दौर में बड़े बिजनेस ग्रुप के बारे में सोचने पर हमारे दिमाग में अडाणी और अंबानी का नाम आता है। लेकिन एक वो भी दौर था जब बिजनेस का सोचने से पहले ही टाटा-बिरला का नाम सामने आ जाता था। बिरला हमारे देश के सबसे पुराने बिजनेस एम्पायर्स में से एक रहा है। आज बिरला समूह का सबसे बड़ा और चर्चित हिस्सा है आदित्य बिरला ग्रुप। राजस्थान में जन्मे सेठ शिवनारायण ने 1857 में गृह जनपद पिलानी में ही बिरला कारोबार की नींव रखी। कारोबार बढ़ा तो साल 1863 में मुंबई आए और कॉटन ट्रेडिंग की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उनके बेटे बाल देवदास बिरला ने कोलकाता में अपना बिजनेस सेटअप लगाया। बाल देवदास के चार बेटे थे। जेडी बिरला, आरडी बिरला, जीडी बिरला और बीएम बिरला। 1986 तक सारे बिरला साथ रहे और एक साथ बिजनेस किया, मगर इसी साल बिरला ग्रुप ने कारोबार का बंटवारा किया और बिजनेस का सबसे बड़ा हिस्सा मिला जीडी बिरला के बेटे आदित्य बिरला के परिवार को। फिलहाल यही आदित्य बिरला परिवार 8 फैशन लाइफस्टाइल ब्रांड में निवेश को लेकर चर्चा में है…
आज मेगा एम्पायर में जानिए आदित्य बिरला ग्रुप की कहानी उसकी 5 बड़ी कंपनियों के जरिए…
जीडी बिरला ने अपने ससुर से पैसे लेकर बिरला ब्रदर्स लिमिटेड बनाया
जीडी बिरला ने अपने ससुर एम. सोमानी की मदद से बिजनेस को आगे बढ़ाने और एक नई शुरूआत देने का फैसला लिया। 1919 में जीडी बिरला ने 50 लाख रुपए के निवेश के साथ ‘बिरला ब्रदर्स लिमिटेड’ की स्थापना की। इसी साल उन्होंने ग्वालियर में कपड़ा मिल की नींव रखी। कुछ ही समय बाद जीडी बिरला ने दिल्ली की एक पुरानी कपड़ा मिल भी खरीद ली। इसके बाद 1923 से 1924 में उन्होंने केसोराम कॉटन मिल्स खरीद ली। सन 1926 में वह सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के लिए चुने गए। वह इंडिया के ऐसे बिजनेसमैन थे, जिन्हें सच्चा देशभक्त भी माना जाता था। वह विदेशी वस्तुओं के खिलाफ थे। स्वतंत्रता संग्राम के वक्त उन्होंने महात्मा गांधी के आंदोलन को फंड मुहैया कराया था।
ग्रुप की 5 बड़ी कंपनियां
1) ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड : 1947 में बनी बिरला की पहली कंपनी
मौजूदा समय में बिरला की ग्रासिम इंडस्ट्रीज सीमेंट से लेकर केमिकल्स तक बनाती है, मगर इसकी शुरूआत एक टेक्सटाइल कंपनी के रुप में हुई थी। आजादी मिलने के कुछ दिन बाद ही 24 अगस्त को घनश्यामदास बिरला यानी जीडी बिरला ने गांधी के स्वदेशी अभियान से प्रभावित होकर मध्यप्रदेश में इसकी नींव रखी। आज 75 सालों के बाद यह 96 हजार करोड़ रुपए रेवेन्यू देने वाली कंपनी बन गई है। साथ ही देश में यह विस्कोस रेयॉन फाइबर का सबसे बड़ी निर्यातक है, जिसका निर्यात 50 से अधिक देशों में होता है।
देश की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी भी ग्रासिम कंपनी के पास
1980 में पहली बार ग्रासिम इंडस्ट्रीज और इंडियन रेयॉन के लिए अल्ट्राटेक ने एक सीमेंट प्लांट की नींव रखी थी। इसके बाद 1998 में ग्रासिम और इंडियन रेयॉन का मर्जर हो गया और 2001 में ग्रासिम द्वारा L&T के 10% स्टेक खरीदने के बाद 2004 में पूरी तरीके से अल्ट्राटेक का अधिग्रहण कर लिया। मौजूदा समय ग्रासिम सीमेंट का सबसे बड़ा प्लेयर है और इसकी कंपनी अल्ट्राटेक भारत में सबसे बड़ी और दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी सीमेंट बनाने वाली कंपनी है। अल्ट्राटेक का मौजूदा रेवेन्यू 53 हजार करोड़ के भी पार है, जो ग्रासिम के पूरे रेवेन्यू का 53% है।
2) हिंडाल्को: आदित्य बिरला ग्रुप की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी
ग्रासिम के बाद हिंडाल्को इंडस्ट्रीज इस एम्पायर की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है।
1962 में उत्तर प्रदेश के रेणुकूट में इस कंपनी की स्थापना हुई। यह कंपनी बॉक्साइट खनन, एल्युमिना रिफाइनिंग से लेकर एल्यूमीनियम गलाने का काम करती है। मौजूदा समय में हिंडाल्को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मौजूद है। हिंडाल्को की ही कंपनी नॉवेलिस का मुख्यालय अटलांटा, जॉर्जिया के साथ 12 देशों में है, जिसमें लगभग 11,000 कर्मचारी हैं। नोवेलिस कंपनी वॉल्यूम शिप के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी एल्युमीनियम रोलिंग बनाने के साथ एल्युमीनियम की सबसे बड़ी खरीदार भी है। मौजूदा समय में हिंडाल्को 1.96 लाख करोड़ रेवेन्यू जनरेट करने वाली कंपनी है।
3) बिरला कार्बन: दुनिया की हर 10वीं कार के टायर में लगता है
हिंडाल्को के बाद इस एम्पायर की सबसे बड़ी कंपनी है बिरला कार्बन। इस कंपनी की शुरूआत 1978 में थाईलैंड से हुई। और आज यह कंपनी कार्बन ब्लैक बनाने और सप्लाई करने वाली कंपनियों में वर्ल्ड लीडर है। ये वही कार्बन ब्लैक है, जिसे रबर गुड्स और गाड़ियों के टायर में एड किया जाता है। 12 देशों में चल रही इस कंपनी का कार्बन आज दुनिया की हर 10वीं कार में मौजूद है। साथ ही ये कंपनी सालाना 20 लाख टन कार्बन ब्लैक प्रोड्य़ूस करने की क्षमता रखती है।
4) फैशन एंड रिटेल: आदित्य बिरला ग्रुप का सबसे पॉपुलर बिजनेस
भारत में आपने Pantaloons, Louis Philippe, Allen Solly या Peter England जैसे ब्रांड्स के बारे में तो सुना ही होगा। आपको बता दें कि नाम से विदेशी समझे जाने वाले इन ब्रांड्स की मालिक स्वदेशी कंपनी आदित्य बिरला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड ही है। मौजूदा समय में आदित्य बिरला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड (ABFRL) के दुनियाभर में 3 हजार स्टोर्स के साथ 3 करोड़ से भी ज्यादा कस्टमर्स है।
भारत में रीबॉक प्रोडक्ट बनाने और बेचने का अधिकार भी ABFRL के पास
2021 में आदित्य बिरला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड (ABFRL) और रीबॉक ब्रांड का मालिकाना हक रखने वाली अमेरिकी कंपनी ऑथेंटिक ब्रांड्स ग्रुप के बीच एक डील हुई। इसके तहत ABFRL को रीबॉक ब्रांड के प्रोडक्ट को बनाने का अधिकार मिला हुआ है। इसके अलावा भारत और आसियान देशों में रीबॉक के प्रॉडक्ट को ऑनलाइन या ऑफलाइन बेचने का अधिकार भी ABFRL के पास ही है। इन देशों में रीबॉक के ब्रांडेड आउटलेट को भी अब आदित्य बिरला ग्रुप की यही कंपनी चलाती है।
5) वोडाफोन आइडिया(Vi): देश का तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल नेटवर्क
साल था 1995 जब पहली बार आदित्य बिरला समूह संचार की दुनिया में कदम रखता है और साल 2000 में टाटा सेलुलर के साथ मर्जर करता है। फिर 2002 में जाकर भारत के विभिन्न राज्यों को एक वायरलेस टेलीफोन नेटवर्क के रुप में मिलता है आइडिया सेल्युलर। 2006 के अंत में, आदित्य बिरला समूह इस नेटवर्क का पूरे तरीके से मालिक बन गया और नेटवर्क का विस्तार करने में जुट गया। लंबे समय तक आइडिया अकेले चला, मगर 30 अगस्त 2018 को आइडिया सेल्यूलर और वोडाफोन इंडिया का विलय हुआ। जिसने तब आदित्य बिरला ग्रुप को देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी का मालिक बना दिया। मौजूदा समय में Vi के पास 25 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं, जो इसे भारत में तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल नेटवर्क और दुनिया में 10वां सबसे बड़ा मोबाइल नेटवर्क बनाता है।
आज आदित्य बिरला का बिजनेस 36 देशों में…
बिरला ग्रुप ने अपना बिजनेस भारत से शुरू करके आज दुनिया के 36 देशों में फैला लिया है। ग्रुप का कुल रेवेन्यु का 50 प्रतिशत हिस्सा इंडिया के बाहर से ही आता है। इस वक्त ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिरला हैं, जो आदित्य विक्रम बिरला के बेटे हैं। 28 साल की उम्र में ही कुमार ने यह जिम्मेदारी संभाल ली थी। आदित्य बिरला ग्रुप के अलावा सीके बिरला, एसके बिरला, यश बिरला और एमपी बिरला ग्रुप भी बिरला परिवार से जुड़े एम्पायर हैं मगर उनकी बात आज नहीं…फिर कभी।