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प्री-वेडिंग के बाद अब प्री इलेक्शन के मज़े 

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सुसंस्कृति परिहार

पिछले दिनों देश के एक अमीरज़ादे मुकेश अंबानी के दूसरे नंबर के पुत्र के प्री वैडिंग समारोह की बड़ी धूमधाम रही है मीडिया ने इसे हाथों हाथ लिया और ऐसे दिखाया कि जनता उन वीडियो को देखती रह गई। ख़ासतौर पर महिलाओं में उनके पहनावों और उसमें जड़ें हीरे मोती सोने-चांदी की चर्चाएं आम रहीं। वहीं कुछ इस विचित्र जोड़ी को देखकर तरह तरह से मनोरंजन करते रहे, कार्टूनिस्ट भी इस मौके से नहीं चूके। कई लोग तो इस समारोह में पहुंचे दुनियां के सेलेब्रिटी को देखकर गदगद हुए।ये तीन-दिवसीय समारोह था जुलाई में जब विवाह होगा तब पता नहीं क्या क्या होगा। हमारे यहां तो चट मंगनी पट विवाह का रिवाज है किंतु संभावना है कि यह परिपाटी अब देश के कोने कोने में पहुंच जाएगी।प्री वैडिंग समारोह में जिन्हें बुलावा नहीं आया वे वैसे ही दुखित हुए जैसे राममंदिर प्रतिष्ठा समारोह में बड़े बड़े नेताओं को फटकने नहीं दिया गया। बहरहाल प्री-वेडिंग समारोह ख़त्म होने के बाद मीडिया इसके खुमार को बराबर बनाए हुए हैं।लोग अभी भी प्री वैंडिंग के मज़े ले रहे हैं।

दूसरी ओर प्री इलेक्शन की धूमधाम भी प्रारंभ हो चुकी है।अब तो मज़े ही मज़े है।एक तरफ ईवीएम हटाओ की धूम सारे देश में चल ही रही थी तो कहीं  सरकार के इलेक्ट्रॉनिक बांड पर सुप्रीम कोर्ट ने बेन लगा दिया और स्टेट बैंक आफ इंडिया से हिसाब-किताब मांग लिया उसने जब आना-कानी की तो कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और डेढ़ घंटे देर से सही जानकारी चुनाव आयोग को रपट भेज दी जो 15 मार्च को सार्वजनिक होने की उम्मीद है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो जिन नामों के खुलासे होंगे वे चौंकाने वाले होंगे।हद हो गई स्विस बैंक के खलासे तो नहीं हो पाए काला धन का 15 लाख लोगों तक नहीं पहुंच पाया पर घर के स्टेट बैंक ने इलैक्टानिक बांड के ज़रिए हमारी सरकार को सोलह सौ करोड़ का धन सौंप दिया।ये सब कैसे हुआ चुनाव आयोग आंखें मूंदे रहा और अब भय से एक  आयुक्त जी ने त्यागपत्र दे दिया।एक जनाब रिटायर हो गए अब सिर्फ एक साहब बचे हैं। नियुक्तियां होनी है।लेकिन बेफ्रिक सरकार बराबर धूम धाम से प्रचार में लगी है जनता और विपक्ष मज़े ले रहा है।

 उधर भाजपानीत सरकारें इस समय मंदिरों में विराजमान भगवानों के दरबार  में हाजिरी बजा रही हैं साहिब जी के तो कहने क्या उनके सजे संवरे भक्ति स्वरूप देखकर भक्तों को परमसुख की अनुभूति हो रही है। वे समुंदर में डुबी द्वारका का इवेंट रचते हैं लेकिन नाकाम हो जाते हैं।वे पूरे देश के दौरे में अपनी गारंटियों को पहुंचाने वेग से सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल करने में जुटे हैं।आचार संहिता लग गई तो पार्टी फंड खर्च होगा।चतुर व्यापारी का ख़ून उनकी रगों में बह रहा है। दांव-पेंच में माहिर सरकार इस बार 400पार के नारे के साथ है उनकी भविष्यवाणी कभी ग़लत नहीं हुई।हां,इस बार ज्योतिष उनकी स्थिति ख़राब बता रहा है। इलैक्ट्रोनिक बांड और ईवीएम उनके परम सहयोगी इस समय उन्हें घेरे में लिए हैं। उधर न्याय यात्रा के योद्धाओं की बढ़ती संख्या और उनमें पैदा होता विश्वास भी ख़तरे से खाली नहीं है।

अब तो मीडिया में भी आंशिक बदलाव दिखाई दे रहा है भाजपा के दो सांसदों का कांग्रेस में जाना भी चिंताजनक है। आश्चर्यजनक यह है कि इन विपरीत स्थितियों में भारत-सरकार के चेहरे पर शिकन नहीं है लोग इसे चोरी और सीनाजोरी कह रहे हैं।सच है मरता क्या नहीं करता?कहा जा रहा है यह अंतिम चुनाव है इसलिए जितनी ताकत होगी लगा दी जाएगी।

बेशक जब तक दम है तब तक ज़ोर लगाना ही होगा।2047का जश्न भी मनाना है। संविधान बदलना है। हिंदू राष्ट्र भी बनाना है।प्री वैडिंग समारोह की तरह प्री इलेक्शन की धूमधाम कम ना होने पाए। मीडिया को संभाले रखिए।संभव हो सके तो न्यायालय को भी अपनी 56 इंची ताकत बताइए जी। विश्वास है देश की जनता संकट में साथ देगी। भगवान राम आपका बेड़ा पार कर ही देंगे।

डर है कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए ईवीएम गई तो खेल ख़त्म। जनता धीरे-धीरे सुलग रही है तिस पर अदालत की बेरुखी विपक्षी हमले भारी पड़ रहे हैं तसल्ली के लिए कांग्रेस से भागे नेताओं की घुसपैठ भी ठीक नहीं क्योंकि ये सब चुके हुए,डरे लोग हैं जनता की नज़रों से गिरे हुए। आसन्न संकट में मज़े के साथ मौजदूगी के ये प्रयास कम नहीं होने चाहिए। तानाशाह अपने कदम तब तक बढ़ाता ही जाता है जब तक सितम की इंतहा नहीं हो जाती। देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है।अभी प्री इलेक्शन के बाद इलेक्शन भी होना है जनाबे आली।आगे आगे देखिए होता है क्या?

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