अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

अमरीका को भी हमारे ‘विकास’ की तलाश!

Share

डॉ. द्रोण कुमार शर्मा

ख़बर है, अमरीका विकास को ढूंढ रहा है। अमरीका को विकास ढूंढे नहीं मिला है तो उसने सर्च वारंट निकाल दिया है। बताते हैं कि अमरीका को भारत के विकास की इतनी जरूरत है कि उसके न्याय विभाग ने उसको ढूंढने के लिए नोटिस निकाल दिया है। एफबीआई भारत के विकास के पीछे पड़ गई है।अमरीका को पूरा भरोसा है कि विकास भारत में ही कहीं छुपा बैठा है। भारत में बस विकास की बातें होती हैं, विकास को किसी ने देखा नहीं है।

अमरीका को पूरा भरोसा है कि विकास भारत में ही कहीं छुपा बैठा है। आखिर उस विकास का जिसे अमरीका ढूंढ रहा है, भारत सरकार से पूरा सम्बन्ध जो है। पर भारत सरकार इस विकास पर पूरी तरह से चुप है। भारत सरकार विकास को अपना मानने के लिए तैयार नहीं है। भारत सरकार ने तो कभी भी विकास को माना ही नहीं है। भारत में बस विकास की बातें होती हैं, विकास को किसी ने देखा नहीं है।

सरकार जी भी जब देखो विकास की बातें करते हैं, दिन रात करते हैं। मन की बात में विकास की बात। चुनाव के भाषण में विकास की बात। कोई भी भाषण हो तो उसमें भी विकास की बात। सरकार जी भी कहते हैं कि विकास लाना है, विकास करना है। सरकार जी तो विदेश में जा कर भी भारत में विकास की बात करते हैं।

अमरीकन एफबीआई को विकास की तलाश है। उन्हें भारत में विकास की तलाश है। अजी एफबीआई के लोगों, भारत में विकास की तलाश तो लोग पिछले दस साल से कर रहे हैं। शुरू में तो थोड़ा ज्यादा शिद्दत से कर रहे थे पर अब जरा करते करते थक गए हैं। अब तो धर्म के विकास में ही देश का विकास ढूढ़ने लगे हैं। दूसरे धर्म के पूजा स्थल के आगे जोर जोर से डीजे बजा कर उत्तेजक, अश्लील गाने बजा कर विकास कर रहे हैं। ऐसा विकास देश के कोने कोने में हो रहा है। हर छोटे बड़े शहर में हो रहा है। यह विकास तो जहाँ चाहो, वहाँ मिल जायेगा।

एफबीआई के अनुसार विकास, यह भारत वाला विकास उनके किसी नागरिक के ऊपर जानलेवा हमला करने के लिए सुपारी देने का आरोपी है। अजी साहब, हमारे यहाँ का विकास तो हमेशा से ही लोगों पर जानलेवा हमला करता है। जानलेवा हमला क्या, जान ले ही लेता है। पर जान जरा सोच समझ कर ही लेता है। गरीबों की, किसानों- मजदूरों की जान लेता है। यह एफबीआई वालों के देश का विकास अलग है क्या?

एफबीआई का, और अमरीका के कोर्ट का दूसरा आरोप यह है कि विकास मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है। आपके देश में ईडी नहीं है क्या? हमारे देश में तो जो मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होता है उसे ईडी गिरफ्तार कर जेल में डाल देती है। फिर बेल इज रूल की बजाय जेल इज रूल हो जाता है। तब बेल इज रूल एंड जेल इस एक्सेप्शन केवल भाषणों के लिए होता है। एफबीआई वालों, ऐसा क्या आपके देश अमरीका में भी है? 

हमारे यहाँ तो यह भी रूल है कि अगर कोई मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हो और वह सरकार जी की पार्टी में शामिल हो जाये तो उस पर ईडी का छापा नहीं पड़ता है। अगर छापा पड़ भी गया हो तो रुक जाता है। जेल भी हो गई हो तो बेल हो जाती है। केस ड्राप हो जाता है। आपके यहाँ, अमरीका में ऐसा कोई रूल नहीं है क्या? अगर है तो विकास को वहाँ के सरकार जी की पार्टी में शामिल करो और यह मनी लॉन्ड्रिंग का केस भूल जाओ।

हमारे यहाँ तो न्याय का एक तरीका और है। यह तरीका नया नया, पिछले कुछ सालों में ही ईजाद हुआ है। हम तो बुलडोजर लाते हैं और न्याय कर डालते हैं। हम किसी का आशियाना गिराते हैं और जनता ताली बजाती है। बुलडोजर बनाया भले ही पश्चिम वालों ने हो, उसका असली उपयोग हम ही कर रहे हैं। एफबीआई वालों, आप भी सीख लो, बुलडोजर का उपयोग करना सीख लो। बुलडोजर तो होगा ही ना आपके पास। आप बुलडोजर लेकर जाओ और और विकास का, उसके माँ-बाप का, उसके बच्चों का घर बुलडोज कर दो। पर आप ऐसा नहीं करोगे, आपके यहाँ लोकतंत्र है, न्यायलय है। पर हम ऐसा कर सकते हैं, हमारे यहाँ भी लोकतंत्र है और न्यायलय भी है।

हमारे यहाँ, हमारे देश भारत में, तो एक और तरीका है न्याय का। उसे हम एनकाउंटर कहते हैं। नहीं, यह किसी हॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर का नाम नहीं, भारत में न्याय का तरीका है। आप अमरीका में भी यह तरीका कभी कभी अपनाते हो पर भारत में तो यह तरीका हिट है, सुपर डुपर हिट है, ब्लॉकबस्टर है।

आप विकास को ढूंढ रहे हो। हमारे यहाँ तो विकास हर जगह है। हम विकास के तहत राम मंदिर बनवाते हैं, वहाँ की सड़कें बैठ जाती हैं, मंदिर की छत चूने लगती है। हम उज्जैन के मंदिर का विकास करते हैं, वहाँ की मूर्तियां हवा चलने से गिर जाती हैं। महाराष्ट्र में लगी शिवाजी की प्रतिमा भी हवा चलने से ही गिर गई। हमारे यहाँ तो हवा भी विकास विरोधी है। और बारिश भी। कोई भी विकास एक बरसात नहीं टिक पाता है। नया बना संसद भवन भी पहली बारिश में ही टपकने लगा। कोई भी पुल, कोई भी एक्सप्रेस वे, कोई भी विकास पहली ही बारिश नहीं टिक पाता है।

हम तो विकास को दस साल से ढूंढ रहे हैं। विकास को ही नहीं, प्रकाश और आकाश को भी ढूंढ रहे हैं। पर अब इनके बिना रहने की आदत पड़ गई है। पर अब एफबीआई वाले ढूंढ रहे हैं तो मिल ही जायेगा। वे विकास को अंधकार में भी ढूंढ निकालेंगे। पाताल से भी ढूंढ लाएंगे। भईया, जब मिल जाये तो जरा हमें भी उसकी झलक दिखा देना। जरा देखें तो सही हमारा विकास, हमारे देश का विकास, भारत का यह विकास दिखता कैसा है।

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

Add comment

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें