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तीन तलाक के अलावे भी भारतीय समाज में सामाजिक बुराइयाँ हैं !

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 मुस्लिम समाज या इस्लाम धर्म के आनुयायियों की तीन तलाक की बुराई और कुप्रथा एक झटके में समाप्त हो गई,वर्तमान सरकार को इसके लिए कोटिशः धन्यवाद,परन्तु लगभग सभी धर्मों में कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा अपने स्वार्थ हेतु बहुत से पाखण्ड,ढकोसले, अंधविश्वास आदि जानबूझकर धार्मिक पुस्तकों में लिखकर भरे हुए हैं,चूँकि ज्यादेतर धार्मिक गुरू, ऋषि,मुनिलोग पुरूष ही हुए हैं,इसलिए लगभग सभी धर्मों में कथित पुरूष धर्म के स्वयंभू ठेकेदारों ने अपने-अपने सभी धर्मों में हर जगह अपने स्वार्थ और आनन्द को सर्वोपरि स्थान पर रखा है,

इस्लाम धर्म में भी तीन तलाक का सिद्धांत अपनी यौनिक स्वच्छन्दता की उन्मुक्तता को लक्षित करके ही युगों-युगों से मुस्लिम महिलाओं पर जबर्दस्ती लाद रखा गया था,तीन तलाक के बाद हलाला की अमानवीय व स्त्री विरोधी प्रथा भी पुरूषों द्वारा स्त्रियों पर एक भीषण त्रासद अत्याचार का एक जीता-जागता नमूना था,वह कुप्रथा भी तीन तलाक के खिलाफ कानून बनने के साथ ही स्वतः ही समाप्त हो गई है। मुस्लिम समाज के इस कुप्रथा का अन्त होना ही चाहिए था,परन्तु हिन्दू धर्म में भी स्त्रियों और दलितों पर हजारों वर्षों से धर्म के नाम पर अंधविश्वास के नाम पर बहुत सी कुप्रथाएं अभी भी जारी हैं,जो हजारों बुराइयों और अंधविश्वासों के रूप में जबर्दस्ती लाद रखी गईं हैं,

मसलन,जातिप्रथा, छूआछूत,स्त्रियों और दलितों को मंदिरों में प्रवेश पर रोक,देवदासी प्रथा की आड़ में मंदिरों के पुजारियों द्वारा उन दलित स्त्रियों का कथित धर्म की आड़ में वीभत्स दैहिक व शारीरिक शोषण,ऑनरकिलिंग के नाम पर नैसर्गिक प्यार करने वाले युवा जोड़ों की नृशंसतापूर्वक कत्ल करने,दहेज प्रथा,मंदिरों में आस्था के नाम पर अरबों-खरबों रूपयों का अनावश्यक धन संग्रह, स्वर्ग-नरक,पिंडदान,कथित मोक्ष,वैतरणी पार करने के लिए तमाम दान लेने,चुड़ैल के नाम पर औरतों की सरेआम नृशंसता से हत्याओं जैसे  सैकड़ों की संख्या में सामाजिक बुराईयों पर भी यहाँ की संसद,न्यायपालिका,कार्यपालिका और जागरुक सामाजिक संगठनों को शीघ्रातिशीघ्र समाप्त करने की पहल करनी चाहिए और कानून बनानी चाहिए,जो हमारे देश की प्रगति में अभी भी रोड़ा बनी हुई हैं । श्रीमान् ,श्रीयुत् मोदीजी केवल धर्मांध हिंदुओं के थोक वोटों के ध्रुवीकरण करने के लिए केवल मुसलमानों की कुप्रथा तीन तलाक को खतम करके अपनी पीठ स्वयं ही थपथपा लेने से हिन्दुओं में पांखड और अंधविश्वास तथा सामाजिक बुराइयां नष्ट नहीं होंगी,अगर हिम्मत है तो हिन्दू धर्म में सर्वाधिक व्याप्त उक्तवर्णित सामाजिक बुराइयों मसलन जातिवाद,छूआछूत,अश्यपृश्यता, दहेज प्रथा,डायन के नाम पर जघन्यतम् हत्या,कन्या भ्रूणहत्या आदि बुराइयों को समाप्त करने के लिए भी कानून बनाइये !

-निर्मल कुमार शर्मा,गाजियाबाद,उ.प्र.,

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