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नमक का ज्योतिषीय पक्ष

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ज्योतिषाचार्य पवन कुमार

नमक कई प्रकार के होते हैं जैसे कि सेंधा नमक (पहाड़ी नमक), समुद्री नमक, काला नमक, सामान्य नमक आदि। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नमक को चंद्र और शुक्र का प्रतिनिधि माना जाता है। नमक को कुछ लोग राहु का प्रतीक भी मानते हैं। नमक से कई उपाय किए जाते हैं जो ग्रह दशाओं को सुधारने में काम आते हैंI

        नमक को यदि किसी स्टील या लोहे के बर्तन में रखा जाता हैं तो यह चंद्र और शनि की युति  कहलाती है जो रोग और शोक का कारण बन जाता है। नमक को किसी प्लास्टिक के पात्र में भी नहीं रखना चाहिए। नमक को सिर्फ कांच के पात्र में रखने से ही यह बुरा असर नहीं देता है।

नमक में चन्द्र की अद्भुत शक्ति होने के कारण घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है।

      ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र में नमक का महत्व उतना ही पुराना हैं जितना हमारे शरीर और घर की नेगीविटी का। बहुत से उपाय एवं ग्रहों को शांत करने में नमक का प्रयोग किया जाता रहा हैं।      

       इसके प्रयोग से धन और स्वास्थ्य के साथ साथ राहु – केतु के अशुभ प्रभाव भी नष्ट होते हैं। राहु को नेगेटिव एनर्जी और केतु को कीट / कीटाणुओं का भी सूचक माना जाता है यह दोनों एक दूसरे के समसप्तक होने के कारण एक दुसरे के गुण अवगुण दोनों को अपने आप मे अवशोषित कर लेते हैं।*

रात को सोने से पहले गुनगुने पानी में एक चुटकी नमक मिलकार हाथ-पैर धोने से न सिर्फ थकान एवं तनाव बल्कि राहु और केतु के अशुभ प्रभाव भी दूर होते हैं।*

        सिर्फ 200gm नमक का 70% पानी शरीर मे से राहु और केतु जनित नेगीविटी मतलब एलर्जी, फंग्स, बोन के लिए, पेट साफ ओर खून को साफ करने के लिए, मन को स्ट्रांग रखने के लिए होता हैं।*

ज्योतिष के अनुसार समुद्री नमक का प्रयोग करने से मंगल ग्रह की दशा मजबूत होती है।

      अगर कुंडली में चंद्र – शुक्र कमजोर है तो समुद्री या सामान्य नमक का भोजन में इस्तेमाल न करें बल्कि सेंधा नमक का इस्तेमाल करें। इससे आप रक्तचाप की समस्या से बचे रहेंगे।

     शुक्र के कमजोर होने के कारण आपको शुक्रवार को नमक का दान करना चाहिए।

सेंधा नमक त्रिदोषों से उपजे रोग (राहु – चन्द्र – मंगल) या (सूर्य – केतु – शनि)  को कंट्रोल करता है। यह नमक हृदय और पेट के लिए भी अच्‍छा माना गया है। जैसे ब्लड प्रेशर, त्वचा रोग, आर्थराइटिस, डिप्रेशन, नेगीविटी,स्ट्रेस बहुत सी बीमारियों से बचाता है।

        व्रत में भी सेंधा नमक चन्द्र की तरह शुभ शुद्ध मतलब मन को साफ रखने का महत्व यही है कि एक यह शुद्ध, हल्का और सारा दिन भूखे रहने 

के बाद खाना आसनी से पच जाए और ब्लडप्रेशर सही रहे। सेंधा नमक अपने शीतल गुणों के लिए जाना जाता है क्योंकि ये आंखों के लिए काफी अच्छा होता है।

काला नमक लौह तत्व से भरपूर होता है जिसे कई ज्योतिषी शनि और राहु का कारक मानते है। ठंडी प्रकृति 

के इस नमक से कब्ज, पाचन समस्या, गैस, सीने की जलन, गोइटर, हिस्टीरिया, मंद दृष्टि, हाई ब्लड प्रेशर, रक्त की कमी और अन्य कई बिमारियों के इलाज में लाभ मिलता है।* 

      नमक चंद्र का कारक होता है  इसलिए यदि स्नान करते वक़्त एक चुटकी नमक पानी में डालकर स्नान 

करे तो मन शांत हो जाएगा और ताज़गी भी आयगीI

      मन में डर, भय, चिंता होने से दोनों हाथों में साबुत नमक भर कर कुछ देर रखे रहें, फिर वॉशबेसिन में डालकर पानी से बहा दें। इससे मन कारक चन्द्र ठीक हो जाता है।

यदि कुंडली में सप्तम भाव में सूर्य है तो ऊपर से नमक डालकर खाना घातक सिद्ध हो सकता है।

     अगर कुंडली में चंद्र कमजोर है तो समुद्री या सामान्य नमक का भोजन में इस्तेमाल न करें बल्कि सेंधा नमक का इस्तेमाल करें। इससे आप रक्तचाप की समस्या से बचे रहेंगे। लेकिन अगर कुंडली में मंगल कमजोर है तो भोजन में समुद्री नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं.

*कहावत हैं :*

_नमक अपना हक जरूर अदा करता हैI_

   {चेतना विकास मिशन}

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