अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

बाबा साहेब का असली मिशन

Share

अजय असुर*

डा भीम राव अंबेडकर की जयंती पर नमन! बाबा साहेब के कुछ बुद्धजीवी अंधभक्त बाबा साहेब को बगैर पढ़े उनकी मूर्ती के गले या पोस्टर पर माला चढ़ा कर जय भीम, जय-जय भीम बोल कर अपना दायित्व पूरा समझ लेते हैं और तो अधिकतर अंधभक्त आज जमकर तैयारी करते हैं मसलन बाबा साहेब की पूजा के लिए कौन सी ली थाली लायी जाए! फूल कहां से और कौन सी खरीदी जाए! माला कौन सी गेंदे की गुलाब की या कोई और फूल की चढ़ाई जाए! मोमबत्ती कितने वाली जलाई जाए! देशी घी का वनस्पति घी का दिया हां वो भी तो जलाना है आदि आदि! ये सारी तैयारियां उनके चंदे पर निर्भर करती हैं। इन तैयारियों के बाद स्टेज सजाने के बाद माइक पर बडी बडी बातें! वही ज्ञान भरी बातें भी तो करनी है…. जय भीम, जय भीम, जय-जय-भीम और साथ में नमो बुद्दाय के नारे भी, बड़े जोर शोर से लगेंगे! ओहो मै तो भूल गया इनका नारे के अलावा मुख्य काम बाबा साहेब की आरती भी तो की जाएगी। बस यही सब ना हो……
उसके बदले उनकी एक किताब का पन्ना रोज पढ़ लिया करें, उनके द्वारा दिए गए विचार की एक लाइन जीवन में उतार ली जाए तो रोज… हां रोज जयंती बड़े ही धूमधाम से मन जाए। 14 अप्रैल ही नहीं प्रतिदिन हम बाबा साहेब को उनके विचारों को फैलाकर बाबा साहेब को ज्ञान के विचारों में स्वतः याद आएंगे ना कि 14 अप्रैल आना वाला है….?  किसी को याद ही न दिलाया जाए। पर यह हो नहीं सकता क्योंकि शासक वर्ग ने पूरी तैयारियों के साथ में हमारे सोचने समझने की छमता पर कब्जा कर दिमाग को कुंद कर दिया है और हम उनके असली मिशन को मानने के बजाए शासक वर्ग द्वारा दिखाए गए मिशन को ही बाबा साहेब असली मिशन समझकर उसी रास्ते पर चलकर गले पर माला चढ़ा कर(गले पर माला विचारों पर ताला) जय भीम, जय भीम, जय-जय-भीम और साथ में नमो बुद्दाय के नारे लगाकर मिठाई, नमकीन आपस में वितरित कर और बाबा साहेब के असली मिशन को वंही छोड़कर घर चले जाते हैं और आखिर में शाम को बहुसंख्यक लोग चंदा उगाही से कार्यक्रम करने के बाद जो पैसा बचता है उसमे से डीजे लगाकर, दारू पीकर मस्त जय भीम, जय भीम, जय-जय-भीम के नारे लगाते हैं और अश्लील गानो पर नाचते हैं और कुछ लोग तो नाचने के लिए लड़कियां तक बुलवाते हैं। और फिर भी जो पैसा बचता है उसे आपस में जो कार्यक्रम की अगुवाई करते हुवे चंदा उगाही करते हैं वो आपस में बांट लेते हैं। इन्ही अम्बेडकर जयन्ती मनाने वालों में कुछ लोग कार्यक्रम के बाद जो पैसा बचता है वो उसका समाज में गरीब असहाय लोगों की मदद करते हैं और कुछ लोग गरीब असहाय के बच्चों के लिए कापी-किताब और पेंसिल वितरित करते हैं। ये मेरा खुद का व्यक्तिगत अनुभव है अभी फिलहाल हाल ही में गाजीपुर और आजमगढ़ में संत रविदास के जयन्ती का। और जिनको ये सारी बातें झूट लगें तो चलिए मेरे साथ मै दिखाता हूँ।
डा अम्बेडकर ने 22 प्रतिज्ञाएँ देते हुवे मूर्ति पूजा का खंडन करते हुवे मूर्ति पूजा का विरोध किया और अब हम सब मिलकर डा अम्बेडकर की बात ना मानते हुवे बाबा साहेब के खिलाफ जाकर बाबा साहेब को भी भगवान बनाकर उनकी पूजा कर उनको भी एक बुद्ध की तरह विष्णु का अवतार घोषित कर जोरदार तरीके से दुर्गा चालीसा के बजाए भीम पचासा पढ़ रहे हो। तो फिर क्या अंतर रह गया हिन्दू धर्म के 33कोटि के भगवानों में? उन अवतारों में एक शासक वर्ग ने एक नाम और जोड़ दिया और हम शासक वर्ग के चालों को ना समझ कर उन्ही के दिखाए हुवे मिशन पर चल रहें हैं। इसी तरह से सरकार भी आज डा अम्बेडकर की जयन्ती धूम धाम से मना रही है और भारतीय संविधान की रक्षा के कसमे भी खा रहें हैं और वही सारा काम हम भी कर रहें हैं तो क्या अंतर रह गया शासक वर्ग द्वारा मनाए गए जयंती में और हम आप द्वारा मनाए गए जयन्ती में? बस एक अंतर नजर आता है कि हम सब भीम आर्मी, चमार द ग्रेट, मै चमार का छोरा आदि जातिवादी स्लोगन के टीशर्ट पहने हुवे रहते हैं और जय भीम, जय भीम, जय-जय-भीम के नारे लगाते हैं। 
अंबेडकर ने कहा था -“मुट्ठी भर लोगों द्वारा बहुसंख्यक जनता का शोषण इसलिए संभव हो पा रहा है कि पैदावार के संसाधनों-जल, जंगल, जमीन, कल-कारखाना, खान-खदान, यातायात के संसाधन, स्कूल, अस्पताल, बैंक आदि पर समाज का मालिकाना नहीं है।“ मतलब साफ है की पैदावार के संसाधनों पर जिसका निजी मालिकाना होगा वही शोषण कर सकता है। यदि उत्पादन के साधनों का मालिकाना उसके हाथ में नहीं है तो चाहे वह किसी भी जाति का हो वह शोषण नहीं कर पाएगा।    शोषण से संरक्षण के लिए बाबा साहब डा. अंबेडकर के अनुसार, पैदावार के प्रमुख संसाधन- जल, जंगल, जमीन, स्कूल, अस्पताल, खान-खदान, कल-कारखाना, बैंक, यातायात के संसाधन आदि-सरकारी होना चाहिए। इसे उन्होंने राजकीय समाजवाद कहा था। सही मायने में यही राजकीय समाजवाद, डा. अंबेडकर का सपना था, यही उनका मिशन था। इस मिशन को पूरा करने के लिए सिर्फ बड़े-बड़े धनपतियों से लड़ना था जिनकी संख्या तकरीबन 2 लाख के आस-पास होगी। मगर जातिवादी नेताओं ने 2 लाख धनपतियों से लड़ने की बजाय तकरीबन 22 करोड़ सवर्णों को ललकार दिया। इस प्रकार अनायास ही 22 करोड़ सवर्णों को उन दो लाख दुश्मनों के साथ खड़ा करके उनकी शक्ति बढ़ा दिया ताकि अम्बेडकर का मिशन ही असम्भव हो जाये।    

     दलितों का मसीहा कहे जाने वाले इन जातिवादी नेताओं ने गाली-ताली के अलावा गरीबों को, खासतौर से दलितों को, कुछ नहीं दिया। अगर दलितों को कुछ मिला है तो क्रांतिकारी शक्तियों के संघर्षों के दबाव में तथा बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर के माध्यम से ही मिला है। इन जातिवादी नेताओं ने कभी आर्य-अनार्य, कभी मूलनिवासी-विदेशी, कभी 15 बनाम 85, की बात कहकर लोगों को भावनात्मक मुद्दों में उलझाये रखा। इन्होंने डा.अम्बेडकर का फोटो चिपका लिया मगर उनका असली मिशन जनता को कभी नहीं बताया तथा उनका असली संविधान जनता से छिपाये रखा, उनके राजकीय समाजवाद को कभी मुद्दा नहीं बनाया, सिर्फ जातिवाद फैलाया और भाजपा जैसी साम्प्रदायिक ताकतों को मजबूत किया। जातिवादियों ने मंच पर अम्बेडकर का फोटो लगाकर सवर्ण जाति के गरीबों को गालियां देने की घिनौनी थुक्का-फजीहत वाली जातिवादी राजनीति करके अम्बेडकर को अपमानित एवं बदनाम किया है।   

      जातिवादी नेता लोग बाबा साहब अंबेडकर के असली मिशन को छिपाने में इसलिए कामयाब होते रहे क्योंकि हमारे लोग अक्सर फिल्म देखने, क्रिकेट मैच देखने, मोबाइल में गेम खेलने, किताबों में या टेलीविजन के धारावाहिकों में राजा रानी की कहानियां देखने और ताश के पत्ते फेंटने आदि में ज्यादा समय गंवाते हैं, उन्हें मोटे-मोटे ग्रंथों में दिए गए महापुरुषों के क्रांतिकारी विचारों को पढ़ने का समय नहीं मिलता। इसलिए इस छोटी सी पुस्तिका के माध्यम से डॉक्टर अंबेडकर के मोटे ग्रंथों, खासतौर से “बाबा साहब डॉ.अंबेडकर संपूर्ण वांग्मय खंड 2“ में दिए गए राज्य और अल्पसंख्यक नाम का संयुक्त राज भारत का संविधान तथा संविधान सभा के वाद-विवाद पुस्तकों में से उनके चुनिंदा आर्थिक विचारों को पढ़कर अम्बेडकर का असली मिशन समझ सकते हैं। जिसको भी राज्य और अल्पसंख्यक में दिए गए बाबा साहेब का असली मिशन संयुक्त राज्य भारत का संविधान और संविधान सभा के वाद-विवाद पुस्तक चहिए वो नीचे दिए गए व्हाट्सएप से ले सकता है।          *अजय असुर*

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें