कैलाश रावत
छतरपुर के पूर्व विधायक वरिष्ठ अधिवक्ता गरीबों के मसीहा अपने जमीनी जुझारू संघर्षकी राजनीति करने वाले पूर्व विधायक बाबू जगदंबा प्रसाद निगम जी का आज शनिवार 2:45 बजे जिला अस्पताल छतरपुर में निधन हो गया बाबू जी के निधन से समाजवादी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नेताओं की प्रमुख पीढ़ी के आधार स्तंभ का अंत हो गया ।
20 फरवरी 1928 को जन्म बाबू जगदंबा प्रसाद निगम ने बीएएलएलबी के बाद वकालत का पेशा अपनाया वकालत भी गरीबों की निर्धनों की प्रदेश की प्रसिद्ध अधिवक्ताओं में निगम जी का नाम था समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय दिलाने बुंदेलखंड में व्याप्त सामंतवाद के खिलाफ बाबू जगदंबा प्रसाद निगम ने हमेशा आर-पार की लड़ाई लड़ी निगम जी बुंदेलखंड के टीकमगढ़ छतरपुर पन्ना दमोह जिले में बेहद लोकप्रिय राजनेता रहे कई बार मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे विधानसभा में भी प्रमुख विधायकों में निगम जी की गिनती होती थी ।
समाजवादी नेता कैसा होना चाहिए इसकी मिसाल बाबू जगदंबा प्रसाद निगम जी रहेअब बुंदेलखंड में जुझारू और जमीनी राजनीति का अंत बाबू जगदंबा प्रसाद निगम बहुत याद आएंगे कई जन संघर्षों में हम आपके साथ रहे और जेल भी गये ।
सामंतवाद सामंती जन्म के विरुद्ध सतत संघर्ष समाजवादी विचारधारा समतामूलक समाज की स्थापना समाज में बदलाव के लिए जीवन के आखिरी क्षण तक प्रयास करते रहे शिष्टाचार बड़प्पन महाजनी उन्हें विरासत में मिली थी सही मायने में बाबू जगदंबा प्रसाद निगम डॉ राम मनोहर लोहिया की सच्चे उत्तराधिकारी थे ।
ईमानदारी सादगी विनम्रता त्याग संघर्ष और वैचारिक प्रतिबद्धता की अनूठी मिसाल छात्र जीवन से ही समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे समाजवादियों की आपसी लडायी बार-बार टूटते और बिखरने के अभिशप्त रहे समाजवादी आंदोलन के नेताओं की जमात में वे अकेले ऐसे थे जिन्होंने हमेशा राग दोष से मुक्त रहते हुए समाजवादी साथी कार्यकर्ताओं को जोड़ने का काम किया देश आजाद होने के बाद गोवा मुक्ति आंदोलन समाजवादी आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी अन्याय और गैर बराबरी के खिलाफ संघर्ष उनका बेमिसाल थाकर्तव्य करने वाला एक होता है उसकी स्थिति करने वाले होते हैं हर स्थिति मुसीबत और तकलीफ उठा कर गरीबों के साथ उनके अन्याय का विरोध करने के लिए कमर कसकर तैयार रहने वाले बाबू जगदंबा प्रसाद निगम बुंदेलखंड वासियों को रह रह कर याद आएंगे ।
बुंदेलखंड में सामंतवाद आतंकवाद सामंती व्यवस्था गुलामी और जनसाधारण के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ संगठित होकर आंदोलन करना प्रारंभ कर दिया उन दिनों ऐसी हिमाकत कर पाना कल्पना से परे था एक दूरूह कारी था तदोपरांत जीवन मूल्य जीवन पर्यंत जिन मूल्यों के लिए बाबू जगदंबा प्रसाद निगम ने संघर्ष किया सत्ता सुख भोग खिलाकर सशक्त वह कर उनका संघर्ष को जीवन का ध्येय बनाकर अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया लोकतंत्र संप्रभुता पंथनिरपेक्ष मानव अधिकार तथा समाजवादी समाज की रचना की खातिर गरीबों के हित में हमेशा लड़ते रहेमध्यप्रदेश विधानसभा में बाबू जगदंबा प्रसाद निगम हमेशा गरीबों की आवाज उठाते रहे इतने लोकप्रिय थे जब निगम साहब विधानसभा से निकलते तो सड़कों पर निगम जी से मिलने और देखने के लोगों का हुजूम लग जाता थाबाबू जगदंबा प्रसाद निगम जी स्वतंत्र चेतना के व्यक्ति थे
समाजवादी आंदोलन में यदि टूट-फूट घाट प्रतिघात झगड़े नहीं होते तो संभव है कि बाबू जगदंबा प्रसाद निगम बहुत दूर तक जाते एक संभावनाओं से भरे योग होनहार राजनेता परंतु राजनीतक कुटिलताओं ने अवसर छीन लिए उन लोगों में से नहीं थी जो जुबान पर कुछ कहें और मन में कुछ सोचें उर्वरक तीक्ष्ण बुद्धि आत्मविश्वास से लवरेज रहते थे उनके व्यक्तित्व में इतनी विशेषताएं थी जो किसी भी व्यक्ति को शिखर पर ले जाती हैं बुंदेलखंड में जगदंबा प्रसाद निगम की बराबरी का कोई नेता नहीं रहागरीबों के मसीहा महान समाजवादी चिंतक विचारक बाबू जगदंबा प्रसाद निगम जी को अश्रुपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि
कैलाश रावत