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छत्तीसगढ़ में सत्ता की जंग और सीबीआई छापेमारी

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सत्यप्रकाश दुबे

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके सहयोगियों के घरों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की छापेमारी ने प्रदेश में एक बार फिर सियासी हलचल मचा दी है। यह कार्रवाई महादेव सट्टा एप मामले से जुड़ी हुई बताई जा रही है, जिसमें भूपेश बघेल, उनके परिवार, और कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगे हैं। इस छापेमारी को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है, और प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है। महादेव सट्टा एप घोटाला एक बड़ा वित्तीय घोटाला है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि भारी मात्रा में नकद लेन-देन हुआ था। इसके अंतर्गत कुछ पुलिस अधिकारियों और नेताओं पर आरोप हैं कि उन्होंने हर महीने लाखों रुपये के बदले इस घोटाले को संचालित किया।

इस मामले में भूपेश बघेल, उनके बेटे चैतन्य बघेल, भिलाई के कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव, और कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम आए हैं। सीबीआई की इस कार्रवाई के पीछे यही आरोप हैं, जिनकी जांच जारी है। यह कार्रवाई पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई शराब घोटाले की जांच से जुड़ी हुई है, जिसमें भूपेश बघेल और उनके बेटे के खिलाफ आरोप लगे थे। इसी क्रम में अब सीबीआई ने भूपेश बघेल सहित कई अन्य नेताओं और अधिकारियों के घरों पर छापेमारी की है, जो महादेव सट्टा एप घोटाले से जुड़े हुए थे। सीबीआई की छापेमारी के बाद छत्तीसगढ़ के राजनीतिक माहौल में हलचल मच गई है।

कांग्रेस और भाजपा दोनों पक्ष एक-दूसरे पर कड़ी टिप्पणियां कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि भाजपा ने सीबीआई को भूपेश बघेल और देवेंद्र यादव के पीछे लगा दिया है, लेकिन यह सब सत्ता की हताशा के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस कभी नहीं झुकेगी और न रुकेगी। कांग्रेस के इस बयान से साफ है कि वे सीबीआई की कार्रवाई को राजनीतिक साजिश मानते हैं। वहीं, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने भी इसे लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी बताया और आरोप लगाया कि भाजपा केंद्रीय एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है। उनका कहना था कि भाजपा हर नाकाम कोशिश के बाद अब सीबीआई को इस कार्रवाई में लगा रही है, जो पूरी तरह से सत्ता के अन्याय का हिस्सा है। उन्होंने भी कांग्रेस के नेताओं को विश्वास दिलाया कि सत्य और न्याय की जीत होगी।

कांग्रेस नेता अमरजीत भगत ने भी भाजपा को एक कड़ा संदेश दिया और कहा कि ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए, औरों को शीतल करे आपहू शीतल हो” के जरिए भाजपा को समझाया कि काम ऐसा करना चाहिए जिससे समाज में अच्छा संदेश जाए। उन्होंने यह भी कहा कि भूपेश बघेल को हमेशा केंद्रीय एजेंसियों द्वारा निशाना बनाया जाता रहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी इससे डरने वाली नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सीबीआई की जांच में कांग्रेस नेताओं को सहयोग करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर केंद्रीय एजेंसियां भ्रष्टाचार की जांच कर रही हैं तो यह कोई दुर्भावना नहीं हो सकती, बल्कि यह न्याय का हिस्सा है। उनका मानना था कि राजनीति से प्रेरित आरोपों की बजाय सभी को जांच में सहयोग करना चाहिए और प्रक्रिया को सही तरीके से पूरा होने देना चाहिए। उनका कहना था कि कोई भी कार्रवाई चुनाव से पहले या बाद हो सकती है, लेकिन सबको न्याय के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। सीबीआई की टीम ने भिलाई-3 स्थित भूपेश बघेल के आवास, भिलाई सेक्टर-9 में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के ठिकानों पर दबिश दी। इनमें पुलिस अधिकारी डॉ. आनंद छाबड़ा, पूर्व एसपी दुर्ग डॉ. अभिषेक पल्लव, और पूर्व एएसपी दुर्ग संजय ध्रुव शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव और वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा के घरों पर भी जांच की जा रही है। रायपुर में पुलिस अधिकारियों शेख आरिफ और अभिषेक महेश्वरी के घर भी सीबीआई की टीम ने दबिश दी। इन सभी अधिकारियों और नेताओं के नाम महादेव सट्टा एप घोटाले से जुड़े मामलों में पहले ही सामने आ चुके थे, और इन पर आरोप है कि वे इस घोटाले में शामिल थे। भूपेश बघेल ने सीबीआई की छापेमारी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब सीबीआई आई है।

उन्होंने बताया कि वह अहमदाबाद में 8-9 अप्रैल को होने वाली AICC की बैठक के लिए दिल्ली जाने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही सीबीआई ने उनके रायपुर और भिलाई स्थित निवास पर छापा मारा। इस बयान से यह साफ हो जाता है कि भूपेश बघेल इस कार्रवाई को एक राजनीतिक साजिश मानते हैं और इसे चुनावी मुद्दों से पहले उठाया गया कदम मानते हैं। इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ 2,161 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले की जांच की थी। 10 मार्च को ED ने भूपेश बघेल के घर पर छापेमारी करते हुए 33 लाख रुपये नकद बरामद किए थे। उस समय कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन किया था और बघेल के घर के बाहर जमकर नारेबाजी की थी। यह विरोध आज भी जारी है, और बघेल के निवास के बाहर सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं, ताकि किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित किया जा सके। सीबीआई की छापेमारी ने छत्तीसगढ़ की राजनीति को एक नया मोड़ दिया है।

जहां एक ओर कांग्रेस इसे सत्ता के दुरुपयोग और राजनीतिक प्रतिशोध की साजिश मानती है, वहीं भाजपा इसे भ्रष्टाचार की जांच और न्याय के पक्ष में उठाया गया कदम बता रही है। प्रदेश की राजनीति में इस छापेमारी का जो असर पड़ रहा है, उससे साफ है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता की जंग और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी रहेंगे । सीबीआई की जांच का नतीजा चाहे जो भी हो, लेकिन इसने प्रदेश की राजनीति को एक बार फिर से गरमा दिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।

सीबीआई की छापेमारी को लेकर छत्तीसगढ़ की राजनीति में उबाल आ चुका है, और दोनों प्रमुख राजनीतिक दल इसे अपने पक्ष में उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, यह भी देखा जाएगा कि केंद्रीय एजेंसियां अपने आरोपों में कितनी सफलता हासिल करती हैं और क्या न्यायिक प्रक्रिया के तहत सभी आरोप सही साबित होते हैं या नहीं। इस घटना ने राज्य की राजनीतिक स्थिति को बदल दिया है, और यह आगामी चुनावों में एक अहम मुद्दा बन सकता है।

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