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बीएचयू गैंगरेप: भाजपा नेताओ से जुड़ाव के चलते आरोपियों की हुई रिहाई!

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महेंद्र मिश्र

कल सुप्रीम कोर्ट के बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में पीएम मोदी जब बलात्कार को रोकने के लिए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की वकालत कर रहे थे तो ठीक उसी समय उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गैंगरेप के आरोपी और उनकी पार्टी के आईटी सेल के दो पदाधिकारी जेल से छूटने के बाद जश्न मना रहे थे। और यह घटना कोई सामान्य घटना नहीं थी। देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शुमार बीएचयू के परिसर में आईआईटी की द्वितीय वर्ष की एक छात्रा के साथ घटित हुई थी।

और बलात्कार नहीं बल्कि उसके साथ गैंग रेप हुआ था। इसको अंजाम देने वाले बीजेपी के आईटी सेल के तीन पदाधिकारी थे। और वह भी रिवाल्वर की नोक पर। इनमें से कुछ की फोटो पीएम मोदी के साथ देखी जा सकती है। कुछ की सीएम योगी के साथ वायरल हुई थी। अंत्रियों-मंत्रियों के साथ उनकी तस्वीरों की तो कोई गिनती ही नहीं है। 

अमूमन तो शुरू में एफआईआर ही नहीं दर्ज हो रही थी लेकिन जब सीसीटीवी फुटेज में इन चेहरों को पहचान लिया गया। और बीएचयू में छात्र-छात्राओं का भीषण आंदोलन चला जिसमें शहर के तमाम संगठन भी शामिल हुए। उसके बाद इनकी गिरफ्तारी संभव हो पायी। हालांकि यह बात सबको पता थी कि भले ही दबाव में गिरफ्तारी हो गयी है लेकिन कानून इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। और जैसा सोचा गया था पुलिस भी उसी रास्ते पर आगे बढ़ी। उसने न तो ठीक से जांच की और न ही केस को गंभीरता से लेने की कोई जहमत उठायी। जिसका नतीजा यह रहा कि सात महीने बाद ही तीन में से दो को जमानत मिल गयी है और तीसरे की जमानत के लिए सितंबर में नई तारीख लगी है। 

अब कोई पूछ सकता है मोदी जी से कि आपके ही क्षेत्र में आपके ही आंख और कान के नीचे इतनी जघन्य घटना को अंजाम देने वाले ये कथित रणबाकुरे कैसे छूट गए? क्या आपको इसकी भनक नहीं लगी? अगर ऐसा हुआ है तो फिर आपके पूरे तंत्र पर ही सवालिया निशान खड़ा हो जाएगा। लेकिन सब लोग जानते हैं कि ऐसा नहीं हुआ होगा क्योंकि पुलिस और प्रशासन की मजाल नहीं है कि आपके क्षेत्र में कोई घटना घटे और उसको किस दिशा में और किस अंजाम तक ले जाना है।

आपकी मर्जी जाने बगैर उस पर अपने से फैसला ले ले। अगर खाकीवर्दीधारियों ने गहन जांच करने की जगह मामले में हीला हवाली बरती है तो इसका मतलब है कि इसकी हरी झंडी आपके यहां से ही मिली है। वरना आज आरोपी न केवल जेल की सींखचों के पीछे होते बल्कि फास्ट ट्रैक कोर्ट या फिर इसी तरह की लंबी ही सही सामान्य कानूनी कार्यवाही के बाद सजा और जेल की हवा काट रहे होते। लेकिन आप प्रधानमंत्री हैं और उनके आप आका हैं इस लिए किस पुलिस, किस प्रशासन, किस जेल और किस कानून के पास यह हिम्मत है कि उन्हें बहुत दिनों तक जेल के भीतर रोक सके। 

लेकिन इस पूरी घटना से आप का और आप की पार्टी दोनों के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश हो गया है। कोलकाता में हुई रेप की घटना में पार्टी से लेकर केंद्र सरकार तक और संवैधानिक संस्थाओं गवर्नर से लेकर राष्ट्रपति तक को आप ने मोर्चे पर लगा दिया। और फिर अपनी पालतू मीडिया के सहयोग से पूरे देश में बवाल खड़ा करवा दिया। लेकिन बात जब बीजेपी शासित राज्यों की आती है या फिर उससे जुड़े पदाधिकारी या नेता होते हैं तो आप की हलक से शब्द नहीं फूटते हैं। कौन कहे उनके खिलाफ सामान्य कानूनी कार्रवाई की इजाजत देने के आप उन्हें हर तरीके से छुड़ाने के प्रयास में जुट जाते हैं।

आपके मॉडल राज्य गुजरात के राजकोट में कल ही एक घटना सामने आयी है जिसमें एक कॉलेज के होस्टल की एक लड़की के साथ उसका ही ट्रस्टी कई महीनों से बलात्कार कर रहा था। अब जब बच्ची एफआईआर लिखाने गयी तो पहले उसका एफआईआर नहीं दर्ज हुआ और फिर दबाव में पुलिस ने दर्ज किया तो अब गिरफ्तारी नहीं हो रही है। क्योंकि उस ट्रस्टी के बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष के साथ गहरे रिश्ते हैं। 

लिहाजा पुलिस हिम्मत ही नहीं कर पा रही है कि उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। और गहरी छानबीन में जाने पर पता चलेगा कि कॉलेज के मालिकान के बीजेपी के साथ नाभिनाल के रिश्ते हैं। क्योंकि गुजरात में इस तरह के पैसे वालों और रसूखदार लोगों का बीजेपी के साथ गहरा रिश्ता बन गया है। यही नहीं पीड़िता के वकील ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में बताया कि यही अकेली नहीं ऐसी छह-सात लड़कियां हैं जो बलात्कार की शिकार हैं लेकिन डर के चलते मुंह खोलने की हिम्मत नहीं कर पा रही हैं। 

ये वो मामले हैं जो शिक्षा जगत से जुड़े हैं। इसके पहले यूपी, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में इस तरह की तमाम घटनाएं घट चुकी हैं और तमाम अखबारों और मीडिया की सुर्खियां बनीं हैं। लेकिन आपको दिखते हैं तो केवल और केवल विपक्ष शासित राज्य। 

दरअसल देश में सत्ता और सरकार का जो इकबाल है वही खत्म हो चुका है। बलात्कार के तमाम मामलों में जिस तरह से आरोपियों को रिहा करवाया गया उससे बलात्कारियों के मन से भय और डर बिल्कुल समाप्त हो गया है। अगर कोई रसूखदार है। या फिर उसकी पहुंच सत्ता के ठिकानों तक है। तो उसको पता है कि अपराध करने के बाद भी उसे सजा नहीं मिलेगी और कुछ दिनों बाद वह बाइज्जत बरी हो जाएगा। अगर देश के किसी हिस्से में इस तरह का भाव आ जाए तो फिर किसी को अपराध करने से कोई नहीं रोक सकता है। 

आपके चहेते भी जान गए हैं कि प्रधानमंत्री जी के भाषण को कब ग्रहण करना है और कब बेफिक्री से उड़ा देना है। क्योंकि वो जानते हैं कि कब आप उनके लिए बोलते हैं और कब बाकी जनता और उसके कंजम्शन के लिए, जिसका वोट लेना है। इसलिए वे बिल्कुल निर्भय होकर इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं।

इसलिए अब इस तरह के जुमलों का इस्तेमाल करना बंद कीजिए। लोग भी अब आपकी फितरत को समझने लगे हैं। और उनको भी पता है कि पीएम किस समय लोक दबाव में मजबूरी बस बोल रहे होते हैं किस समय सचमुच में अपनी चीजों को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

कोलकाता को लेकर देश का मीडिया जिस तरह से गरम था। बीएचयू को लेकर उसकी संवेदनशीलता क्या पानी भरने चली गयी? दरअसल यह मीडिया सत्ता का शिकारी कुत्ता बन गया है। और उसे पता है कि मालिक के इशारे पर कब और किस पर हमला करना है और कब किसको बचाना है। तो बीएचयू में भला अपने ही विस्तारित परिवार के किसी सदस्य को वह कैसे कठघरे में खड़ा कर सकता है। वह तो गोत्र भाई निकला। भला अपने भाई को भी कोई सजा दिलवाता है? लिहाजा बीएचयू पर मीडिया ने एक चुप और हजार चुप का स्टैंड तय कर लिया है। और वह उसी पर कायम है।

(महेंद्र मिश्र जनचौक के संपादक हैं।)जनचौक से साभार

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