असम, उप्र के बाद अब हरियाणा में भी निकली बघेल की हेकड़ी*
*”लूट लेवा हमर छत्तीसगढ़ला” भ्रष्टाचार, दमन और अराजकता से चल रहा है भूपेश राज*
*विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन*
पिछले तीन दिनों से दिल्ली में कांग्रेस का संघर्ष चरम पर चल रहा है। वैसे यह संघर्ष राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध को लेकर है। पूरे देश के कांग्रेसी दिग्गज इस विरोध में राहुल गांधी के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं लेकिन इसमें कुछ नाम ऐसे भी हैं जो संघर्ष की आड़ में खुद की राजनीति चमकाने में बाज नहीं आ रहे हैं। इसमें सबसे प्रमुख नाम है छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का। वैसे भी भूपेश बघेल दिल्ली मीडिया से ही अपनी छबि चमकाकर राजनीति चमकाते हैं। अपनी राजनीति चमकाने का इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता था। इसी के चलते दिल्ली मीडिया के पोस्टर ब्वॉय भूपेश की एक फोटो वायरल हुई। जिसमें उन्होंने चेतावनी दी है “हम सब याद रखेंगे”। सच कहा है भूपेश बघेल ने। मेरे जैसे सैकड़ों पत्रकार, ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारी और छत्तीसगढ़ के कितने सारे लोग आपको हमेशा याद रखते ही हैं। छत्तीसगढ़ में आपके काले कारनामों और आपकी चंडाल चौकड़ी (दो पत्रकार, एक नान घोटाले का मुख्य आरोपी और आपकी प्रिय मित्र अधिकारी) को बहुत याद रखते हैं, जिन्होंने आपकी सरपरस्ती में एक निर्दाग प्रदेश को कलंकित कर दिया है। भय, आतंक और भ्रष्टाचार में पूरे प्रदेश को डुबा दिया है। और जो कोई भी आपके और आपके प्रिय तथाकथित मित्रों के खिलाफ लिखता है या आवाज उठाता है उसे पुलिसियां कार्यवाही के लिए तैयार होना पड़ता है। पत्रकार कमल शुक्ला, संतोष शुक्ला, सुनील नामदेव जैसे कितने पत्रकार हैं जिन्होंने प्रदेश में भूपेश सरकार की सच्चाई को उजागर किया तो भूपेश बघेल ने उन्हें जेल की हवा खिलवा दी। एक एडीजी स्तर के अधिकारी जीपी सिंह ने आपकी चौकड़ी के मेंबर का नान घोटाले का केस नहीं सुलटाया तो उनके साथ क्या हुए, यह पूरा प्रदेश उससे वाकिफ है। पूरे प्रदेश भ्रष्टाचार, दमन का वातावरण है। उसे पूरा प्रदेश 2023 में जरूर याद रखेगा।
अपने रिश्तेदार पत्रकार विनोद वर्मा से छत्तीसगढ़ से लूटे पैसे से दिल्ली मीडिया मैनेज कर पोस्टर ब्वॉय बने हुए हैं। भूपेश बघेल के काले कारनामों में साथ देने वालों की कमी नहीं है। एक उनके रिश्तेदार विनोद वर्मा हैं, जिन्होंने विपक्ष में रहते हुए भाजपा के मंत्री की नकली अश्लील वीडियो बनाकर बंटवाया। एक नान घोटाले का प्रमुख आरोपी है जिसे भूपेश बघेल ने सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे रखी है। इसके अलावा उनके मीडिया सलाहकार बने बैठे हैं रूचिर गर्ग। जो जनसंपर्क विभाग में अपनी मनमर्जी चला रहे हैं। किसको विज्ञापन देना है, किसको नहीं देना है, यह सब उनके हाथ में है। इसके अलावा पत्रकार विनोद वर्मा का लड़का भी जनसंपर्क विभाग से विज्ञापन का काम करता है और प्रदेश की भोलीभालि जनता का पैसा लुटवाता है।
कुल मिलाकर वर्तमान में आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ में लूटपाट का ऐसा खेल खेला जा रहा है जिसमें आदिवासियों के हकों को मारा जा रहा है। उनके हक के पैसों को बाहर के प्रदेशों में लुटाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ ही ऐसा प्रदेश हैं जहां की सरकार उत्तरप्रदेश, हरियाणा और असम जैसे प्रदेशों के लिए अपने प्रदेश का पैसा फिजूलखर्ची में खर्च कर रही है।
अब समय आ गया है कि कांग्रेस हाईकमान भूपेश बघेल की कारगुजारियों पर अंकुश लगाकर कोई बड़ा एक्शन ले। एक्शन ऐसा हो कि प्रदेश की जनता में एक सटीक संदेश जाये। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन बेहतर विकल्प हो सकता है। क्योंकि अब राज्य के विधानसभा चुनाव में सिर्फ डेढ़ साल का समय बचा है। कहीं ऐसे ही बघेल अपनी मनमर्जी चलाते रहे तो वह दिन दिन दूर नहीं जब एक और प्रदेश कांग्रेस के हाथ से चला जायेगा।
*बघेल की अकुशलता, अहंकार और अति आत्मविश्वास से हार गई हरियाणा सीट*
चार राज्यों की 16 राज्यसभा सीटों पर हुई वोटिंग के नतीजे आ चुके हैं। महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक से भी ज्यादा हैरानी हरियाणा के परिणामों ने दी है। हरियाणा में 02 सीटों पर राज्यसभा के चुनाव थे। कयास लगाए जा रहे थे कि एक सीट पर भाजपा तो दूसरी पर कांग्रेस की जीत पक्की है, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी ने यहां बड़ा उलटफेर कर दिया और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन चुनाव में हार गए। हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। हरियाणा की लगभग जीती हुई राज्यसभा सीट पर बघेल की अकुशलता, अहंकार और अति आत्मविश्वास से हार गई। बता दें कि क्रास वोटिंग के डर से हरियाणा के 28 विधायकों को करीब सप्ताह भर तक छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर के होटल में रखा गया था। रिसार्ट में पूरी चाक चौबंद और व्हीआईपी व्यवस्था के साथ पूरे एक सप्ताह से रखा गया था। उनकी आवभगत में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रही और ठीक वोटिंग के एक दिन पहले स्पेशल चार्टर प्लेन से ले जाया गया। उसके बाद भी एक वोट से कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी अजय माकन हार गए और धनबल, चाक चौबंद, लाव लश्कर सब धरी की धरी रह गई और कोई भी काम नहीं आया। इसका मतलब साफ है कही न कही नियुक्त पर्यवेक्षक की नेतृत्व क्षमता कमजोर रही, जिसके चलते कांग्रेस प्रत्याशी जीतने में सफल नहीं हुए। पार्टी के पास संख्या बल पर्याप्त थी, लेकिन क्रास वोटिंग के कारण कांग्रेस प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। अब हाईकमान को सोचने की जरूरत है, इस पर विचार करते हुए भूपेश बघेल पर कड़ी कार्यवाही करने की जरूरत है ताकि आने वाले विधानसभा चुनावों में किसी प्रकार की चूक न होने पाए। हम अंदाजा लगा सकते हैं कि बघेल ने राज्य का कितना पैसा बर्बाद किया है। स्वाभाविक है कि बर्बादी का यह सब पैसा छत्तीसगढ़ का ही था। चुनाव प्रचार के नाम पर बघेल ने अरबों रूपये की लूटपाट मचायी।
*टीएस सिंहदेव ने जितवाईं राजस्थान की तीनों सीटें*
राजस्थान राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता और राजस्थान राज्यसभा चुनाव के प्रभारी टीएस सिंहदेव की सूझबूझ समझदारी और आपसी सामंजस्य, सौम्य, सरल स्वभाव की जीत है। राज्यसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस ने तीनों ही सीटों पर विजय प्राप्त की है। सिंहदेव बाबा राजस्थान के सभी विधायकों को एक जुटकर आपसी सामंजस्य स्थापित करते हुए तालमेल बनाने में सफल रहे। चाहे वो बसपा से आये विधायक रहे हों यह फिर निर्दलीय विधायक हों, सभी के सभी विधायकगण उनके साथ रहे। राज्यसभा चुनाव में एक पर्यवेक्षक पवन बंसल भी थे जिन्होंने पूरी जवाबदारी सिंहदेव को सौंपकर दिल्ली से ही मॉनिटरिंग करते रहे। गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव का बिगुल बजते ही कांग्रेस ने अपने विधायकों को जुटाना शुरू कर दिया था। उदयपुर में जहां पार्टी का चिंतन शिविर हुआ था, वहीं सभी विधायकों को ठहराया गया। इधर, बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों और निर्दलीय विधायकों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद मिलते रहे। कांग्रेस ने 04 सीटों में से 03 पर कैंडिडेट उतारे थे। तीन सीट जीतने के लिए 123 वोटों की जरूरत थी। वोटिंग के बाद कांग्रेस को 126 वोट मिले। चुनाव में सुरजेवाला को 43, वासनिक को 42 और तिवारी को 41 और घनश्याम तिवाड़ी को 43 वोट मिले। निर्दलीय सुभाष चंद्रा को 30 वोट मिले। वे चुनाव हार गए।
*देश के बड़े उद्योगपति से मिली 25,000 करोड़ की दान दक्षिणा?*
विपक्ष में रहते हुए भूपेश बघेल जिस गौतम अदानी को पानी पी-पी कर दिन रात कोसा करते थे। आज वहीं अदानी बघेल की कृपापात्र से छत्तीसगढ़ की प्रमुख हसदेव कोयला की दोनों खदानों का कॉन्ट्रैक्टर है। सूत्रों का कहना है इस खदान डील में भूपेश बघेल को लगभग 25,000 करोड़ की दान दक्षिणा भी मिली है। इसमें से कुछ राशि (करोड़ों में) दिल्ली किसी सुब्रत (सहाराश्री नही) के हाथों से पहुंचावा भी दिया गया है। निश्चित तौर पर 2023 के बाद बघेल को देश का सबसे अमीर कांग्रेसी बनने का ताज मिलेगा। यह ताज हमर छत्तीसगढ़ला को लूटकर ही मिलेगा।
*रणनीति बनाने में असफल बघेल*
*उप्र: 42 जगहों पर भूपेश बघेल ने प्रचार किया, 41 जगह हारी कांग्रेस*
उत्तरप्रदेश में कांग्रेस का प्रदर्शन इस बार चुनावी इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। राज्य में खराब प्रदर्शन के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। क्योंकि पार्टी ने बघेल को चुनाव का प्रभारी पर्यवेक्षक बनाया था। बघेल ने प्रदेश की कुल 42 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार किया। जिसमें से 41 जगहों पर पार्टी बुरी तरह हारी। वोट प्रतिशत केवल 2.33 पर आ गया। सूत्र बताते हैं कि जिन नेताओं को उत्तरप्रदेश चुनाव प्रचार के लिए भेजा गया था वे नेता होटल से बाहर ही नहीं निकले और अगर निकले भी तो नेता हंसी ठिठोली और तफरीह करते नजर आए। इतना ही नहीं भूपेश बघेल ने अपने चुनाव प्रचार में तीन हजार करोड़ रूपये खर्च किये। यह पूरा का पूरा छत्तीसगढ़ का था। सूत्रों का कहना है कि इस भारी रकम का आधा ही पैसा खर्च किया बाकी के पैसों की बंदरवांट की गई।