भाजपा ने उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत भले ही पा लिया है लेकिन कर्मचारियों और बुजुर्ग-बीमारों ने अपने कदम खींच लिए हैं। पोस्टल बैलेट की गिनती के बाद यही तस्वीर उभर कर सामने आई है। नोएडा, कानपुर, मुरादाबाद और प्रयागराज में तो भाजपा को समर्थन मिला है लेकिन छोटे शहरों में सूपड़ा साफ है।
ब्रज में भाजपा को भरपूर साथ मिला जबकि मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर की नौ सीटों में सिर्फ उनके शहर क्षेत्र तो प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की आठ सीटों में चार पर ही पार्टी को पोस्टल बैलेट की गिनती में बढ़त मिली। यही हाल राजधानी लखनऊ का भी है जहां नौ में आठ सीटों पर भाजपा पीछे रह गई।
इस बार चुनाव आयोग ने कर्मचारियों के साथ ही बुजुर्ग और दिव्यांगों को भी पोस्टल बैलेट से मतदान की सुविधा दी थी। इस वजह से इस बार पोस्टल बैलेट के मतों की अहमियत भी ज्यादा रही। बात करते हैं राजधानी लखनऊ की। यहां लखनऊ पूर्व सीट से आशुतोष टंडन को ही पोस्टल बैलेट की गिनती में बढ़त मिली, शेष आठ सीटों पर सपा भारी पड़ी।
इसी तरह मुख्यमंत्री के गृहजनपद गोरखपुर में शहर सीट के अलावा बाकी आठ सीटों पर कर्मचारियों और पोस्टल बैलेट से मतदान करने वाले बुजुर्गों-दिव्यांगों की पसंद सपा रही जबकि भाजपा को सभी नौ सीटों पर जीत मिली है। गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों बात करें तो भाजपा गठबंधन ने इनमें से 34 सीटों पर जीत दर्ज की है लेकिन पोस्टल बैलेट में सिर्फ दो सीटों पर बढ़त मिली है। 2017 में दोनों मंडलों में छह सीटों पर भाजपा ने पोस्टल बैलेट में बढ़त बनाई थी।
पूर्वांचल में सिर्फ वाराणसी में बराबरी
वाराणसी में पोस्टल बैलेट का मैच टाई होने जैसा है, जहां चार सीटों पर भाजपा तो चार पर सपा ने पोस्टल बैलेट में बढ़त दर्ज की। राज्य कर्मचारी संघ परिषद के जिलाध्यक्ष शशिकांत श्रीवास्तव जीती सीटों पर पोस्टल बैलेट में पिछड़ने की वजह को कर्मचारियों की चेतावनी बताते हैं।
कानपुर की 10 में से सात सीटों पर भाजपा को सबसे ज्यादा पोस्टल बैलेट मिले। हालांकि पूर्वांचल के ही मऊ, बलिया, आजमगढ़, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, सोनभद्र समेत सभी जिलों के साथ ही बुंदेलखंड व अवध क्षेत्र में पोस्टल वोटिंग में भाजपा की हार हुई है।
भाजपा के साथ पर सहयोगी दल से खींचे हाथ
प्रयागराज में भाजपा ने 12 में से सात सीटों इलाहाबाद उत्तरी, इलाहाबाद पश्चिमी, इलाहाबाद दक्षिणी, करछना, कोरांव, फाफामऊ और फूलपुर पर जीत दर्ज की है। भाजपा ने इन सीटों पर पोस्टल बैलेट पर भी जीत दर्ज की है।
बारा में सहयोगी अपना दल ‘एस’ ने भले ही सीट जीती, लेकिन पोस्टल बैलेट में कम मत मिले। शेष चारों सीटें प्रतापपुर, मेजा, हंडिया और सोरांव सपा ने जीती हैं और यहां पर पोस्टल बैलेट में भी सपा ही आगे रही। वर्ष 2017 में भी भाजपा की तस्वीर इसी तरह की थी और सहयोगी दल को पोस्टल बैलेट में बढ़त नहीं मिल पाई थी।
बरेली से मुरादाबाद तक नहीं मिला साथ
रुहेलखंड के चार जिलों की 25 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा ने 20 और सपा ने पांच सीटें जीती हैं। चुनाव में भले ही भाजपा आगे रही पर पोस्टल बैलट के मतदान में पिछड़ गई। 25 सीटों में से 22 सीटों पर पोस्टल बैलट मतदान में सपा आगे रही। भाजपा सिर्फ बरेली शहर सीट और बदायूं की दातागंज व सहसवान सीट पर ही ज्यादा वोट ले पाई।
शाहजहांपुर की 6 और पीलीभीत की 4 सीटों पर हारने वाले सपा प्रत्याशियों को पोस्टल बैलट के वोट ज्यादा मिले। रुहेलखंड के चार जिलों बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर में में पोस्टल बैलट से कुल 22566 वोट पड़े। इसमें सपा को 12007 और भाजपा को 7443 वोट प्राप्त हुए, बाकी वोट कांग्रेस, बसपा सहित अन्य दलों को मिले हैं। मुरादाबाद मंडल के चार जिलों की 19 सीटों में 15 पर पोस्टल बैलेट में सपा और 4 पर भाजपा ने बढ़त हासिल की। जबकि मंडल में छह सीटों पर भाजपा के विधायक जीते हैं।
नोएडा-गाजियाबाद में भाजपा के साथ
नोएडा की तीनों सीटों जेवर, दादरी और नोएडा में भाजपा ने पोस्टल बैलेट में बढ़त दर्ज की। इसी तरह गाजियाबाद की पांचों सीटों पर कुल 5580 पोस्टल बैलेट मत पड़े जिनमें 2887 मत हासिल कर भाजपा सबसे आगे रही। यहां सपा को 1791 मत ही मिले।
ब्रज में पोस्टल बैलेट में भी भाजपा आगे
ब्रज की तस्वीर अन्य इलाकों से उलट है। यहां की 30 सीटों में 23 पर भाजपा को पोस्टल बैलेट में भी बढ़त मिली है। सपा सिर्फ सात सीटों पर ही बढ़त बना सकी। आगरा में सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले आगरा उत्तर के भाजपा विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल पोस्टल वोट में भी अव्वल रहे। उनको कुल 1164 पोस्टल वोट में से 652 हासिल हुए।
वहीं पोस्टल मतों की संख्या में आगरा ग्रामीण विधानसभा अव्वल रही। यहां कुल 1274 पोस्टल मत डाले गए। सर्वाधिक 619 वोट भाजपा प्रत्याशी बेबीरानी मौर्य को हासिल हुए। मथुरा में भी सभी पांच सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने पोस्टल बैलेट में बाजी मारी। फिरोजाबाद में पोस्टल बैलेट ने टूंडला, फिरोजाबाद में भाजपा का साथ दिया तो सिरसागंज, शिकोहाबाद और जसराना सीटों पर सपा के पक्ष में ज्यादा वोट पड़़े। मैनपुरी और एटा में पोस्टल बैलेट की गिनती में सपा ने बाजी मारी। कासगंज में पोस्टल वोट में कासगंज-पटियाली में सपा, जबकि अमांपुर में भाजपा आगे रही।
अलीगढ़ में सीटें जीतीं पर पोस्टल बैलेट में पिछड़ी
अलीगढ़ में कुल सात सीटें हैं। इस बार सभी पर भाजपा ने जीत दर्ज की है लेकिन पोस्टल बैलेट में चार पर पिछड़ गई है। इन चारों सीटों पर सपा ने बढ़त दर्ज की है। सेवानिर्वत पेंशनर्स व शिक्षक एसोसिएशन के अध्यक्ष उदयराज सिंह बताते हैं कि भाजपा सरकार अपने 5 साल के कार्यकाल में पुरानी पेंशन बहाली नहीं कर पाई। जिसकी वजह से सरकारी कर्मचारी व शिक्षक वर्ग में नाराजगी थी। इसका साफ असर पोस्टल बैलट में देखने को मिला है।