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पूंजीवादी देश बन गए हैं दुनिया की सबसे क्रूरतम ताकतें

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,मुनेश त्यागी 

      पिछले काफी समय से अपनी जिंदगी में हम देखते और पढ़ते आ रहे हैं कि दुनिया की तमाम सामंती और पूंजीवादी ताकतें अपने विरोधियों को खास तौर से स्वतंत्रता सेनानियों को और क्रांतिकारी समाजवादी ताकतों को अमानवीय, आतंकवादी और देशद्रोही घोषित करती चली आ रही हैं। जब हमारे स्वतंत्रता सेनानी 1857 के भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भारत की आजादी के लिए लड़ रहे थे तो अंग्रेजों ने उन्हें भी आतंकवादी और देशद्रोही कहा था। इसके बाद शहीद-ए-आजम भगत सिंह और उनके साथियों को भी लुटेरे अंग्रेजों ने आतंकवादी, हिंसक और अपराधी करार दिया था।

       इसके बाद हमने देखा कि दुनिया की तमाम लुटेरी ताकतें जिनमें इंग्लैंड, अमेरिका, जर्मनी, जापान, फ्रांस आदि शामिल थीं, वे भी दुनिया में चल रहे तमाम प्रगतिशील, जनवादी, क्रांतिकारी और समाजवादी आंदोलन के बारे में भी ऐसी ही तस्वीर पेश करते रहते थे। इसी दरमियान हमने देखा कि दुनिया को लूटने वाली ये तमाम ताकतें दुनिया के तमाम क्रांतिकारियों को जिनमें,,, हो ची मिन्ह, माओ फिदेल कास्त्रो, चे ग्वेरा, नेल्सन मंडेला, यासिर अराफात आदि आदि क्रांतिकारी शामिल थे, उनको भी ये अमानवीय ताकतें, शैतान, दुश्मन, आतंकवादी और समाज के दुश्मन ठहराते रहते थे।

      अपने जीवन काल में हमने पढ़ा और देखा है कि  दुनिया में सबसे ज्यादा कत्लोगारत, हिंसा, अपराध और मारकाट इन्हीं सामंती और पूंजीवादी लुटेरी ताकतों ने की है। हमने प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में पढ़ा है कि इन्हीं जालिम लुटेरी और शोषक पूंजीपति ताकतों ने अपने मुनाफों को बरकरार रखने के लिए और दुनिया में अपनी लूट के साम्राज्य को कायम रखने के लिए, इन्होंने दुनिया को आपस में बांटने के लिए, दो विश्व युद्ध किये, जिनमें करोड़ों लोगों को मार डाला गया, करोड़ों लोगों को जख्मी कर दिया और अरबों खरबों रुपए की संपत्तियों का विनाश के हवाले कर दिया।

       इसके बाद दुनिया में रुस और चीन में समाजवादी ताकतों की स्थापना हुई। इन समाजवादी मुल्कों ने किसानों मजदूरों की सरकार की अगुवाई में अपने देश की जनता को रोटी कपड़ा मकान शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार जमीन मोहिया कराईं। हजारों साल से चली आ रही गरीबी भुखमरी बेरोजगारी शोषण अन्याय धनहीनता भूमिहीनता को खत्म किया और वहां की सरकारों ने अपने देशों में समरसता, समानता  और सामाजिक न्याय पर आधारित समाज कायम किया और किसानों मजदूरों को अपना भाग्यविधाता बना दिया।

      समाजवादी ताकतों के सत्ता में आने के बाद दुनिया में उस तरह की हिंसा नहीं हुई जिस तरह की पहले होती रहती थी। मगर फिर भी पूंजीवादी व्यवस्था पूरी दुनिया के शोषण पर आधारित व्यवस्था है, वह पूरी दुनिया को अपने मुनाफे के लिए प्रयोग करना चाहता है, पूरी दुनिया पर अपना प्रभुत्व कायम करना चाहता है। अपने इसी प्रभुत्व को कायम करने के लिए उन्होंने इसके बाद भी अपनी लुटेरी जंग को जारी रखा।

     द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के सबसे बड़े साम्राज्यवादी लुटेरे मुल्क इंग्लैंड का स्थान अमेरिका ने ले लिया। अमेरिका ने यही काम अपनी लुटेरी और प्रभुत्ववादी और लुटेरी नीतियों और साम्राज्यवादी वैश्विक लूट को बरकरार रखने के लिए दुनिया के विभिन्न देशों में अपनी जंग जारी रखी, जैसे कोरिया, वियतनाम, क्यूबा और दक्षिणी अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में उन्होंने अपनी लुटेरी जंग जारी रखी, जो दुनिया के विभिन्न देशों में आज भी जारी है।

     पिछले दिनों से हम देख रहे हैं कि अमेरिका ने अपनी इन्हीं लुटेरी नीतियों को लागू करने के लिए दुनिया की जनता की एकता तोड़ने के लिए विभिन्न देशों में हमले किए जैसे इराक, अफगानिस्तान, लीबिया, दक्षिणी अमेरिका के देश इनमें प्रमुख हैं। इसके बाद भी दुनिया को अपने प्रभुत्व में करने की उसकी भूख नहीं मिटी। उसने दुनिया की तमाम जातिवादी, सांप्रदायिक, फासीवादी, नस्लवादी समूहों को अपना समर्थन जारी रखा। उन्हें पैसा मोहिया कराता रहा और पूरी दुनिया में जनता की एकता छिन्न-भिन्न करता रहा। इसका मुख्य कारण था कि जनता की एकता को तोड़कर, वहां के किसानों मजदूरों की एकता और एकजुट संघर्ष को तोड़कर, उन्हें पूंजीवादी ताकतों से लड़ने से रोकना, उनकी संघर्ष की ताकत को कमजोर करना और दुनिया को लूटने के लिए कब्जाने की, अपनी लुटेरी महिम को जारी रखना। 

     ये लुटेरी पूंजीवादी ताकतें कितनी अमानवीय और शोषणकारी हो सकती हैं, कितनी बर्बर और जंगली हो सकती हैं, इसके दर्शन हम आजकल इजरायल द्वारा फिलिस्तीनियों को मारे जाने के रूप में गांजा पट्टी में देख सकते हैं। अमेरिका अपनी इन्हीं लुटेरी नीतियों को कामयाब बनाने और बरकरार रखने के लिए पश्चिम एशिया में इसराइल को अपना पिट्टू मुल्क बनाए हुए हैं और दुनिया की पूरी लुटेरी ताकतें इसी आक्रमणकारी, आतंकवादी और प्रभुत्ववादी इसराइल को वर्तमान में भी अपना समर्थन दे रहे हैं।

       हकीकत यह है कि इसराइल ने आज फिलिस्तीन का 90% से ज्यादा हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया है, उसने वहां के अधिकांश फिलिस्तीनियों को बेघर कर दिया है, उनको शरणार्थी बनने पर मजबूर कर दिया है, उनकी रोजी-रोटी शिक्षा स्वास्थ्य आवास की सुविधा लगभग छीन ली है, उन्हें आत्म-शासन के अधिकार से और अपनी सरकार बनाने के अधिकार से वंचित कर दिया है। आज इजरायल गांजा पट्टी में और वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों को बेघर कर रहा है, लोगों पर बम बरसा रहा है, अस्पताल और स्कूल में शरण लिए औरतों और बच्चों को मौत के घाट उतार रहा है। वह इजराइल में अंतरराष्ट्रीय कानून को तोड़कर बहुत सारे युद्ध अपराध कर रहा है। वह आज दुनिया का सबसे बड़ा युद्ध अपराधी बन गया है।

     इस कत्लेआम की सारी तस्वीरें पूरी दुनिया में आ रही है, पूरी दुनिया का मीडिया इस बारे में सूचना दे रहा है, मगर इस सब को जानने और देखने के बाद भी अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन अपनी आतंकवादी मुहीम को, अपनी प्रभुत्ववादी मुहिम को, अपनी निर्मम, अमानुषी और बर्बर मुहिम को जारी रखे हुए हैं और वे सब मिलकर फिलिस्तीनियों का कत्लेआम और जनसंहार करने वाले इसराइल को हथियार दे रहे हैं, लड़ाकू विमान दे रहे हैं, उसका समर्थन और सहयोग कर रहे हैं।

      यहां अहम सवाल यही उठता है कि आखिर ऐसे हत्यारे इसराइल को दुनिया की ये समस्त पूंजीवादी लुटेरी ताकतें अपना सहयोग और समर्थन कैसे दे सकती हैं? वे ऐसे हत्यारे देश के साथ कैसे खड़ी हो सकती हैं? क्या उन्होंने सभ्यता, संस्कृति, भाईचारे और इंसानियत की सारी हदें नहीं पार कर दी हैं? और वे अपने स्वार्थवश, अरब दुनिया के तेल क्षेत्रों को अपने कब्जे और नियंत्रण में लेने और पूरी दुनिया को कब्जाने की मुहिम के चलते हुए इतनी अंधी हो गई हैं कि उन्हें यह नरसंहार और ये अनियंत्रित हत्याकांड दिखाई नहीं दे रहे हैं और ये सारे देश हत्यारी चुप्पी साधे हुए हैं?

      इस सब को देखकर यही कहा जा सकता है कि जहां पूरी दुनिया के शांतिप्रिय और अमन पसंद लोग करोड़ों की संख्या में पूरी दुनिया में प्रदर्शन कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि इसराइल और फिलिस्तीन युद्ध खत्म होना चाहिए, फिलीस्तीन को उनकी समस्त कब्जाई गई जमीन वापस मिलनी चाहिए, वहां पर दो राष्ट्रों का सिद्धांत लागू किया जाना चाहिए, मगर दुनिया के लुटेरे पूंजीपति मुल्कों की सरकारें उन लोगों की मांगों को अनसुनी कर कर रही हैं। फिलिस्तीन में इजरायल के कत्लेआम को देखकर अब तो यही कहना उचित होगा कि आज दुनिया की तमाम पूंजीवादी लुटेरी साम्राज्यवादी ताकतें सबसे ज्यादा क्रूर, अमानवीय, आतंकवादी, बर्बर, असभ्य और दहशतगर्द ताकतें हैं और इन्होंने पूरी इंसानियत और मानव सभ्यता को शर्मसार कर दिया है।

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