अग्नि आलोक
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Category - साहित्य

*राजेंद्र शर्मा और विष्णु नागर के राजनैतिक व्यंग्य*

*1. पूजने तो दो यारो! : राजेंद्र शर्मा* यह तिल का ताड़ और राई का पहाड़ बनाना नहीं, तो और क्या है? और कुछ नहीं मिला, तो अभक्तों ने फुले की जीवनीपरक फिल्म पर सेंसर बोर्ड के यहां-वहां कैंची चलाने पर ही हंगामा कर रखा है।...

कहानी : रोज़

     पुष्पा गुप्ता        (पढ़िए अज्ञेय का कालजयी रेखांकन, जो आज भी प्रासंगिक है)       दोपहरिए में उस घर के सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाप की छाया मँडरा...

*सत्यकथा : ‘ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या’ तो तुम कौन?*

     डॉ. विकास मानव  “पद्मा और गुर्रब्रह्मा का पोस्टमार्टम” : गत दिवस मेरी यह सत्यकथा आपने पढ़ी. अपना गृह त्याग कर जिसके पास पद्मा गई, उसको ईश्वर मानकर समर्पित हो गई. सेवा-मेवा सब इससे वो लेता रहा. ये खुद को...

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