*1. पूजने तो दो यारो! : राजेंद्र शर्मा* यह तिल का ताड़ और राई का पहाड़ बनाना नहीं, तो और क्या है? और कुछ नहीं मिला, तो अभक्तों ने फुले की जीवनीपरक फिल्म पर सेंसर बोर्ड के यहां-वहां कैंची चलाने पर ही हंगामा कर रखा है।...
Category - साहित्य
कहानी : रोज़
पुष्पा गुप्ता (पढ़िए अज्ञेय का कालजयी रेखांकन, जो आज भी प्रासंगिक है) दोपहरिए में उस घर के सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाप की छाया मँडरा...