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बैक हंप का कारण और निदान 

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         बबिता यादव 

 देर तक बैठना और लगातार काम करना शरीर के पोश्चर को कई प्रकार से प्रभावित करता है। एक ही पोज़िशन में बैठकर दिनभर काम करने से जहां कंधे झुकने लगते हैं, तो पीठ पर एक उभार नज़र आने लगता है, जिसे बैक हंप कहा जाता है। 

   शरीर को लगातार आगे की ओर झुकाकर काम करने से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। बैक हंप को नेक हंप और बफैलो हंप कहकर भी पुकारा जाता है।

*बैक हंप किसे कहते हैं?*

    बैक हंप पीठ के उपरी हिस्से पर दिखने लगता है। बैक हंप उस स्थिति को कहते है, जब शरीर में जमा फैट्स पीठ पर एकत्रित होने लगते हैं, तो पीठ के उपरी हिस्से पर उभार आने लगता है। ये समस्या महिलाओं में बढ़ती उम्र में भी देखने को मिलती हैं। शरीर में बढ़ने वाला मोटापा भी इस समस्या को बढ़ा देता है।

      पीठ पर आने वाले उभार के चलते पूरे बॉडी पोश्चर पर उसका असर दिखने लगता है। इससे गर्दन को आगे पीछे करने में दर्द का अनुभव होता है। गर्दन पर दिखने वाला हंप शरीर के पोश्चर परिवर्तन को दर्शाता है जो फैट्स, बीमारियों, दवाओं, मोटापे और आनुवंशिक कारकों से डोरसो सर्विकल एरिया में बढ़ने लगता है।

बैक हंप के प्रमुख कारण :

*1. कुशिंग सिंड्रोम :*

वे लोग जो कुशिंग सिंड्रोम से ग्रस्त होते हैं, उनके एडरिनल ग्लैंड उच्च मात्रा में कोर्टिसोल हार्मोन को रिलीज़ करने लगते हैं। कोर्टिसोल की ओवरप्रोडक्शन एडिपोज़ टिशू में फैट डिपोज़िट बढ़ने लगता है। इससे कंधों के पीछे गर्दन के उपर हिस्से में नेक हेप की समस्या का सामना करना पड़ता है।

*2. ग्लुकोकोर्टिकोइड दवाओं का सेवन :*

लंबे वक्त तक ग्लुकोकोर्टिकोइड दवाएं लेने से भी शरीर में कई बदलाव देखे जाते है। शरीर में इसका ज्यादा मात्रा होने से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है। मल्टीपल स्कलीरोसिस और ऑटोइम्यून डिज़ीज़ के लिए दी जाने वाली इन दवाओं से बैक हंप बढ़ने लगता है। अपर बैक में बढ़ने वाली समस्या शरीर के पोश्चर को प्रभावित करती है।

*3. मोटापा :*

वर्कआउट की कमी के चलते लगातार बैठकर काम करने से शरीर में पीठ के उपर हिस्से पर जमा होने वाले फैट्स से इस समस्या का खतरा बना रहता है। लगातार मोटापा बढ़ने से शरीर में फैट्स एकत्रित होने लगते हैं। इससे कंधों के पीछे बैक हंप बनने लगता है।

*4. ओस्टियोपिरोसिस :*

ओस्टियोपिरोसिस को ब्रिटल बोन डिज़ीज़ कहा जाता है। मेनोपॉज के बाद अधिकतर महिलाओं की बोन डेंसिटी कम होने लगती है, जिससे ओस्टियोपिरोसिस का सामना करना पड़ता है। इससे बैक बोन में झुकाव आने लगता है, जो नेक हंप का कारण बन जाता है। दरअसल, कैल्शियम का एब्ज़ार्बशन कम होने के चलते पीठ बैण्ड होने लगती है। इससे गर्दन उभरी हुई दिखने लगती है। हड्डियों में कमज़ोरी और मसल्स में आने वाली वीकनेस ओवरऑल शरीर को नुकसान पहुंचाती है। इससे शरीर के पोश्चर में बदलाव आता है और कमर में झुकाव आने लगता है।

बैक हप निवारक उपाय :

*1. बॉडी एक्टिवनेस :*

शरीर के किसी भी हिस्से में जमा होने वाली फैट्स को बर्न करने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करना आवश्यक है। वर्कआउट की मदद से शरीर में लचीलापन बढ़ सकता है और कैलोरीज़ को एकत्रित होने से भी रोका जा सकता है। इसके लिए चिन टक्स, नेक , प्लैंक और शेल्डर रोल्स को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करें।

     शरीर के किसी भी हिस्से में जमा होने वाली फैट्स को बर्न करने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करना आवश्यक है।

*2. हेल्दी डाइट प्लान :*

फैट्स की मात्रा को कम करने के लिए हेल्दी डाइट को अपनाएं और कार्ब्स की मात्रा को कम करके प्रोटीन को शामिल करें। इसके अलावा ज़रूरी विटामिन और मिनरल्स से शरीर में पेषक तत्वों की पूर्ति करने में मदद मिलती है। साथ ही हैवी मील्स की जगह स्मॉल मील्स लें और हेल्दी वेट को मेंटेन करें।

*3. डॉक्टरी जांच :*

बैक हंप को दूर करने के लिए डॉक्टरी जांच के लिए जाएं। इसके अलावा उनके द्वारा बताई गई दवाओं का सेवन करें। इससे शरीर में बढ़ने वाले कोर्टिसोल को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा अपने लाइफस्टाइल में भी बदलाव लाने पर फोकस करें।

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