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*एपिलेप्सी के दौरे : कारण और बचाव*

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   दिव्यांशी मिश्रा, भोपाल

हार्मोनल चेंज महिलाओं के स्वास्थ्य को कई तरीके से प्रभावित करता है। इसका प्रभाव एपिलेप्सी या सीजर पर भी पड़ता है। इसके कारण मिर्गी के दौरे बढ़ जाते हैं। मिर्गी से पीड़ित कुछ महिलाओं के लिए हार्मोन और मिर्गी के दौरों के बीच घनिष्ठ संबंध हो सकता है।

   एक महिला के पूरे जीवन में हार्मोन का स्तर बदलता रहता है। यह स्तर प्रभावित कर सकता है कि उसे मिर्गी कब शुरू होती है, दौरे कितनी बार आते हैं, और दौरे कब और कब बंद होते हैं।

*कन्वल्शनरोधी हो सकते हैं हार्मोन :

     हार्मोन में हुए बदलावों का असर मिर्गी यानी एपिलेप्सी पर पड़ता है। प्रोजेस्टेरोन, टेस्टोस्टेरोन, एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिन और डेसोक्सीकोर्टिकोस्टेरोन जैसे हॉर्मोन की प्रकृति एपिलेप्सी रेसिस्टेंस हैं।

     ये होने वाले एपिलेप्सी से बचाते हैं। दूसरी ओर एस्ट्राडियोल, कोर्टिसोल और थायराइड जैसे हार्मोन ऐंठन-रोधी या कन्वल्शन रोधी होते हैं।

*महिलाओं में हार्मोनल चेंज और एपिलेप्सी के बीच संबंध :* 

   न्यूरोलॉजी और एपिलेप्टोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. गीता शर्मा बताती हैं : ‘एपिलेप्सी या मिर्गी (WWE) से पीड़ित महिलाओं में अक्सर हार्मोनल प्रभाव देखा जाता है। कुछ महिलाओं को माहवारी के दौरान दौरे बढ़ने का अनुभव होता है, जिसे कैटामेनियल मिर्गी कहा जाता है।

    कुछ महिलाओं में, दौरे ओव्यूलेशन के साथ मेल खा सकते हैं या मासिक धर्म से पहले हो सकते हैं।   

     डब्ल्यूडब्ल्यूई के लगभग 30-50% लोगों को किसी न किसी रूप में कैटामेनियल सीज़र का अनुभव हो सकता है। कुछ प्रकार की मिर्गी जैसे जुवेनाइल मायोक्लोनिक एपिलेप्सी एडल्ट की शुरुआत के बाद होती है। हार्मोन और एपिलेप्सी के बीच घनिष्ठ संबंध का सुझाव देती है।

*ओरल कंट्रासेप्टिव का प्रभाव :* 

एस्ट्रोजेन उत्तेजक ग्लूटामेट प्रतिक्रियाओं को एक्टिव करते हैं, जिससे दौरे को ट्रिगर करने वाला  वातावरण बनता है। प्रोजेस्टेरोन पोस्टसिनेप्टिक जीएबीए-एर्गिक गतिविधि को बढ़ाता है।

    इस प्रकार मस्तिष्क में मिर्गी होने को रोकता है। हार्मोनल ओरल गर्भनिरोधक गोलियां न केवल डब्ल्यूडब्ल्यूई में दौरे के नियंत्रण को प्रभावित करती हैं, बल्कि कुछ एंटी सीजर दवाओं के साथ भी परस्पर क्रिया कर सकती हैं।

   इसलिए मिर्गी से पीड़ित सभी महिलाओं को डॉक्टरों के साथ उपयुक्त गर्भनिरोधक तरीकों पर चर्चा करने की जरूरत है।

*गर्भावस्था के दौरान एपिलेप्सी के दौरे :* 

सीजर से पीड़ित एक तिहाई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सीजर बढ़ने का अनुभव होता है। अन्य एक तिहाई में कमी हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन और फार्माकोकाइनेटिक्स परिवर्तन होता है।

    इसके कारण एंटी सीजर दवाओं के स्तर में कमी होती है। इसके कारण गर्भावस्था के दौरान दौरे पड़ सकते हैं। गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान इन दौरे-रोधी दवाओं के स्तर की जांच करने से दवा की खुराक को लेने और दौरे को रोकने में मदद मिलती है।

*दवाओं से हो सकता है इलाज :

मिर्गी से पीड़ित महिलाएं जिनमें माहवारी के अनुसार दौरे अलग-अलग होते हैं। उन्हें कुछ उपायों से लाभ हो सकता है। एंटी सीजर दवाएं (एएसएम) हार्मोन और जीवनशैली में बदलाव जैसे उचित नींद, योग, ध्यान और कम कार्बोहाइड्रेट आहार से प्रभावित न हों, सहायक हो सकती हैं।

     डब्ल्यूडब्ल्यूई में कैटामेनियल मिर्गी होने पर माहवारी के दौरान 5-7 दिनों के लिए अतिरिक्त एएसएम का उपयोग प्रभावी हो सकता है।

     प्रतिरोधी कैटेमेनियल दौरे वाली इन महिलाओं में ओरल गर्भ निरोधकों या प्रोजेस्टेरोन सप्लीमेन्टेशन जैसे हार्मोनल थेरेपी पर विचार किया जा सकता है।

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