अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

चंबल_बचाओ_आंदोलन

Share

अटल प्रोग्रेस वे के नाम पर कोई 404 किलोमीटर लंबी “उत्कृष्ट सड़क” बनाई जाना प्रस्तावित है। यह सड़क मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में अटेर से शुरू होगी और मुरैना से गुजरते हुए श्योपुर कलां होकर कोटा तक जाएगी। भारत माला फेस वन के अंतर्गत बताई जाने वाली यह योजना यदि इसके मौजूदा स्वरुप में ही लागू हो गयी तो यह चम्बल के इस इलाके का जीवन, भूगोल, पर्यावरण सहित सब कुछ नकारात्मक तरीके से बदल कर रख देगी।
🔴 अखिल भारतीय किसान सभा से संबंधित मप्र किसान सभा ने इस पूरी योजना को विनाशकारी और सदियों पुरानी बसाहटों को उजाड़ने वाला बताया है और प्रोग्रेस वे के नाम पर चम्बल पर कारपोरेट कंपनियों के कब्जे कराने की इस योजना के खिलाफ भिण्ड, मुरैना, श्योपुर कलां के किसानो को संगठित कर आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है।
🔴 इस योजना के तहत चंबल के बीहड़ में लगभग 10 हजार किसान परिवारों की भूमि स्वामी स्वत्व की जमीन अधिग्रहित की जा रही है। पहले उन्हें जमीन के बदले 2 गुनी जमीन देने की घोषणा की गई थी। बाद में आंदोलन के दबाव में जो किसान जमीन नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें दोगुना मुआवजा देने की घोषणा भी मुख्यमंत्री ने की है।
🔴 परंतु वास्तविक रूप से प्रभावित किसान सिर्फ इतने ही नहीं है। इनकेअलावा लगभग 30 हजार किसान परिवार और हैं जिन्होंने पिछली कई दशकों में बीहड़ की भूमि को खेती योग्य बनाकर अपनी कई पीढ़ियां खर्च की हैं। इनके पास न तो भूमि स्वामी स्वत्व है और न ही उनका कब्जा ही इंदराज किया गया है। वे पीढ़ियों से बीहड़ की जमीन को समतल बनाकर खेती कर रहे हैं। ये सभी तकनीकी रूप से जमीन के बदले जमीन और दोगुने मुआवजे की सीमा से बाहर रह गए हैं ।
🔴 सरकार अपनी इस योजना और उसके असर को छुपाने की कोशिश में है। ना तो प्रभावित होने वाले किसानो को, ना ही उजड़ने और विस्थापित होने वाले परिवारों को विधिवत व्यक्तिगत नोटिस दिए गए हैं ना ही नियमानुसार प्रमुख अखबारों में ही कोई सार्वजनिक सूचना जारी की गयी है। बार बार मांगने पर भी प्रशासन कोई जानकारी देने के लिए तैयार नहीं है – यहां तक कि डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को भी अत्यंत गोपनीय बनाकर रखा गया है। पुनर्वास की कोई योजना नहीं है और मुआवजे तथा क्षतिपूर्ति के मामले में भूमि अधिग्रहण क़ानून 2013 का भी पालन नहीं हो रहा है। पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का कोई अध्ययन नहीं हुआ है।
🔴 एक्सप्रेस वे के दोनों ओर एक-एक किलोमीटर के कॉरिडोर में कंपनियों को जमीन आवंटित किये जाने की तैयारी है और इस तरह पिछली बीसेक वर्षों से जारी चम्बल की जमीन के कारपोरेटीकरण के काम को इस नाम पर किये जाने की तैयारी है।
🔴 ध्यान रहे कि पहले घड़ियाल अभयारण्य, उसके बाद अमरीकी कंपनी मैक्सबर्थ और उसके बाद एक तेल कारोबारिये को 50 हजार बीघा (10 हजार हैक्टेयर) जमीन दी गयी थी – लेकिन अखिल भारतीय किसान सभा ने तीनो बार इलाके में सशक्त आंदोलन विकसित करके इन चम्बल विरोधी आवंटनों को रद्द करवा दिया था। अब उसी साजिश को नया चोला पहनाकर लाया गया है ।
🔴 इस पूरे 404 किलोमीटर के रास्ते में इसे पार करने के लिए सिर्फ सात स्थानों पर रास्ते दिए गए हैं – इसका व्यावहारिक अर्थ यह होगा कि यह हाईवे चीन की दीवार की तरह पूरी बसाहट को भी एक दुसरे से अलग कर देगा।
🔴 एआईकेएस से संबद्ध मप्र किसान सभा ने इस अनावश्यक और खर्चीली, किसान तथा खेती विरोधी परियोजना के मौजूदा स्वरुप के खिलाफ आंदोलन छेड़ा हुआ है। अब इसके अगले चरण के रूप में 11 मार्च से 6 स्थानों से तीन दिवसीय बाइक जत्थे निकाले जाएंगे। इस बाइक जत्था यात्रा के बाद 14 मार्च को अटेर, अंबाह, मुरैना, जौरा, सबलगढ़, श्योपुर कलां में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिए जाएंगे। तत्पश्चात आगामी आंदोलन की रूपरेखा भी तय की जाएगी।
🔴 इस आंदोलन के समन्वय के लिए भिंड, मुरैना, श्योपुर कलां जिलों के किसान नेताओं की एक समन्वय समिति गठित की गयी है इसका संयोजन कैलारस नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन, मप्र किसान सभा के उपाध्यक्ष अशोक तिवारी (98932 14966) करेंगे।
🔴 इस आंदोलन की मांगों में;
🔷 भूमि अधिग्रहण के मामले में पुनः नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी कर, समुचित प्रचार-प्रसार कर, दावे आपत्ति लिए जाने ;
🔷 पीढ़ियों से जो किसान शासकीय बीहड़ की भूमि पर काबिज होकर काश्तकारी कर रहे हैं, उनका कब्जा इंद्राज कर, उन्हें भी जमीन दिए जाने ;
🔷 जो किसान दुगनी जमीन नहीं लेना चाहते हैं। उन्हें भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार बाजार मूल्य से 3 गुने से 5 गुना मुआवजा दिए जाने,
🔷 एक्सप्रेस वे के दोनों ओर एक-एक किलोमीटर के कॉरिडोर में कंपनियों के बजाय किसानों को जमीन आवंटित किये जाने और कृषि आधारित उद्योग लगाए जाने ,
🔷 एक्सप्रेस वे पर प्रवेश के लिए बड़े-बड़े गांवों के पास प्रवेश स्थल (कट) दिए जाने ,
🔷 जो किसान जमीन के बदले दुगनी जमीन ले रहे हैं, उन्हें जमीन को कृषि योग्य बनाने के लिए, खाद बीज कृषि उपकरण आदि लागत के लिए ₹1 लाख प्रति बीघा आर्थिक सहायता दिए जाने आदि मांगे शामिल हैं।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें