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नाम पर नहीं, काम पर चुनिए

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राकेश अचल

हम कलम घसीटने वालों के पास मुफ्त में देने के लिए अन्न नहीं है लेकिन तजुर्बे हैं,सलाह- मशवविरे हैं, जो हम लगातार देते रहते है। अठारहवीं लोकसभा के लिए तीसरे चरण के मतदान के बाद चौथे ,पांचवें,छटवें और सातवें चरण में मतदान करने वालों को हमारी सलाह है कि वे राम के नाम पर नहीं बल्कि काम के नाम पर मतदान करें और जो राम के नाम पर भिक्षाटन कर रहा हो उसे या तो राम के पास ही माला जपने के लिए भेज दें या फिर उससे कहें की वो काम करे।
देश की जनता राम को अपना आराध्य मानती है और राम के नाम पर लगातार उदारता दिखाकर मतदान भी करती आयी है किन्तु अब राम जी की कृपा से जनता जाग गयी है। जनता को समझ में आ गया है कि राम को तो वोट की जरूरत है ही नहीं। वे तो पहले से राजा राम है। वोट तो उनके नाम पर राजनीतिक ठगी करने वालों को चाहिए। हरियाणा में दल-दल से बाहर खड़े होकर दलदल की सरकार का समर्थन करने वाले तीन निर्दलीय विधायकों को सबसे पहले ये समझ में आया है और उन्होंने राम के नाम पर बनी नकली राम सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। अब हरियाणा में या तो राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा या फिर नए चुनाव होंगे । राम के नाम पर खरीद-फरोख्त की गुंजाइश अब लगभग बची नहीं है।
हरियाणा की जनता और नेता राम के साथ ही कृष्ण की भी सुनते है। असली महाभारत तो हरियाणा में ही हुआ था । यहां के लोग रामायण के साथ ही गीता के उपदेशों के बारे में भी जानते हैं। शायद इसीलिए भाजपा को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीयों ने सरकार से समर्थन वापस लेते हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का एलान कर दिया है। रोहतक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के साथ निर्दलीय विधायक दादरी से सोमबीर सांगवान, पूंडरी से रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंधर ने कांग्रेस के समर्थन का एलान किया है।
देश में जब रामनाम की खुली लूट चल रही थी तब भी 2019 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा की 90 सीटों में से भाजपा ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी और बहुमत का आंकड़ा हासिल करने में असफल रही थी। वहीं, इनेलो से अलग होकर बनी जननायक जनता पार्टी के दस विधायक बने थे। सात निर्दलीयों ने भी जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के खाते में 31 सीट तो इनेलो और हरियाणा लोकहित पार्टी के खाते में एक एक सीट आई थी। इस स्थिति में भाजपा ने जजपा के साथ गठबंधन किया और करीब साढ़े चार साल तक प्रदेश में सरकार चलाई। इस दौरान कांग्रेस की आदमपुर सीट कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में शामिल होने से खाली हुई और वहां उपचुनाव में उनके बेटे ने जीत दर्ज की और भाजपा के प्रदेश में 41 विधायक हो गए। वहीं, कांग्रेस के पास तीस विधायक रह गए।
पिछले दस साल में भाजपा ने राम के नाम पर अनेक राज्यों की चुनी हुई सरकारें गिराईं,दल-बदल कराया,पार्टियों को तोड़ा किन्तु ये पहला मौक़ा है जब खुद भाजपा की सरकार टूट रही है। यानि जो तकनीक भाजपा सत्ता हासिल करने के लिए अब तक इस्तेमाल करती आ रही थी ,उसी तकनीक से उसे हरियाणा में सत्ता से बेदखल करने के लिए इस्तेमाल किया गया है । लोकसभा चुनाव के लिए हुए तीसरे चरण के मतदान के दिन ही भाजपा को ये उपहार मिला है। इस घटना से हरियाणा को जो कष्ट झेलना पड़ेंगे वे तो अलग हैं लेकिन अब भाजपा को चार सौ पार करने के लिए फिर से प्रभु राम की शरण में जाना पड़ेगा । कोई दूसरा पुलवामा भी भाजपा की मदद कर सकता है ,लेकिन आज का समय और भगवान राम तो उसके साथ खड़े होने वाले नहीं हैं।
आपको याद दिला दूँ कि हरियाणा में जजपा पांडवों की तरह भाजपा से लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन में बने रहने के लिए मात्र 2 सीटें मांग रही थी,किन्तु हरियाणा में कौरव बनी भाजपा ने जजपा को ठेंगा दिखा दिया। लोकसभा चुनाव से पहले ही 12 मार्च को हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन टूट गया। भाजपा को मजबूरी में राज्य में मुख्यमंत्री बदलकर मनोहर लाल खटटर की जगह नबाब सैनी को लाना पड़ा। जजपा से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा के पास अपने 41, छह निर्दलीयों और एक हलोपा विधायक का समर्थन था। जजपा के कुछ विधायक भी भाजपा के साथ आते दिखाई दिए, लेकिन विहिप जारी होने के कारण सदन से बाहर चले गए और ध्वनि मत से सैनी सरकार ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी सरकार के खिलाफ पहले से ही मोर्चा खाले हुए हैं।
मोशा की जोड़ी मुमकिन है कि जोड़तोड़ से हरियाणा की सरकार एक बार फिर बचा ले किन्तु अब पूरा देश भाजपा की हकीकत समझ गया है। अब भाजपा के सामने हरियाणा से ज्यादा दिल्ली की सरकार को बचाने की चुनौती है। राम जी के नाम पर अब देश की जनता भाजपा को वोट देने वाली नहीं है । अब भाजपा को राम के नाम पर नहीं बल्कि अपने काम पर वोट मांगना चाहिए अन्यथा राम नाम सत्य साबित हो सकता है। मुझे भाजपा का जाना अच्छा नहीं न लगेगा क्योंकि बेचारी भाजपा ने राम के नाम पर देश में बहुत पापड़ बेले हैं। जनता को खिलाकर भरमाया है । किन्तु यदि जनता काम पर वोट देने की आदत डालकर कोई फैसला करती है तो मै क्या पूरा देश ,हमारी भारत माता,हमारा लोकतंत्र सुखानुभूति करेगा। क्योंकि हमारे देश में 1980 के पहले राम -श्याम के नाम पर वोट मांगने की परम्परा नहीं है ,और फिर राम-श्याम के नाम पर वोट मांगे भी क्यों जाएँ ?
हरियाणा के निर्दलीय विधायकों की ही तरह राम जी करें कि हमारा केंचुआ भी नींद से जागे और बदजुबानी करने वालों को केवल नोटिस देकर ही न छोड़े बल्कि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर प्रमाणित करे की उसके पास भी रीढ़ की हड्डी है। केंचुआ हो या न्यायपालिका या संसद जिसने भी ,जब भी अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा किया है लोकतंत्र का स्वास्थ्य सुधरा है। भारत का लोकतंत्र कुछ कांग्रेस ने बीएमआर किया था और बचा-खुचा भाजपा ने कर दिया। जनता ही जो लोकतंत्र को बचा सकती है। हम जनता में फर्क नहीं करते। लोकतंत्र बचाने कि लिए उस 85 करोड़ जनता की भी जरूरत है जो पांच किलो अनाज कि लिए सरकार की मोहताज है और उस जनता की भी जो भक्ति करते -करते अंधभक्ति की शिकार हो गयी थी। राम सबकी रक्षा करें।

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