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आओ हम भी राजनीति करें

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मुनेश त्यागी
     कुछ लोग कहते हैं की राजनीति बुरी चीज है मगर जहां सब कुछ राजनीति से ही तय हो रहा हो और जन विरोधी राजनीति की जा रही हो, जहां पर शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार सुरक्षा और सब जगह खर्च होने वाले बजट को राजनीति तय करती हो, वहां पर हम चुप कैसे रह सकते हैं गूंगे और बहरे कैसे बने रह सकते हैं, वहां पर जनपक्षीय राजनीति करने की सबसे ज्यादा जरूरत है।       

      राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने 1915 में काबुल में भारत की पहली आजाद सरकार बनाई थी जिसमें वह खुद राष्ट्रपति बने और बरकतुल्लाह खान भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे। वे भारत की आजादी और जनकल्याण की नीति और राजनीति की ही बात कर रहे थे।     हमारे शहीदों का सबसे बड़ा संगठन और सेना हिंदुस्तानी समाजवादी गणतंत्र संघ जिसके सर्वोच्च कमांडर चंद्रशेखर आजाद थे और जिसमें भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, पंडित किशोरी लाल शर्मा, यशपाल, बटुकेश्वर दत्त, यतींद्र नाथ आदि  सैकड़ों क्रांतिकारी शामिल थे, उससे पहले उसमें बिस्मिल, अशफाक, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह, शचिंद्रनाथ सान्याल आदि शामिल थे, वह भी जनता के जनवाद, गणतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी व्यवस्था की राजनीति कर रहे थे।   

 इसके बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस, किसी भी तरह से भारत की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज बना रहे थे और एक जनतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, गणतंत्र की स्थापना के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा रहे थे और इसी प्रकार की राजनीति करने के लिए हिंदू मुसलमानों की एकता का आह्वान कर रहे थे।       गांधी, नेहरू, पटेल, अबुल कलाम आजाद और अंबेडकर आदि भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराकर भारत में धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, प्रजातांत्रिक, गणतंत्र की स्थापना के लिए राजनीति के मैदान ए जंग में थे। वे सभी प्रकार की गैरबराबरी, गुलामी, शोषण, हिंसा और अन्याय का विनाश करने की राजनीति कर रहे थे।   

 वहीं दूसरी ओर भारत का कम्युनिस्ट खेमा जिसका नेतृत्व ईएमएस नंबूद्रीपाद, बासवपुनैया, बीटी रणदिवे, अहिल्या अहिल्या रांगणेकर, मुजफ्फर अहमद a.k. गोपालन, ज्योति बसु और हरीकिशन सिंह सुरजीत आदि कर रहे थे, जनता को बुनियादी समस्याओं को दूर कर रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, जमीन और रोजगार देने की क्रांतिकारी राजनीति कर रहे थे और भगत सिंह आदि शहीदों की राजनीति और लक्ष्य को आगे बढ़ा रहे थे।    इस सब के खिलाफ भारत की सांप्रदायिक ताकतें ,,,,हिंदू महासभा, r.s.s., मुस्लिम लीग, भारत की एकता तोड़ने के लिए, दो राष्ट्र के सिद्धांत, हिंसा, नफरत और मारपीट की राजनीति करके साम्राज्यवादी अंग्रेजों की मदद की राजनीति कर रहे थे। 

   उपरोक्त तथ्यों और हकीकत की रोशनी में हम भारत में दो प्रकार की राजनीति देख रहे हैं,,,, देश को एकजुट रखने, समता, समानता, न्याय, आजादी, धर्मनिरपेक्षता, प्रजातंत्र, गणतंत्र और समाजवादी समाज की राजनीति और जनता को बुनियादी हक अधिकार दिलाने की रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा की राजनीति।    वहीं दूसरी ओर सांप्रदायिक, जातिवादी, क्षेत्रवादी और भाषावादी, भ्रष्टाचारी, दंगे, अपराध, हत्या, हिंसा की राजनीति और देश और समाज को बांट कर जनता की एकता को कमजोर करने वाली साम्राज्यवादी और देसी विदेशी पूंजीपति लुटेरों के हितों को बढ़ाने वाली सांप्रदायिक और जातिवादी, उदारीकरण और निजीकरण  की जन विरोधी राजनीति। हमें इस जनविरोधी राजनीति का डटकर और एकजुट होकर मुकाबला करना पड़ेगा। इस प्रतिरोध की राजनीति में जनता को भी शामिल करना पड़ेगा।

     इस प्रकार हम राजनीति को गंदा बताकर राजनीति के अखाड़े से भाग नहीं सकते। हमें अपने शहीदों की जनकल्याण के मुद्दों की,,,, सबको रोटी, सबको शिक्षा, सबको स्वास्थ्य, सबको रोजगार, सबको मकान, सबको जमीन, सबको पानी, सबको स्वच्छ हवा की,,,, राजनीति करनी होगी।      हमें समता, समानता, आजादी, धर्मनिरपेक्षता, जनता के जनवाद और समाजवादी समाज की स्थापना की सबसे जरूरी राजनीति करनी पड़ेगी। यही आज की जनता का सबसे बड़ा काम और कर्तव्य है और भारत को बचाने की मुहिम है। हमारे बहुत से किसान, नौजवान, महिलाएं और मजदूर इस राजनीति में लगे हुए हैं।आओ हम भी जनता की बुनियादी समस्याओं को हल करने की राजनीति के अभियान में और आंदोलन में शामिल हों और एक कदम भी पीछे नहीं हटें। यही आज की राजनीति का सबसे बड़ा हिस्सा और सबसे बड़ा कार्यभार है। 

  हम जहां कहीं भी हो और जिस किसी भी अवस्था में हो, वहां समता, समानता, धर्मनिरपेक्षता, जनवाद, गणतंत्र, न्याय, आजादी, प्यार, मोहब्ब्त, भाईचारा और समाजवाद की जनकल्याणकारी राजनीति करें, इस राजनीति में भाग लें और ऐसी राजनीति की तरफदारी करें। मनसा, बाचा, कर्मणा और पैसे से इसमें शिरकत और सहयोग करें। इससे हम भाग नही सकते, इससे मुंह नही मोड सकते। यह आज की सबसे बड़ी जरूरत है और सबसे बड़ी राजनीति है।

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