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जेडीयू के भीतर घमासान :नीतीश ने साधी चुप्पी, आपस में उलझ रहे अध्यक्ष व मंत्री

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जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के समय की समाप्ति के संकेत मिलने लगे हैं। जेडीयू में उन्हें दरकिनार किये जाने की आशंका इसलिए जताई जाने लगी है क्योंकि उनकी राय या फैसलों को पार्टी के नेता खुली चुनौती दे रहे हैं। महीने भर से ललन सिंह की सक्रियता भी कम हो गई है। नीतीश कुमार ने ललन सिंह के पहले अपने स्वजातीय और गृह जिले नालंदा के निवासी आरसीपी सिंह को जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था। बाद में नीतीश ने उनसे इसी तरह दूरी बनानी शुरू की और आखिरकार न सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से उन्हें हटाया, बल्कि बेआबरू कर पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया था। अब सवाल उठ रहा है किया नीतीश कुमार ने मौन रहकर ही अपना ‘ए. एस.’ प्लान यानि अशोक चौधरी और संजय झा को ललन सिंह के आगे कर दिया है?

ललन ने चौधरी को मना किया, पर वे नहीं माने

जेडीयू कोटे से नीतीश सरकार में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी और ललन सिंह में टकराव की स्थिति बनी हुई है। ललन सिंह को कहीं से यह शिकायत मिली थी कि अशोक चौधरी बार-बार अपने पूर्व चुनावी क्षेत्र बरबीघा का दौरा कर रहे हैं। जब भी वे बरबीघा जाते हैं तो वहां उनके करीबी नेताओं का जमावड़ा लगता है। शिकायत यह भी मिली कि चौधरी बरबीघा की राजनीति में दखलंदाजी कर रहे हैं। यह शिकायत वहां के जेडीयू विधायक ने ललन सिंह से की थी। ललन सिंह ने पार्टी आफिस में नीतीश कुमार की मौजूदगी में उन्हें ऐसा करने से मना किया। न सिर्फ दखलंदाजी रोकने की चेतावनी दी, बल्कि उन्हें बरबीघा दौरे पर न जाने की सलाह भी दे डाली। इस पर अशोक चौधरी भड़क गए और साफ कह दिया कि किसी की आवाजाही रोकने वाले आप कौन होते हैं। इस बकझक के दौरान सीएम नीतीश कुमार भी जेडीयू दफ्तर में मौजूद थे, पर उनका कोई रिएक्शन नहीं आया।

JDU President Rajiv Ranjan

ललन सिंह की बात काट कर बरबीघा गए अशोक चौधरी

अशोक चौधरी ने ललन सिंह की चेतावनी को ठेंगे पर रखा और निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शुक्रवार को वे बरबीघा गए। उद्घाटन-शिलान्यास के कार्यक्रमों में शिरकत की। भवन निर्माण विभाग के इंजीनियरों के साथ बैठक की। इस पर ललन सिंह के मन में क्या प्रतिक्रिया हुई होगी, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। हालांकि अशोक चौधरी ने एक बात कह कर विवाद को तूल देने के बजाय मामले पर पानी डालने का प्रयास किया। यह भी हो सकता है कि उन्होंने तंज में यह बात कही हो। उन्होंने कहा कि ललन सिंह से उनके मतभेद नहीं हैं। वे उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे अगर लेफ्ट या राइट जिधर मुड़ने-चलने को कहेंगे, हम उसका पालन करेंगे। विवाद की बात में रत्ती भर सच्चाई नहीं है।

मंत्री संजय झा का ललन सिंह से अलग अलग स्टैंड

बिहार में इन दिनों के ओमप्रकाश वाल्मीकि की 80 के दशक में लिखी कविता ‘ठाकुर का कुआं’ पर कोहराम मचा हुआ है। आरजेडी के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान किसी संदर्भ में इस कविता का पाठ किया तो आरजेडी विधायक चेतन आनंद और उनके पिता वूर्व सांसद आनंद मोहन ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की। जेडीयू के एमलसी संजय सिंह ने भी मनोज झा के कविता पाठ पर कड़ा प्रतिवाद किया। हालांकि ललन सिंह ने मनोज झा का बचाव किया। ललन को मनोज झा के काव्य पाठ में कोई गड़बड़ी नहीं दिखी। जैसे ही मनोज झा के बचाव में ललन सिंह का बयान आया, नीतीश कुमार के करीबी मंत्री संजय झा भी कूद पड़े।

Sanjay Jha and Lalan Singh

संजय झा का कहना है कि इससे एक जाति विशेष के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। खैर, किसी मुद्दे पर लोगों के विचार अलग हो सकते हैं, लेकिन इसमें तनातनी की बू आने लगी है, क्योंकि ललन सिंह और संजय झा नीतीश कुमार के काफी प्रिय रहे हैं। माना जा रहा है कि नीतीश का मन अब आरसीपी सिंह की तरह ही ललन सिंह से ऊब गया है। वे उन्हें ठिकाने लगाना चाहते हैं। तभी अशोक चौधरी और संजय झा जैसे मंत्रियों ने ललन सिंह की राय को दरकिनार कर दिया है।

जेडीयू के भीतर घमासान की सूचनाएं आती रही हैं

जेडीयू के भीतर घमासान की सूचनाएं लगातार आती रही हैं। खासकर उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह के जेडीयू छोड़ने के बाद। पार्टी के दर्जन भर बड़े नेताओं ने जेडीयू छोड़ दिया है। इनमें कुछ तो कुशवाहा के साथ गए तो अधिकतर ने बीजेपी को नया ठिकाना बनाया। अब इसकी सुगबुगाहट और तेज होने लगी है। उपेंद्र कुशवाहा दावा करते हैं कि जेडीयू के कई और नेता उनके संपर्क में हैं। वे कभी भी पार्टी छोड़ने को तैयार बैठे हैं। जेडीयू खत्म हो जाएगा। लोजपा (आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान भी यही कहते हैं। आरसीपी सिंह जेडीयू नेताओं को तोड़ने के अभियान में जुट गए हैं। जेडीयू के भीतर भी स्थिति अच्छी नहीं है।ललन सिंह की जिस तरह दो मंत्रियों ने उपेक्षा की है, उससे लगता है कि ललन सिंह के दिन अब लद गए हैं। जेडीयू का एक तबका तो उन्हें आरजेडी का आदमी भी बताने लगा है। जेडीयू का यह वही तबका है, जिसे भाजपा से दोस्ती तोड़ना रास नहीं आया। उनका मानना है कि ललन सिंह ने भाजपा से रिश्ते खत्म कराने के अलावा जेडीयू के लिए कुछ नहीं किया है।

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