पुष्पा गुप्ता
_रवीश कुमार लिखते हैं : वंदे भारत ट्रेन के पहिए चीन में बनेंगे? 17 मई की तारीख़ से ETNOW की वेबसाइट पर यह ख़बर छपी है। ख़बर में आधिकारिक बयान नहीं है, सूत्रों के हवाले से जानकारी दी गई है। सूत्रों के हवाले से लिखा है कि भारत ने चीन की कंपनी को 170 करोड़ का ठेका दिया है। इन 39000 पहियों का इस्तेमाल वंदे भारत ट्रेनों में होगा। भारत जैसे देश के लिए 170 करोड़ का ठेका किसी को भी देना मामूली बात है। नाम वंदे भारत ट्रेन का और पहिया चीन का, कुछ जमता नहीं है।_
19 मई के रोज़ कई जगहों पर ख़बर छपी है कि चीन पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास एक और पुल बना रहा है।
इसके पहले भी एक पुल बना चुका है। नया पुल पहले वाले से कहीं ज़्यादा बड़ा लगता है। पिछले दो साल में भारत और चीन के बीच 15 दौर की वार्ता हो चुकी है। कई मीडिया रिपोर्ट में बातचीत को बेनतीजा लिखा जा रहा है।
चीन भारत की सीमा में पुल बना रहा है, भारत चीन से ट्रेन के पहिए बनवा रहा है।
14 अप्रैल को कई जगहों पर भारत और चीन के बीच आयात-निर्यात के आंकड़ों को लेकर ख़बर छपी है। पिछले साल अप्रैल से लेकर इस साल 31 मार्च के आंकड़े बता रहे हैं कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के बाद भी चीन से आयात काफी बढ़ा है।
इस साल की पहली तिमाही में ही 15.3 प्रतिशत बढ़ गया है। मीडिया की तमाम रिपोर्ट में चीन के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम (GACC) का हवाला दिया गया है। चीन के आंकड़ों के अनुसार भारत का चीन से व्यापार घाटा 77 अरब डॉलर का हो गया है।
एक साल के भीतर भारत ने चीन से 103 अरब डॉलर का आयात किया है और निर्यात केवल 26.46 डॉलर का। इस तरह से चीन के साथ भारत का व्यापार घाटे का सौदा हुआ।
चीन से आयात होने वाले सामानों में इलेक्ट्रॉनिक सामानों, मशीनों और खाद का बड़ा हिस्सा है। बड़ी बात यह है कि सीमा विवाद के बाद भी भारत कई चीज़ों के आयात के लिए चीन पर निर्भर है।
29 अप्रैल के न्यू इंडियन एक्सप्रेस में ख़बर छपी है कि चीन से भारत के कुछ मेडिकल छात्रों को लौटने की अनुमति दी है। कुछ की संख्या कितनी है, किसी रिपोर्ट में नहीं मिलती है। भारत के 22,000 से अधिक छात्र चीन के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ते हैं।
कोरोना के कारण दो साल से भारत में हैं और अपने कॉलेज जाकर आगे की पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने फीस दी है। लेकिन, चीन उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। उन्हें मजबूर कर रहा है कि ऑनलाइन क्लास ही करें।
चीन ने अपने कई मित्र देशों के छात्रों को अपने देश आने दिया है। लेकिन, इसके लिए भारत सरकार को कई दौर की बातचीत करनी पड़ी है। चेतावनी देनी पड़ी है। चीनी यात्रियों का पर्यटन वीज़ा तक रद्द करना पड़ा है।
22000 भारतीय छात्रों में से कुछ को चीन के मेडिकल कॉलेजों में लौटने की अनुमति से समस्या का समाधान नहीं होता है, उम्मीद है, चीन आने वाले दिनों में छात्रों की सुनेगा। यह ख़बर 29 अप्रैल के दिन एनडीटीवी की वेबसाइट पर भी छपी है।
25 अप्रैल की एक और ख़बर क्विंट पर है। इस ख़बर के अनुसार भारत ने चीन के नागरिकों के लिए पर्यटन वीज़ा रद्द कर दिया है।
क्या इसी के बाद चीन ने कुछ भारतीय छात्रों को चीन लौटने की इजाज़त दी है? उम्मीद की जानी चाहिए कि इस समस्या का हल निकाल लिया जाएगा। वैसे जनवरी-फरवरी से ही इस बाबत कई ख़बरें आपको मिलेंगी।
पाँच महीने में तो कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।
सारी ख़बरें पहले छप चुकी हैं।
[चेतना विकास मिशन)