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*सीपीआई और एसपीआई ने इंदौर में एसयूसीआई प्रत्याशी को दिया समर्थन* 

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*नोटा को वोट देने की अपील नपुंसक राजनीति होकर लोकतंत्र का अपमान*

*इंदौर के मतदाता सांप्रदायिक राजनीति और झूठी गारंटी देने वालों को करारा सबक सिखाएं* 

इंदौर कांग्रेस उम्मीदवार के लोकसभा चुनाव में मैदान से भागने पर सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इंदौर में चुनाव लड रहे वामपंथी उम्मीदवार एसयूसीआई के अजीत पवार का समर्थन करने का निर्णय लिया है ।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव अरविंद श्रीवास्तव ने भोपाल में जारी बयान में कहा कि भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी इंदौर में सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर उम्मीदवार अजीत पवार का समर्थन करेगी । भले ही हमारा एस यू सी आइ से राजनैतिक संबंध नहीं है और वह न तो इंडिया गठबंधन का सदस्य है पर एक छोटी सी पार्टी के उम्मीदवार ने जिस बहादुरी के साथ सूरत  कांड को दोहराने के लिए की गई गुंडागर्दी और फासीवादी हथकंडे का मुकाबला किया और लोकतंत्र का चीरहरण नहीं होने दिया उस साहस के लिए उसका समर्थन एक नैतिक जिम्मेदारी है। 

श्रीवास्तव ने कहाकि बावजूद इसके कि वे स्वयं कौ देश की इकलौती कम्युनिस्ट पार्टी मानते हैं। लेकिन हम उन्हें वामपंथी पार्टी मानते हैं और कम से कम फासीवाद‌‌ विरोधी और सम्प्रदाय विरोधी तो है ही। कांग्रेस पार्टी और उसके अध्यक्ष अपने ही गृह शहर में बेबस  हैं जिले में अपने उम्मीदवार को सम्हाल नहीं पाये और अब जानकारी मिली है कि वे नोटा में वोट डालने का अभियान चलायेंगे। 

 कांग्रेस कभी भी अहंकार से ऊपर नहीं उठ पाती है।नोटा के मतों का कोई मतलब नहीं होता इसलिए बहुत कम लोग ही कांग्रेस के कहने से नोटा में वोट डालने घर से निकलेंगे और भाजपा पहले से भी अधिक बहुमत से चुनाव जीतेगी ‌और दावा करेगी एक तरफा जन समर्थन का। एस यू सी आइ के उम्मीदवार को कितने वोट मिलेंगे यह महत्वपूर्ण नहीं है और न यह समय बारीक सैद्धांतिक बहस का नही है वरना इंडिया गठबंधन बन ही नहीं पाता बल्कि समय है फासीवाद सम्प्रदायवाद के खिलाफ उठती हर आवाज के साथ आवाज मिलाने का। भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी यही कर रही है।

इसी तरह का बयान जारी करते हुए सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि नोटा को वोट देने की अपील करना नपुंसक राजनीति है और सांप्रदायिकता के खिलाफ नकली लड़ाई भी । कांग्रेस पूरे देश में अपने-अपने हिसाब से राजनीतिक निर्णय लेती है खजुराहो में जहां वह एक अन्य पार्टी जिसका इंडिया गठबंधन से कोई संबंध नहीं है ,उसका समर्थन कर रही है ,वहीं इंदौर में नोटा की अपील कर रही है । कांग्रेस चाहती है की तीसरी ताकत का कोई दल ताकत बनकर नहीं उभरे, इसीलिए इंदौर में नोटा का समर्थन कर रही है । यह केवल इंदौर के मतदाताओं को भटकाने की अपील है । सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी हमेशा निर्णायक और संघर्ष की राजनीति करती रही है और उसी के चलते दोनों दलों के नेताओं ने इंदौर का ससंद में प्रतिनिधित्व भी किया है। दोनों दलों के नेताओं ने इंदौर की शानदार जनता से अपील की है कि लंबे अरसे बाद इंदौर के मतदाताओं को मौका मिला है कि वह फिर से तीसरा विकल्प  चुने क्योंकि जब तक इंदौर में वामपंथी समाजवादी मजबूत रहे है तब तक किसानों और मजदूरों पर कभी अत्याचार नहीं हुए और ना उनके रोजगार पर खतरा मडराया । इसलिए जरूरी है कि इस बार मैदान से भागने वाली कांग्रेस और 2014 से देश की जनता को झूठी गारंटी दे रही सांप्रदायिक भारतीय जनतापार्टीे को करारी चोट दी जाए । इसलिए लड़ाकू युवा उम्मीदवार अजीत पवार को वोट देकर इंदौर की जनता एक इतिहास रचे ।

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