राकेश अचल
कांग्रेस के सांसद धीरज साहू के घर से करोड़ों रुपयों की नगदी मिलने से सत्तारूढ़ दल को कांग्रेस पर वार करने का मौक़ा मिल गया है ,लेकिन हकीकत ये है कि देश के हरेक राजनीतिक दल में एक नहीं अनेक धीरज साहू हैं। एक की सिमसिम खुल गयी है और बाक़ी की नहीं। धीरज साहू कांग्रेस में हैं इसलिए पूरी कांग्रेस को लपेटा जा रहा है ,लेकिन जो कारोबार धीरज साहू का है उसमें कांग्रेस हिस्सेदार है क्या ?
सबसे पहली बात तो ये है कि धीरज साहू कोई दूध के धुले नहीं हैं , शराब से धुले है। शराब का कारोबार उनका खानदानी पेशा है। किसी का पेशा ,क्या है ये राजनीतिक दल तय नहीं करते। ये प्रारब्ध तय करता है । कोई शराब बेचता है,कोई शबाब बेचता है । कोई मांस बेचता है कोई केवल चाय बेचता है । यानि सबके अपने-अपने धंधे हैं और जायज तथा नाजायज दोनों तरह के धंधे है। सियासत सबसे बड़ा और लोकप्रिय धंधा है । सियासत हाथी का पांव है जिसमें सारे पांव समा जाते हैं।
धीरज साहू मेरे हमउम्र हैं। उनका जन्म 23 नवंबर 1959 को झारखंड के रांची में हुआ था। धीरज साहू 2010 में पहली बार कांग्रेस के राज्यसभा सांसद बने थे। धीरज प्रसाद साहू पेशे से एक शराब कारोबारी हैं। ओडिशा की बौध डिस्टलरी उनकी कंपनी है। आयकर विभाग की टीम ने तीन राज्यों ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल में उनके करीब 25 ठिकानों पर छापा मारा है, जहां से करोड़ों रूपये नगद बरामद किये हैं। शराब के कारोबार में इतना पैसा जमा होना हैरानी की बात नहीं है । हैरानी की बात ये है कि धीरज ने ये रकम बैंक में न रखकर अपने घर पर रखी। जाहिर है कि धीरज ने कर अपवंचन किया है ,वे इसकी सजा भी भुगतेंगे और कांग्रेस अपनी हथेली धीरज के लिए नहीं लगाने वाली। लगाना भी नहीं चाहिए।
गनीमत ये है कि धीरज भाजपा के उन छह सांसदों की तरह नहीं हैं जो संसद में सवाल पूछने के पैसे लेते धरे गए थे। धीरज के बेटे पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटों की तरह ऐसा कोई कारोबार नहीं करते जिसके वीडियो वायरल होने के बाद भी भाजपा की सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। भाजपा अपनी पार्टी के लोगों के लिए छाता तान देती है और दूसरे दल के नेताओं के लिए आक्रामक हो जाती है। भाजपा शासित मप्र में शराब के कारोबार ने न जाने कितने नेताओं को धीरज साहू बना दिया है लेकिन वे मनीष सिसोदिया या संजय सिंह की तरह जेल नहीं जाते। उमा भारती शराब बंदी के लिए शराब की दुकानों पर पथराव कर-करके थक जातीं हैं लेकिन सरकार उनकी एक नहीं सुनती ,क्योंकि सरब हर सत्ता व्यवस्था की धुरी होती है।
गौर कीजिये कि धीरज ने जिन राज्यों में शराब बेचकर वैध-अवैध रुपया कमाया उनमें से एक भी भाजपा शासित नहीं है । धीरज झारखंड के हैं, वहां कारोबार करते है। उनका कारोबार बीजद जनतादल शासित ओडिशा में है । तृण मूल कांग्रेस शासित बंगाल में है। वे जहां कारोबार करते हैं वहां कहीं कांग्रेस की सरकार नहीं है जो कहा जा सके कि धीरज को कांग्रेस पार्टी और उसकी सरकार का संरक्षण है। शराब कारोबारियों को किसी की भी सरकार हो ,संरक्षण मिलता ही है। हरियाणा में मिलता है,मप्र में मिलता है। ये व्यवस्था का प्रश्न है कि धीरज साहू की प्रजाति को सत्ता जन्म देती है कोई दल नहीं। इस मामले में सभी दल और सत्ताएं एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं।
आयकर अधिकारियों ने बताया कि बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड और उससे जुड़ी संस्थाओं के खिलाफ विभाग के छापे में अब तक भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई है। ये छापे साहू से जुड़े परिसरों में भी मारे गए हैं। आयकर विभाग ने राशि की गिनती के लिए तीन दर्जन से अधिक नोट गिनने वाली मशीनें लगाई हैं। मशीनों की सीमित क्षमता की वजह से बेहिसाब राशि को गिनने में समय लग रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को कहा कि जब्त की गई रकम 290 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है जो किसी भी एजेंसी द्वारा एक ही अभियान में बरामद किए गए काले धन का “अब तक का सबसे बड़ा भंडार” होगा ।
धीरज के यहां से मिली रकम से जाहिर है कि देश का आयकर विभाग भी धीरज के कारोबार से पलता रहा है अन्यथा धीरज कैसे इतनी बड़ी रकम अपने यहां छिपाकर रख सकता था? धीरज करचोर है तो अदालत उसे सजा देगी ,धीरज को फांसी पर तो लटकाया नहीं जाएगा,ज्यादा से ज्यादा उसकी सम्पत्ति जब्त कर ली जाएगी या उसे कुछ साल की जेल हो जाएगी और मुमकिन है कि धीरज के लेखापाल सारी जब्त रकम का हिसाब देकर ,जुर्माना भरकर आजाद भी हो जाएँ ,लेकिन इससे सत्तारूढ़ दल के सांसदों और मंत्रियों के भ्र्ष्टाचार का रंग फीका नहीं होजाता। मप्र के गृहमंत्री के बच्चे के बस्ते से नोट निकले थे लेकिन कुछ नहीं हुआ । आयकर विभाग या ईडी ने दस हजार करोड़ का लेनदेन करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री के बेटों के वीडियो का कोई संज्ञान नहीं लिया।
देश का दुर्भाग्य ये है कि हमारे यहां का क़ानून ,हमारी न्याय व्यवस्था इतनी उदार है की अब्बल तो आरोपी पकडे नहीं जाते और यदि पकडे जाते हैं तो उनके बचाव के तमाम रस्ते होते हैं इसलिए कोई भी धीरज साहू बनने से डरता नहीं है। भाजपा की मौजूदा सरकार के जमाने में कितने धीरज साहू देश को छूना लगाकर विदेश भाग गए ? कम से कम धीरज देश में तो हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई तो की जा रही है। देश में यदि सचमुच रामराज आ रहा है तो देश की सरकार को चाहिए की वो सभी दलों के धीरजों को धरे। पूँछ उठाकर ये न देखे कि वे किस दल के धीरज हैं। धीरज जिस कारोबार से धीरज बने उसके ऊपर रोक लगाए बिना धीरजों का वजूद समाप्त नहीं किया जा सकता ,और शराब का कारोबार किसी देश में आसानी से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। यहां तक की धार्मिक देशों में भी शराब कारोबार सबसे प्रिय और मुनाफे का कारोबार है।
@ राकेश अचल