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शशिकांत गुप्ते को दिनकर स्मृति सम्मान

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3 जुलाई 2022 रविवार का दिन मेरे जीवन का अविस्मरणीय दिन रहा।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित गांधी भवन के सभागृह में एक भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ। इस आयोजन के प्रमुख आयोजक श्री कैलाश श्रीवास्तव “आदमी” हैं। कैलाशजी स्वयं को सनातन धर्मी ही मानतें है। कैलाशजी का व्यक्तित्व मतलब गुदड़ी का लाल वाले मुहावरे को चरितार्थ करता है।


गुदड़ी का लाल मुहावरे का अर्थ होता है, छिपी हुई अमूल्य वस्तु, साधारण घर में जन्मा असाधारण गुणी या प्रतिभावान बालक, गरीब घर मे जन्मा हुआ गुणवान बालक, गरीब के घर में गुणवान का उत्पत्र होना।
कैलाशजी ने गांधीजी विचारों को सिर्फ पढा और समझा ही नहीं बल्कि उन्हें अपने आचरण में अंगीकृत किया।
कैलाशजी ने गांधीजी के विचार को अपना आदर्श मानतें हुए,वे डॉ सुब्बाराव के सहयोगी बने।
डॉ सुब्बारावजी को
लोकनायक जयप्रकाश नारायण व आचार्य विनोबा भावे जैसी हस्तियों ने मुझे प्रोत्साहन दिया। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन के चार साल चंबल घाटी के डाकुओं के बीच ही बिताकर उन्हें महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित किया। डॉ. सुब्बाराव के प्रयास ही थे कि डकैती से बदनाम हो चुकी चंबल घाटी के 654 खूंखार डाकुओं ने सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का फैसला किया।
कैलाशजी इस साहसिक आंदोलन के प्रत्यक्ष सहभागी हैं।
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि, कैलाशजी सौभाग्य से उक्त साहसिक आंदोलन के सिर्फ सहभागी ही नहीं रहे,कैलाशजी का इस आंदोलन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहकार्य भी रहा है।
कैलाशजी ने 49 वर्ष पूर्व निर्दलीय नाम से एक समाचार पत्र प्रकाशित किया। इस समाचार पत्र का शुभारंभ जो पुर्व में कुख्यात दस्सू थे। आत्म समर्पण के बाद इन्होंने सामान्य सामाजिक जीवन जीना शुरू किया,ऐसे भूतपूर्व डाकू माधवसिंह के कर कमलों द्वारा कैलाशजी ने अपने समाचार पत्र निर्दलीय का शुभारंभ कर अभूतपूर्व,अविस्मरणीय,
प्रेरणादायी और प्रशंसनीय कार्य सम्पन्न किया।
एक बहुत साहसिक कार्य कैलाशजी कर रहें हैं, वे समाचार पत्र के प्रकाशन में शासकीय विज्ञापनों पर निर्भर नहीं है।
निर्भीक होकर वे 49 वर्षो से समाचार पर निर्दलीय का प्रकाशन कर रहें हैं।
कैलाशीजी प्रतिवर्ष जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में साहित्यकारों का सम्मान करतें हैं। कैलाशीजी का यह अभियान भी अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हो सकता है।
पीछले दो वर्षो में महामारी के कारण उक्त आयोजन करने में वे असमर्थ रहें।
3 जुलाई 2022 रविवार के दिन भोपाल में स्थित गांधी भवन के सभागृह में निर्दलीय समाचार पत्र के पचासवें वर्ष में प्रवेश करने के दिन, कैलाशीजी अपने सहयोगियों के साथ देशभर के साहित्य कारों का सम्मान किया।
इस समारोह में कश्मीर, सिलीगुड़ी,अंडमान निकोबार द्वीप, मेरठ,जयपुर, आगरा, प्रयागराज मिर्जापुर,नाशिक,नागपुर, के अलावा पश्चिम बंगाल, हरियाणा,पंजाब, आदि प्रान्तों से और मध्यप्रदेश के ग्यारह जिलों के साहित्यकार एकत्रित हुए।
इस समारोह में जो अतिथि थे वे सभी विभिन्न विषयो के तज्ञ और जिनका सामाजिक कार्यो में अमूल्य योगदान रहा है।ऐसी पूज्यनीय विभूतियों से समारोह का मंच सुशोभित था।
यह सम्मान समारोह तीन विभिन्न सत्रों में संपन्न हुआ।
एक सत्र की बहुत ही अनोखी और अभूतपूर्व शुरुआत हुई।
यह शुरुआत आज देश के मौजूदा माहौल के लिए बहुत बड़ा सबक है। यह अनोखी शुरुआत सिदिक़्क़ी नामक एक मुस्लिम शख्स ने गणेशजी और शिवजी की वंदना गा कर की।
ऐसे समारोह का मै प्रत्यक्ष दर्शी बना यह मेरा सौभाग्य है।
इसी समारोह में कैलाशीजी जैसे व्यक्तित्व के साथ ही मंच पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के हाथों मुझे मेरे लेखन कार्य के लिए, महान कवि स्व.रामधारीसिंह दिनकरजी स्मृति सम्मान प्राप्त हुआ।
यह मेरे जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है।
इस उपलब्धि का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि उक्त आयोजन अपने देश की स्वतंत्रता के पिचहत्तर वर्ष में आयोजित हुआ है।
निर्दलीय परिवार और कैलाशजी के प्रति मै अपना सहृदय आभार प्रस्तुत करता हूँ।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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