अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

क्या महंगी चीज लेने का मतलब यह है कि आप निश्चित तौर पर क्वॉलिटी पाने जा रहे हैं?

Share

हाल में सरकार ने भारत दाल, आटा और चावल की शुरुआत की। बाजार के मुकाबले बेहद सस्ते इन प्रॉडक्ट्स को ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है। इस तरह के दावे आए हैं कि इनकी बिक्री काफी तेजी से बढ़ी है। लेकिन अपने इर्द-गिर्द कई लोगों से इसके बारे में पूछा। वे इससे उत्साहित नहीं दिखे। कुछ ने तो सीधे इन प्रॉडक्ट्स की क्वॉलिटी पर सवाल उठा दिए। मेरे लिए यह पहली बार नहीं था। इससे पहले जन औषधि स्टोर की जेनेरिक दवा के बारे में भी यही प्रतिक्रिया मिल चुकी थी। मेरी जान-पहचान के लोग सोचते हैं कि हेल्थ के मामले में रिस्क क्यों लिया जाए, इसलिए वे ब्रैंडेड दवाएं खरीदने में यकीन रखते हैं।

हमारे इलाके में एक चैरिटेबल अस्पताल है। वहां आंखों की जांच आज भी 10 रुपये में होती है। गाहे-बगाहे कुछ लोगों ने आंखों की तकलीफ होने पर मुझसे अस्पतालों के बारे में राय मांगी थी। मैंने उन्हें इसी अस्पताल के बारे में बताया। 10 रुपये की फीस के बारे में सुनने पर इनमें से ज्यादातर लोगों का यही सवाल था कि क्या वहां MBBS डॉक्टर बैठते हैं। मैंने कहा कि वहां MD डॉक्टर बैठते हैं। फिर सवाल आया कि वे क्यों बैठते हैं। अब इसका क्या जवाब दिया जाए।

एक वक्त था, जब लोग पैसे बचाने के लिए बाजार में सस्ती से सस्ती चीजों की तलाश करते थे। आज समय बदल गया है। अब सस्ती चीज हाथ में लेने का मतलब यह हो गया है कि आप क्वॉलिटी से समझौता कर रहे हैं। लोग मान बैठे हैं कि सेवा भाव, सरकारी समर्थन जैसी कोई चीज मौजूद नहीं रह गई है। लेकिन क्या महंगी चीज लेने का मतलब यह है कि आप निश्चित तौर पर क्वॉलिटी पाने जा रहे हैं?

इस देश में जब लखटकिया कार के बारे में सोचा गया, तब खर्च के बारे में लोगों की सोच इसकी डिमांड पैदा कर रही थी। लेकिन जब यह कार बाजार में आई तो सोच में बड़ा बदलाव आ चुका था। तब कोई सोच नहीं सकता था कि एक दिन ऐसा आएगा, जब बाजार में बिकने वाली कारों में आधी SUV कैटिगरी की होंगी। सस्ते मोबाइल फोन को कोई युवा हाथ भी नहीं लगाना चाहेगा।

हमारे दिमाग में एक अंतर्निहित पूर्वाग्रह होता है। एक अनकहा विश्वास होता है कि प्रीमियम का टैग चीज के शानदार होने का प्रतीक है, कि भारी कीमत बेहतर परफॉर्मेंस की गारंटी देती है। इसके उलट बजट फ्रेंडली ऑप्शन मिलने पर संदेह पैदा हो जाता है। लेकिन सस्ती चीजें हमेशा खराब नहीं होतीं। वे आवश्यकताओं के आधार पर अच्छी भी हो सकती हैं। इनकी गुणवत्ता उपयोग के तरीके पर भी निर्भर करती हैं। हम वैल्यू की खोज करें, साथ में विवेक का इस्तेमाल भी महत्वपूर्ण है। किफायती विकल्पों को सिरे से खारिज करने के बजाय उनका निष्पक्ष मूल्यांकन करें। रिव्यू पढ़ें, तुलना करें और असल परफॉर्मेंस का आकलन करें। उस बैलेंस की तलाश करें, जहां क्वॉलिटी और कॉस्ट में एक तालमेल साफ साफ दिख रहा हो।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें