अग्नि आलोक
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बिना लड़े इन्साफ मिलेगा ! इस धोखे में मत रहना !

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घनश्याम प्रजापति

शिक्षित और संगठित होकर,
खुद पर तुम विश्वास करो।

आहों से पत्थर पिघलेगा !
इस धोखे में मत रहना !

बिना लड़े इन्साफ मिलेगा !
इस धोखे में मत रहना !

भारत के ज़र्रे ज़र्रे में,
अपना अपना हिस्सा है !

बुला बुला कर कोई देगा !
इस धोखे में मत रहना !

भाग्य और भगवान तो प्यारे,
केवल एक छलावा है !

ईश्वर ही कल्याण करेगा !
इस धोखे में मत रहना।

कहा किसी ने तेरे हाथों में,
धन दौलत की रेखा है !

छप्पर फाड़कर धन बरसेगा !
इस धोखे में मत रहना !

शिक्षित और संगठित होकर,
खुद पर तुम विश्वास करो।

और कोई संघर्ष करेगा,
इस धोखे में मत रहना !

संविधान की रक्षा करना,
सब की जिम्मेदारी है ।

कोई और बेड़ा पार करेगा,
इस धोखे में मत रहना !

बिना लड़े इन्साफ मिलेगा,
इस धोखे में मत रहना !

फिर अंबेडकर पैदा होंगे,
इस धोखे में मत रहना !

इसलिए

शिक्षित और संगठित होकर,
खुद पर तुम विश्वास करो,खुद लड़ो।

  प्रस्तुतकर्ता- घनश्याम प्रजापति, द्वारा हिस्ट्री ऑफ इंडिया पटल , संपर्क - 98399 01051

     संकलन - निर्मल कुमार शर्मा गाजियाबाद उप्र संपर्क - 9910629632

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