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बीच में चले गए जल – जंगल यात्री डॉक्टर पंकज श्रीवास्तव ……

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  – क्रांति चतुर्वेदी

दशहरे की सुबह सुनील चतुर्वेदी जी , मूर्ति जी ,संतोष शुक्ला जी का दुखद संदेश आया – डॉक्टर पंकज श्रीवास्तव नहीं रहे . सुनकर स्तब्ध हो गया .पंकज जी का एक परिचय तो यह है कि वह भारतीय वन प्रबंधन संस्थान के निदेशक और वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी थे. किंतु इससे भी कहीं आगे वह एक नर्मदा अनुरागी , लेखक ,कवि ,आलोचक, जल जंगल प्रेमी , प्रयोग धर्मी ,अध्ययेता , श्रेष्ठ वक्ता और यारों के यार थे ….जल जंगल को वे ‘  उदर परिचय ‘ के अलावा जीवन में भी जीते थे .उन्होंने पानी जंगल व अन्य विविध विषयों पर 10 से भी ज्यादा किताबें लिखी . जंगल रहे ताकि नर्मदा बहे…. उनकी बहुचर्चित पुस्तक रही . इस पुस्तक पर उन्हें भारत सरकार का प्रतिष्ठित मेदिनी सम्मान प्रदान किया गया था . नर्मदा के रहस्यमय संसार पर भी उनकी मशहूर पुस्तक रही .जंगल संसार पर उन्होंने शोध प्रबंध भी लिखा .स्वयंसेवी संगठन नर्मदा संरक्षण पहल के तहत जल जंगल संरक्षण की दिशा में उन्होंने अनेक कार्य किए. मध्यप्रदेश में महाशीर मछली के संरक्षण की दिशा में भी उन्होंने उल्लेखनीय प्रयास किए .पिछले कुछ माह से इस संस्था के अध्यक्ष पद का दायित्व निभा रहे थे. वे नर्मदा जी पर नई किताब भी तैयार कर रहे थे. पानी व जंगल के लिए केवल वैचारिक धरातल पर ही ना होकर जमीनी कार्य क्षेत्र में सेवा के अलावा भी जुड़े रहे . स्वर्गीय अनिल माधव दवे जी ने जब सन 2008 में पहले अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव व धरातलीय कार्य की शुरुआत की थी ,उस टीम में सुनील चतुर्वेदी जी ,राजेश गुप्ता जी के अलावा पंकज श्रीवास्तव जी भी अहम  भूमिका में रहे  .

इलाहाबाद के रहने वाले पंकज जी जंगल अनुराग के चलते आईएफ़एस बन गए थे .नदियों से प्रेम उन्हें विरासत में मिला था. वे अक्सर कहा करते थे – मेरे पिता को नदियों से इतना लगाव था कि उत्तर प्रदेश की शासकीय सेवा में रहते हुए वे सरकार को यह चिट्ठी लिखा करते थे कि किसी भी नदी किनारे मेरा तबादला कर दिया जाए…… पंकज जी की जहां भी पोस्टिंग रही, उन्होंने नदी किनारे जंगलों का संरक्षण और संवर्धन विशेष लगाव के साथ यह कहकर किया कि वे नदी को हरियाली चुनरी उड़ा रहे हैं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या दिग्विजय सिंह रहे हो …..वह पंकज श्रीवास्तव से मध्य प्रदेश के जंगलों के संरक्षण के संदर्भ में सलाह लिया करते थे….. मध्यप्रदेश में लोकवानिकी अधिनियम लागू करवाने में उनके प्रयास बुनियादी थे . निजी जंगलों के संरक्षण और संवर्धन में डॉक्टर पंकज श्रीवास्तव का अहम योगदान रहा . मध्यप्रदेश में सीधी , सिवनी ,होशंगाबाद से लेकर देवास के जंगलों के किनारे उनके चाहने वाले बहुतायत में आपको आज भी मिल जाएंगे . पंकज जी कलम के धनी थे….. खूब लिखते थे……  सुनील जी उन्हें मजाकिया अंदाज में ….लिक्खाड़ संघ का अध्यक्ष… कहते थे .

उनके साथ यात्राओं का अपना रोमांच रहता था… अनिल दवे जी के साथ उन्होंने जल यात्रा भी की और पदयात्रा भी की . नर्मदा परिक्रमा वासी अमृतलाल वेगड़ जी के साथ भी नर्मदा के किनारे किनारे चलते थे .राते  मंदिरों के ओटलों पर सोते थे . इन यात्राओं में हम साथ होते थे… कई बार वे आई एफ एस का चोला खूंटी पर टांग कर आया करते थे…. वह अक्सर मुझे जंगलों में भी साथ ले जाते ……..नेमावर का जंगल , अवलिया का जंगल , कालीभीत का जंगल , देवास जिले का निजी जंगल , बुधनी का जंगल , बडगोंदा का जंगल , ओमकारेश्वर का जंगल , किटी का जंगल , पुनासा का जंगल …. जबलपुर में नर्मदा किनारे पर्यावरणविद नरसिंह रंगा का निजी जंगल व ऐसी अनेक यात्राएं उनके साथ की…. जंगल संसार के उनके रोचक अनुभव वह खास अंदाज में इन यात्राओं में साझा किया करते थे…….

….. पंकज जी ……!!!! आप बीच यात्रा में हम मित्रों को छोड़ कर चले गए…… कैसे भूल सकते हैं ……हम नर्मदा सागर की जल यात्रा को जो बोट से आपके साथ हमने और सुनील जी ने की थी……. कैसे भूल सकते हैं…. जब आपने सुनील जी के  विहान आश्रम में खूब कविताएं सुनाई थी ……..आप सदा याद आओगे…….. नर्मदा अनुरागी समाज सदा आप से प्रेरणा लेता रहेगा ……..आप अपनी पुस्तकों….. और स्मृतियों के रूप में हमारे साथ हमेशा रहोगे…… सादर नमन….!!!!.

  – क्रांति चतुर्वेदी

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