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दो कम्युनिस्टों के कारण इंदौर में लोकतंत्र की लाज बची रह सकी

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 हरनाम सिंह

  इंदौर संसदीय क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार शंकर लालवानी को निर्विरोध निर्वाचित करवाने की योजना असफल हो गई। दो कम्युनिस्ट कार्यकर्ता प्रलोभन और धमकियों से विचलित नहीं हुए। उनके कारण इंदौर में लोकतंत्र की लाज बची रह सकी।

              भाजपा का इरादा इंदौर में भी सूरत की कहानी दोहराने का था ताकि पार्टी उम्मीदवार बिना चुनाव लड़े ही निर्वाचित घोषित हो सके। इस हेतु पूरी तैयारी कर ली गई थी। कांग्रेस उम्मीदवार के नामांकन पत्र वापस ले लेने के पश्चात शेष सभी निर्दलीय उम्मीदवारों को कलेक्टर  कार्यालय में एकत्र कर लिया गया था। ताकि सामूहिक रूप से नामांकन वापस लिया जा सके। इंतजार था तो केवल सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के उम्मीदवार कामरेड अजीत सिंह पंवार का। लेकिन श्री पंवार को न पहुंचना था और नहीं  वे पहुंचे। श्री पंवार और उनके नामांकन पत्र पर प्रस्तावक के रूप में हस्ताक्षर कर चुके पार्टी कार्यकर्ता की सैद्धांतिक प्रतिबद्धता ने भाजपा के मंसूबे पर पानी फेर दिया। उन दोनों के बिकने से इंकार और निडरता ने इंदौर वासियों को अपने मताधिकार का उपयोग करने का अवसर प्रदान किया है।

               समाचार पोर्टल “द वायर” के पत्रकार को वामपंथी उम्मीदवार कामरेड पंवार ने बताया कि पहली बार उनके पास उनके पूर्व परिचित एक वकील का फोन आया था, उसने कहा कि भाजपा के एक पूर्व विधायक किसी महत्वपूर्ण सिलसिले में उनसे मिलना चाहते हैं। मैंने जब मिलने से इंकार कर दिया तो मेरे गृह नगर गुना से एक पुलिस अधिकारी का फोन आया वह भी यही बात कह रहा था, कि वह भाजपा नेताओं से मिल ले। कुछ सरकारी अधिकारियों और भाजपा के दूत होने का दावा करने वाले कई लोगों ने भी उस पर दबाव बनाया।श्री पंवार को बताया गया कि इंदौर शहर की बेहतरी के लिए भाजपा नेता उनसे मिलना चाहते हैं। जब उन्होंने मिलने से मना कर दिया तो यह अनुरोध धमकियों में बदल गया।

                उम्मीदवार कामरेड अजीत सिंह पंवार ने बताया कि नाम वापसी की तारीख से पहले 27 एवं 28 अप्रैल को उनके पास बड़ी तादाद में ज्ञात-अज्ञात नंबरों से फोन कॉल आए थे। दिल्ली से भाजपा हाई कमान के नाम से फोन पर उन्हें आर्थिक प्रलोभन भी दिया गया था।

            अपनी योजना विफल होता देख भाजपा का एक पार्षद उस प्रस्तावक के घर जा पहुंचा जिसने श्री पंवार के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। उसे प्रलोभन के साथ धमकी देकर समझाया गया कि वह कलेक्टर कार्यालय में पहुंचकर श्री पंवार के नामांकन पत्र पर अपना हस्ताक्षर होने से इंकार कर दे। शेष वे संभाल लेंगे। लेकिन वह कार्यकर्ता भी नहीं माना।

                 चुनाव विश्लेषक एवं विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव के अनुसार नाम निर्देशन पत्र वापसी के दिन भाजपा ने 13 निर्दलीय उम्मीदवारों को कलेक्टर कार्यालय में जमा करके रखा था, ताकि सबके नामांकन पत्र एक साथ वापस लिए जा सके। जब श्री पंवार नहीं माने तो सभी उम्मीदवारों को छोड़ दिया गया। वर्तमान में कामरेड अजीत सिंह पंवार सहित सभी निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा प्रत्याशी के सामने चुनावी मैदान में है।

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