कोलकाता। दुनिया की सौ बेहतरीन फिल्मों में से एक सत्यजीत राय की ‘पथेर पांचाली’ (पथ का गीत, 1955) में दुर्गा का किरदार निभाने वाली उमा दासगुप्ता का आज सुबह निधन हो गया। वे बुजुर्ग थीं और लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थीं।
‘पथेर पांचाली’ में अपू (सुबीर बंद्योपाध्याय) की बड़ी बहन की भूमिका निभा कर उमा दासगुप्ता ‘सिनेमा के संसार में किंवदंती’ बन गई थीं। उमा दासगुप्ता ने पूरी जिंदगी में सिर्फ एक ही फिल्म में अभिनय किया और वह थी सत्यजीत राय की बांग्ला मूवी ‘पथेर पांचाली’ (1955)।
उमा दासगुप्ता जब महज़ 12 साल की थीं, तभी सत्यजीत राय ने अपनी पहली फिल्म ‘पथेर पांचाली’ में उनका चयन किया। हुआ यह कि जिस स्कूल में उमा दासगुप्ता पढ़ती थीं, उस स्कूल के सहायक प्रधान शिक्षक ने सत्यजीत राय को उनका नाम सुझाया था। उसके बाद उमा दासगुप्ता का चुनाव दुर्गा के चरित्र में फिल्म ‘पथेर पांचाली’ में हुआ। उमा दासगुप्ता ने दुर्गा के किरदार को ‘पथेर पांचाली’ में ऐसा जीवंत किया कि आज यह फिल्म दुनिया की एक ‘आइकोनिक मूवी’ बन गई है। संसार की सौ बेहतरीन फिल्मों में एक नाम ‘पथेर पांचाली’ का भी है।
मालूम हो कि ‘पथेर पांचाली’ उपन्यास बंगाल के मशहूर साहित्यकार विभूति भूषण बंद्योपाध्याय का लिखा हुआ है। विभूति भूषण ने यह उपन्यास वर्ष 1925 के आखिर में घाटशिला इलाके में (अभी झारखंड) लिखना शुरू किया और खत्म किया बिहार के भागलपुर में। 1928 में यह किताब की शक्ल में छप कर आया। वर्ष 1955 में सत्यजीत राय ने इसे फिल्म का रूप दिया।
इस बांग्ला फिल्म को पूरा करने के लिए सत्यजीत राय की पत्नी विजया राय को अपने गहने तक बेचने पड़े थे। करीब तीन साल में यह फिल्म पूरी हुई थी। शुरू में इस पर 70 हजार रुपए खर्च हुए थे। बाद में पश्चिम बंगाल सरकार की आर्थिक सहायता से यह बांग्ला फिल्म पूरी हुई। सत्यजीत राय की इस क्लासिक बांग्ला फिल्म को दुनिया भर में पुरस्कार मिले हैं।
कोलकाता के योगमाया कालेज से पढ़ी-लिखी उमा दासगुप्ता एक स्कूल में शिक्षिका थीं और रिटायर होने के बाद घरेलू जिंदगी जी रही थीं।
कहते हैं कि कैंसर से पीड़ित उमा दासगुप्ता बीच में ठीक हो गई थीं। बाद में फिर बीमार हो गईं। पिछले कुछ दिनों से उमा दासगुप्ता कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती थीं। वहीं आज सुबह सवा आठ बजे उनका निधन हुआ।
उमा दासगुप्ता के निधन पर सत्यजीत राय के सुपुत्र फिल्मकार संदीप राय समेत बांग्ला सिनेमा जगत के अनेक लोगों ने गहरा शोक जताया है।
(कोलकाता से जयनारायण प्रसाद की रिपोर्ट।)
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