डॉ हिदायत अहमद खान
भारत की आर्थिक स्थिति पर प्रतिवर्ष पेश होने वाला आर्थिक सर्वेक्षण इस बार भी अनेक महत्वपूर्ण संकेत दे रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में जीडीपी वृद्धि दर 6.3 फीसदी से 6.8फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा, जीएसटी संग्रह में 11फीसदी की वृद्धि की संभावना जताई गई है, जिससे 10.62 लाख करोड़ रुपये तक की प्राप्ति हो सकती है। मौजूदा आर्थिक सर्वेक्षण न केवल आर्थिक आंकड़ों का दस्तावेज है, बल्कि यह एक दिशा-सूचक भी है, जो यह बताता है कि सरकार की नीतियाँ किस सिम्त को बढ़ रही हैं। इस सर्वेक्षण में एक ओर, जहां आर्थिक सुधारों और वित्तीय स्थिरता की कोशिशें दिख रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू आर्थिक असमानताओं की चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। भारत की अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर तो है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह विकास-दर सतत और सर्वसमावेशी होगी? आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए आंकड़े भले ही सकारात्मक लगते हों, लेकिन क्या ये आंकड़े जमीनी हकीकत को पूरी तरह दर्शाने में सफल हो पा रहे हैं?
यहां कहना गलत नहीं होगा कि बजट 2025 को लेकर आम जनता, निवेशकों और व्यापारियों की उम्मीदें खासी बढ़ी हुई हैं। ऐसे ही कुछ प्रमुख संभावनाओं की बात करें तो रेलवे टिकट पर छूट बहाली है। यह लोकलुभावन या आवश्यक निर्णय है यह विचार करने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि वरिष्ठ नागरिकों को रेलवे टिकटों पर दी जाने वाली छूट बंद होने से खासा असंतोष रहा है। यह छूट फिर से बहाल होने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन क्या यह सरकार के राजस्व पर असर डालेगी? कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव की भी संभावना है। सवाल यही है कि निवेशकों के लिए यह राहत या नई उलझन साबित होगी? यहां विचारणीय है कि पिछले बजट में किए गए बदलाव निवेशकों को अधिक रास नहीं आए थे। इस बार के संभावित संशोधन क्या आर्थिक सुधार की दिशा में सही कदम होंगे? बजट 2025 विकास की गारंटी देता है या असमंजस की स्थिति पैदा करता है? इसके साथ ही सवाल यह भी है कि सरकार द्वारा अनुमानित वृद्धि दर कितनी वास्तविक होगी? जीएसटी में वृद्धि तो हो रही है, लेकिन क्या यह आर्थिक मजबूती का संकेत है? क्या सरकार की नीतियाँ रोजगार सृजन में सहायक साबित होंगी? क्या महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे? इस तरह प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2025 ने विशेषज्ञों के साथ ही आमजन के जेहन में अनेक सवाल पैदा कर दिए हैं।
कल 1 फरवरी शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट पेश करेंगी। यह बजट मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट होगा। इससे पहले जो आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया गया, उससे कुछ प्रमुख संभावनाएं उभरी हैं, जो विकास की राह को तो दिखाती है, लेकिन इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर जो घटनाक्रम चल रहे हैं उससे देश की आर्थिक स्थिति भी अछूती नहीं रहने वाली है, ऐसे में अनेक चुनौतियां भी हैं, जिससे सभी को दोचार होना पड़ सकता है। अंतत: बजट 2025 के सामने बड़ी चुनौती यह होगी कि वह संतुलित नीति अपनाते हुए जनता की अपेक्षाओं और आर्थिक हकीकत के बीच तालमेल कैसे बैठाए रखता है। विकास के बड़े दावों और वास्तविक परिस्थितियों के बीच सरकार का यह निर्णयकारी क्षण देश की दशा और दिशा तय करने वाला होगा। ऐसे में क्या यह बजट आर्थिक विकास को नई ऊँचाइयों पर ले जाने में सक्षम होगा, या यह सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी बनकर रह जाएगा? इसका जवाब 01 फरवरी को बजट पेश होने के साथ ही मिल ही जाएगा। फिलहाल तो विकास पथ पर अग्रसर देश को और तेज गति देने में अनेक आर्थिक चुनौतियां अडिग नजर आ रही हैं, जिसका समावेश आर्थिक सर्वेक्षण से मिल रहा है।