कांग्रेस के राषट्रीय महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश को सोमवार को चुनाव आयोग से तगड़ा झटका लगा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री को उस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया है, जिसमें उन्होंने दो दिन पहले यह दावा किया था कि मतगणना से पहले केंद्रीय गृह मंत्री पर देशभर के 150 जिलाधिकारियों को फोन कर चुनाव नतीजों को प्रभावित करने के लिए कहा था।
चुनाव आयोग ने लिया था स्वत: संज्ञान
बता दें कि जय राम रमेश के इस बयान पर ECI ने स्वत: संज्ञान लेकर रमेश को नोटिस जारी करने के साथ ही सबूत मांगा था। इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जवाब देने के लिए एक हफ्ते का अतिरिक्त समय देने की मांग की थी, जिसे आयोग ने इनकार कर दिया और आज (सोमवार) शाम 7 बजे तक उनसे मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है।
सबूत दो नहीं तो करेंगे कार्रावई
वहीं इस पूरे मामले पर रमेश को लिखे पत्र में चुनाव आयोग ने कहा है कि आपका आरोप है कि लगभग 150 संसदीय क्षेत्रों के जिला मजिस्ट्रेटों, जो आरओ/डीईओ भी हैं, को प्रभावित करने का प्रयास किया गया है, जिसका कल होने वाली मतगणना प्रक्रिया की पवित्रता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। जैसा कि आयोग के दिनांक 02..06.2024 के पत्र में उल्लेख किया गया है, किसी भी डीएम ने आपके द्वारा लगाए गए किसी भी अनुचित प्रभाव की सूचना नहीं दी है। इसलिए, आयोग समय विस्तार के आपके अनुरोध को पूरी तरह से खारिज करता है। रमेश को लिखे पत्र में आयोग ने 3 जून को शाम 7 बजे तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है अन्यथा चुनाव आयोग उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करेगा।
कांग्रेस नेता ने ये किया था दावा
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया था कि गृह मंत्री अमित शाह जिलाधिकारियों या कलेक्टरों को फोन कर रहे हैं और उन्हें “खुलेआम” डराने-धमकाने में लगे हैं। चुनाव के दौरान जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर अपने-अपने जिलों के निर्वाचन अधिकारी होते हैं। रमेश ने दावा किया कि शाह पहले ही 150 जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टरों से बात कर चुके हैं। उन्होंने 1 जून को ट्वीट किया था, “निवर्तमान गृह मंत्री डीएम/कलेक्टरों को फोन कर रहे हैं। अब तक उन्होंने उनमें से 150 से बात की है। यह स्पष्ट और बेशर्मी से डराने-धमकाने की कोशिश है, जो दिखाता है कि भाजपा कितनी हताश है।”