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मार्केट में बिक रही हर चीज़ संदेह के घेरे में

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अक्षय शुक्ला

व्रत त्योहार शुरू होते ही मिलावटी पनीर और मावे की मिठाइयों के मिलने या कुट्टू के आटे से बनी चीज़ें खाने से लोगों के बीमार होने की खबरें आने लगती हैं। गाजियाबाद में कल इसी कारण 62 लोग अस्पताल पहुंच गए। इसके बाद जागी खाद्य सुरक्षा विभाग की टीमों ने एनसीआर के मार्केट में छापेमारी अभियान शुरू कर दिया। इसी के तहत नोएडा में नकली घी और पनीर पकड़ में आया। अब जब मार्केट और वहां से हज़ारों घरों में ये सब सामान पहुंच चुका है, तब ऐसी छापेमारी और सैंपल एकत्र करने की कवायद का क्या मतलब है?

जो दूध भी हम पी रहे हैं, वास्तव में वह दूध है ही नहीं। इसका व्यवसाय करने वाले खुद कहते हैं कि मार्केट में जितनी डिमांड है, उतना दूध सप्लाई करना संभव ही नहीं। जब मांग के मुताबिक दूध उपलब्ध ही नहीं तो ज़ाहिर है कि पनीर और मावा भी शुद्ध कैसे मिलेगा। डिमांड अधिक है तो मिलावटी दूध का धंधा खूब फलफूल रहा है।

कुछ महीनों पहले बुलंदशहर में नकली दूध का कारोबार करने वाले बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ था। यहां से पूरे दिल्ली एनसीआर में यह दूध सप्लाई हो रहा था। इससे पहले राजस्थान के अलवर से भी तीन हज़ार लीटर नकली दूध पकड़ा गया था। देश की संसद में बताया जा चुका है कि तीन में से दो भारतीय रिफाइंड तेल, यूरिया, कास्टिक सोडा और डिटर्जेंट से बना नकली दूध पी रहे हैं। पानी की मिलावट तक तो ठीक था, पर केमिकल की यह मिलावट हमारी आंतों, किडनी और लिवर को नुकसान पहुंचाने के साथ हड्डियां कमज़ोर कर रही है।

मिलावट से कोई भी खाद्य पदार्थ अछूता नहीं बचा है। सब्ज़ियों और फलों में पेस्टिसाइड, पोल्ट्री प्रॉडक्ट्स में एंटीबायोटिक्स तो पानी में लेड और आर्सनिक पाया जा रहा है। स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी की हालिया रिसर्च के दौरान देश के 17 शहरों से लिए गए फूड सैंपल में बड़ी मात्रा में मेटल पाया गया। पिछले साल संसद में प्रस्तुत डेटा बताता है कि एक साल में एकत्रित खाद्य पदार्थों के सैंपल में 25 फीसदी से अधिक मिलावटी पाया गया।

तिरुपति लड्डू विवाद के बाद साफ है कि जब भगवान का प्रसाद ही शुद्ध नहीं बचा तो आम लोगों के खाने-पीने का सामान कैसे बचेगा। जो मिलावटी खाना हमें बीमार कर रहा है, उसके इलाज के लिए दी जाने वाली दवाएं भी सुरक्षित नहीं रह गई हैं। पिछले हफ्ते ही गाजियाबाद के पास पिलखुवा में बिना लाइसेंस के चल रही एक फैक्ट्री में छापा मारकर 25 लाख रुपये की नकली पैरासिटामोल और एंटीबायोटिक दवाएं पकड़ी गईं। इन्हें नामी कंपनियों के रैपर लगाकर मार्केट में बेचा जा रहा था। इससे पहले भी यहां गैस और मधुमेह की नकली दवा बनाने के कारोबार का फंडाफोड़ हुआ था। दो महीने पहले मुरादाबाद में आयुर्वेद की नकली दवाओं की फैक्ट्री पकड़ में आई थी।

हाल ही में नागपुर के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली एंटीबायोटिक्स में स्टार्च और टेलकम पाउडर की मिलावट पाई गई। ये दवाएं महाराष्ट्र, यूपी, झारखंड और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों को सप्लाई की जा रही थीं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने पैरासिटामोल और पैंटोसिड समेत 50 से अधिक दवाओं को क्वॉलिटी टेस्ट में फेल बताया है, जिनमें बीपी, शुगर और विटामिन की मेडिसिन भी शामिल हैं।

1954 के फूड एडल्टरेशन एक्ट को 2006 में फूड सेफ्टी एक्ट में तब्दील कर दिया गया, लेकिन मिलावटखोरी पर लगाम की सारी कोशिशें बस औपचारिकता बन कर रह गई हैं। आज मार्केट में बिक रही हर चीज़ संदेह के घेरे में है। खानपान में मिलाया जा रहा यह ज़हर मानव अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बन चुका है।

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