शशिकांत गुप्ते
आज यकायक सन 1953 में प्रदर्शित फिल्म पतिता के इस गीत का स्मरण हुआ। इस गीत को लिखा गीतकार शैलेंद्राजी
ने।
आज देश का माहौल है,उसे देखते हुए उक्त गीत का स्वाभाविक रूप से ही स्मरण हुआ।
अंधे जहान के अंधे रास्ते, जाएं तो जाएं कहाँ
दुनिया तो दुनिया, तू भी पराया, हम यहाँ ना वहाँ
दूसरी पंक्ति में तू भी पराया लिखा है। इस पंक्ति “तू” भगवान को संबोधित किया है।
वाकई में इनदिनों भगवान भी आमजन के लिए पराया ही हो गया है।
मंदिरों में दर्शनार्थियों की कितनी भी लंबी कतार हो लेकिन वी आई पी लोगों को दर्शन करने के लिए विशेष सुविधा मुहैया होती है।
कुछ दर्शनाभिलाषी मंदिर परिसर में कार्यरत पुजारी को दक्षिणा के नाम पर तय शुल्क वह भी बगैर रसीद के अदा करने हैं तो उन्हें “बे” कायदा दर्शन लाभ हो जाता है। क्षमा करना बा कायदा की जगह “बे” शब्द टाइप हो गया?
यहाँ तक लिखा हुआ मेरे मित्र सीतारामजी पढ़ा और कहने लगे इतना सब लिखने की जरूरत ही नहीं है।
सन 1970 में प्रदर्शित फिल्म यादगार के इस गीत को याद कर लो। यह गीत लिखा है, गीतकार इंदिवरजी ने।
आये जहाँ भगवान से पहले, किसी धनवान का नाम
उस मंदिर के द्वार खड़े खुद, रोये कृष्ण को राम
धनवान को पहले मिले भगवान के दर्शन
दर्शन को तरसता रहे जो भक्त हो निर्धन
ये दक्षिणा की रीत, ये पंडो को छ्लावे
दुकान में बिकते हुए मंदिर के चढ़ावे
ऐसे ही अगर धरम का व्यापार चलेगा
भगवान का दुनिया में कोई नाम न लेगा
ऐसी जगह पे जा के तू कुछ भी न पाएगा
भगवान ऐसा मंदिर खुद छोड़ जाएगा
छोड़ जाएगा, छोड़ जाएगा
वो खेत में मिलेगा, खलिहान में मिलेगा
भगवान तो ऐ बन्दे, इन्सान में मिलेगा
वो खेत में मिलेगा…….
सीतारामजी ने यह लिखने के बाद, एक हिदायत दी कि,एक स्पष्टीकरण लिखना कभी मत भूलना।
उक्त पंक्तियां गीतकर इंदिवारजी ने लिखा है। इसे फिल्माया है अभिनेता मनोज कुमार जी पर,और फिल्म में अभिनय करने वाले किसानों और मजदूरों पर,इसे गाया है, प्रसिद्ध गायक महेंद्र कपूरजी ने।
शशिकांत गुप्ते इंदौर