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फेसबुक : हमारे लोकतंत्र से खेल रही विदेशी कंपनी और ये कोई मुद्दा नहीं

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पवन कुमार

  _फेसबुक की डाटा साइंटिस्ट सोफी झांग ने फेसबुक के खिलाफ कई बड़े खुलासे किये हैं। उन्होंने संसद के कमिटी के सामने फेसबुक की अंदर की कुछ मेल-मेमो वगैरह लिखित बातचीत के डाक्यूमेंट्स दिए जिससे साबित होता है की फेसबुक ने भाजपा के कौशाम्बी यूपी के सांसद विनोद सोनकर के खिलाफ एक्शन नहीं लिया जबकि उनका अकाउंट फ़र्ज़ी अकाउंट्स,पेज IT CELL जैसे नेटवर्क में लिप्त था जो फेसबुक की पॉलिसी के खिलाफ था जिसके लिए सोफी ने कई रिमाइंडर भी दिए थे._
     जबकि भाजपा के अलावा कांग्रेस आप के जिन नेटवर्क को सोफी ने चिन्हित किया उन पर फेसबुक ने कार्यवाही की थी. ऐसे सैकड़ों ग्रुप्स आज एक्टिव हैं.

सोफी को फेसबुक ने फ़र्ज़ी एक्टिविटी को रोकने के लिए नौकरी पे रखा था. सोफी ने अपने काम के दौरान पाया की दुनियां के कई देशों की राजनैतिक पार्टियां और नेता आम जनता की जानकारी को मैन्युपुलेट करने के लिए फ़र्ज़ी एक्टिविटी करते हैं जिसे भारत में IT CELL कहा जाता है.
सोफी ने होंडुरास, अजरबैजान और भारत के चुनावों के दौरान ऐसे कई फ़र्ज़ी अकाउंट के नेटवर्क पाए जो फ़र्ज़ी एजेंडा फ़ैलाने के लिए गैर आधिकारिक तौर पे बनाये गए थे.
ये आम जनता की आवाज और विचार को प्रायोजित एजेंडा के नीचे दबाने के लिए प्रयोग किये जाते हैं.

सोफी ने पाया की पंजाब चुनाव के दौरान 526 फ़र्ज़ी अकाउंट कांग्रेस को सपोर्ट करने वाले काम कर रहे थे, इसके अलावा 51 एजेण्डेबाज फर्जी अकाउंट्स आम आदमी पार्टी के लिए एजेंडा फैला रहे थे.
हालाँकि इनका पार्टी के ओफिसिअल अकाउंट से सेंधा लिंक नहीं था. कुछ समय बाद पता चला की एक और फ़र्ज़ी अकाउंट का cell था जो कौशाम्बी भाजपा के सांसद विनोद सोनकर के लिए काम कर रहा था लेकिन ये Cell सीधा उनके अकाउंट से जुड़ा था.
सोफी ने इन्वेस्टिगेटर को रिपोर्ट किया तो उन्होंने भी डाटा जांचने के बाद इसे फ़र्ज़ी IT CELL का ही पाया और इन अकाउंट्स को बंद करने को कहा.

जब सोफी ने फेसबुक इंडिया को रिपोर्ट किया तो उनके सीनियर के सीनियर ने सोफी को बोला की ये जाँच यही रोक दो इसकी कोई जरूरत नहीं है.
भारत फेसबुक का बड़ा मार्किट है, यहाँ से मात्र 10 प्रचार करने वाले ही 10 करोड़ रुपया से ज्यादा का धंधा देते हैं जिनमें से 60% भाजपा के हैं. सोफी ने इसके बारे में 5 मेल रिमाइंडर डाले तो पता चला आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के ऊपर तो एक्शन हो चूका लेकिन भाजपा वाला अकाउंट VIP लिस्ट में है.
उसके ऊपर एक्शन लिया ही नहीं जा सकता. उल्टा सोफी को नौकरी से निकल दिया गया.

सोफी ने पहले मीडिया में जाने की बजाय भारत की संसद और कोर्ट को ये जानकारियां प्रूफ के साथ देने का सोचा.
अमेरिका में सोफी के खुलासे के बाद बवाल हो गया, थे गार्डियन ने बड़े स्तर पर इस मुद्दे को उठाया, फेसबुक को जवाब देना पढ़ गया. लेकिन भारत की संसद के सामने गवाही और प्रूफ देने के बाद भी सरकार और मीडिया ने इस मुद्दे पर ऑंखें मूँद ली. क्या भारत विदेशी कंपनियों के लिए सिर्फ एक बाजार है ?
क्या यहाँ के लोकतंत्र की कोई वेल्यू नहीं है ? यदि सरकार का साथ मिल जाये तो क्या हमारे देश में विदेशी कंपनियों से कोई सवाल नहीं करेगा ?
आज मिलीभगत करने के बाद कल सरकार इन कंपनियों पर हमारी सुरक्षा को लेकर कैसे दबाव डालेगी ?
[चेतना विकास मिशन]

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