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मेनस्ट्रीम मीडिया पर फ़ासिस्ट कब्ज़ा

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डा.सलमान अरशद

मेनस्ट्रीम मीडिया पर फ़ासिस्ट कब्ज़ा मुकम्मल हो चुका है, सोशल मीडिया पर फ़ासिस्ट ट्रोल्स और फेक न्यूज़ फैलाने वाले हावी हैं। फ़ासिस्ट विरोधी लेखक सीमित किये जा रहे हैं। अब इसका असर भी साफ दिखने लगा है। 

IT सेल को अब बिना पेमेंट के ट्रोल्स मिल गए हैं, बड़ी तादात में आम लोग फेक न्यूज़ और नफरती कंटेंट फैला रहे हैं। मुसलमान विरोधी नफरत का असर आवाम के दिलों पर दिखने लगा है।

 

स्कूल या कोचिंग के किसी कोने में नमाज़ पढ़ने वालों पर उन्हीं के बीच के हिन्दू लड़के जय श्रीराम के नारों के साथ  उत्पात करने लगे हैं। निजी परिसर में नमाज़ पढ़ने पर पुलिस कार्यवाही करने लगी है। लिंच करके मार देने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। सबसे खतरनाक तो ये है कि अब आम जनता मुसलमानों पर होने वाले सियासी हमलों में शामिल होने लगी है। 

भारत के सवर्ण हिन्दू बीफ निर्यात में टॉप 2 में होते हैं, आज तक किसी कत्लखाने पर गोरक्षक हमला करने नहीं गए। देश के कई मंदिरों में बलि दी जाती है, इस पर किसी को ऐतराज़ नहीं है। देश के 70% लोग मांसाहारी हैं लेकिन इसके कारण निशाना 14%मुसलमान बनाये जाएंगे, बाकी पर चर्चा नहीं होगी। 

इस पूरी सियासी कवायद का फायदा ये हुआ है कि अब सौ पार कर चुका पेट्रोल ज़ेरे बहस नहीं होगा। महंगी गैस चिंता का कारण नहीं होगा। घटते रोज़गार और बढ़ती महंगाई पर बात नहीं होगी। शिक्षा और सेहत के संसाधनों तक आम आवाम की घटती पहुँच पर कोई बात नहीं करेगा। अब बस मुसलमान पर बात होगी, मुसलमान जो जीने भर की आज़ादी के सिवा अपने ही मुल्क़ से कुछ नहीं माँगता। 

याद रहे जो खूनी दस्ता मुसलमानों के लिए लगातार अपना आकार बड़ा कर रहा है, वो मुसलमानों तक ही महदूद नहीं रहेगा। अफ़सोस जब तक आप इसे समझेंगे, बहुत देर हो चुकी होगी।

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