~ पुष्पा गुप्ता
तुमने वन नाइट स्टैंड पर बात की मतलब तुम अवेलेबल हो। रात 11 बजे के बाद ऑनलाइन हो तो अवेलेबल हो। किसी को फोन नंबर दे दिया बात कर ली तो अवेलेबल हो। खुले आम शराब की बात कर रही हो तो अवेलेबल हो। हँस के बतिया ले रही हो तो अवेलेबल हो। आगे बढ़ के गले लग ले रही हो तो अवेलेबल हो।
सिंगल मदर हो तो अवेलेबल हो, शादी में दिक्कत है तो अवेलेबल हो, प्रेम प्यार इश्क़ मोहब्बत पर भी लिख लेती हो तो अवेलेबल हो। तुमसे फलाने ने बदतमीज़ी की मतलब तुम अवेलेबल हो, अवसाद का शिकार हो तो कंधों की ज़रूरत होगी यानि अवेलेबल हो।
स्क्रीनशॉट लगा रही हो तुम्हें ही क्यों आए मैसेज यानि अवेलेबल हो फेसबुक पर एक साथ इतनी पोस्ट करती हो तुम्हारी लाइफ नहीं कोई लगता है वाओ, यानी अवेलेबल हो। अनजान लोगों से दोस्ती कर लेती हो यानि अवेलेबल हो। इतना टिपटॉप सज-संवर के रहती हो तो अवेलेबल हो। लिवइन मे रह रही हो तो अवेलेबल हो और भी ब्ला-ब्ला-ब्ला.
मतलब जानती हो कि ये सब करोगी तो अवेलेबल ही मानी जाओगी फिर भी ये सब करती हो तो सौ प्रतिशत आइएसआइ मार्क के साथ यूनिसेफ यूनेस्को से प्रमाणित तौर पर अवेलेबल हो, अवेलेबल हो, अवेलेबल हो. हेंस प्रूव्ड अवेलेबल हो. जानती हो ये सब तुम, तो करती क्यों हो ये सब अवेलेबल हो इसीलिए ना, लोगों को तुमसे ही तो हिम्मत मिलती है लड़कों /आदमियों को तुम्ही ने तो जताया था कि तुम अवेलेबल हो.
ये वो जुमले हैं जो मैंने, आपने, हम सब ने कभी ना कभी ज़रूर सुना होगा.
तो बैक टू द पॉइंट पहली बात ये कि औरत हैं वो पारले जी का बिस्कुट नहीं जो अवेलेबल हों।
औरत अगर किसी भी मुद्दे पर बात भर कर लें तो वो अवेलेबल मान लिए जाएंगे आपके ये मान लेने पर आप पर सवाल भी नहीं उठेंगे. क्यों? सिर्फ़ इसलिए कि आप आदमी हैं?
रात के ग्यारह बजे औरत अगर रात मे ऑनलाइन हैं ये देखने आप भी तो जग ही रहे तो इस आधार पर औरतो के कैरेक्टर ऐसेसनेशन ही क्यों आपका क्यों नहीं? रात पी ली थी तो बहक गया था ये कहके आप पाक पवित्र हो लिए और जिसके इनबॉक्स में आप घुसे थे वो छिनाल, क्यों?
शादी नहीं ठीक किसी की तो आपको बाबा बनने क्यों जाना है? क्यों तीसरा बनना है? क्यों जानना है कि औरत और उसके पति के बीच संबंध कब बने थे?
क्या साबित होगा इससे, कि वो अवेलेबल है आपकी कुत्सित मानसिकता और ज़लील इरादे पूरे करने के लिए? इन सभी सवालों को किसी भी औरत से पूछने से पहले अपने गिरेबान में झांकिए कि आप कितने दूध के धुले हैं, औरतें हमेशा से इज़ी टारगेट हैं, इमोशनल हैं (हाँ एक्सेप्शन से इनकार नहीं है पर उनका प्रतिशत कम ही है) इंसान नहीं सही औरत तो समझिए उसे, आपके समकक्ष ही है।
वो भी, हाड़ माँस की बनी एक इंसान जिसमें बुराइयां उतनी ही स्वाभाविक हैं जितनी एक पुरूष में, प्रेम में वो भी पिघलती है, समर्पित होती है, कोई नापसंद कर गई हो तो उसका मतलब आपका मेल ईगो हर्ट करना नहीं चुनने के अधिकार का इस्तेमाल करना होता है।
बेबाकी से वो किसी भी चीज़ के बारे में अगर बात कर ले रही तो मतलब वो इन टैबूज़ से ऊपर उठ चुकी है। उसके जीवन में सबकुछ सही नहीं है तो मतलब वो लड़ना संघर्ष करना सीख रही है। कहते हैं ना आप कुछ भी करें आपकी गलतियां और रास्ते में आई चुनौतियां ये बताती है कि आप काम कर रहे, तो ये मानिए कि वो अपने आसपास खींचे गए गोले से या तो निकलना चाह रही या उस गोले को बड़ा कर रही सांस लेने लायक.
आप पुरूष हैं और इस पितृसत्तात्मक दुनिया में ज़रा प्रिविलेज्ड भी हैं तो दोस्त बनिए, हाथ थामें या चाहें तो पीछे हैं ये आश्वासन भर दें। ना तो मैं प्रेम करने से मना कर रही ना सेक्स को टैबू बना रही बस इतना कह रही कि अवेलेबल का टैग देना बंद कीजिए, वो इंसान हैं,औरत हैं, सामान नहीं।
पौलीगेमी या एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर भी चरित्र का मसला नहीं हैं भरोसे, कम्फर्ट, पारदर्शिता, संतुष्टि और खुशी आदि का मसला हैं।
सेक्स पर बात करने भर से न तो औरत सेक्स के लिए अवेलेबल है ना ही कैरेक्टरलैस, ये चरित्र का पैमाना नहीं है, नहीं होना चाहिए।
अपनी मर्ज़ी से लिव इन में रहने वाली, अपना पार्टनर चुनने वाली या, जीवन अपनी शर्तों पर जीने वाली औरतें ना तो रंडी हैं ना छिनाल और ना ही कोई सामान जिसे रखा जाए।
तो औरत को सामान की तरह अवेलेबल मानना बंद कीजिए उसे देवी समझने की कोई ज़रूरत नहीं है बस इंसान समझिए, उतना काफ़ी है।
उसकी पूजा करने की कोई ज़रूरत नहीं उसका सम्मान करने की ज़रूरत है, अपने से ऊपर नहीं बराबर मानना है उसे. इस पर सोचें।