हिंदी सिनेमा में करीब 550से ज्यादा फिल्मों में अभिनय करने वाले इस कलाकार ने करीब 300 से ज्यादा फिल्मों में जज की भूमिकाएं निभाईं है।जो कि एक रिकॉर्ड है।
जी हां हम बात करेंगे फिल्म अभिनेता मुराद की।
क्या आप जानते है कि इनका नाम न तो मुराद था और न ही सरनेम। और अब यही “मुराद” उनके बेटे ने भी अपना लिया हैऔर वह भी फिल्म इंडस्ट्री में है।याद आ गई होगी अभिनेता रजा मुराद की।लेकिन हम यहां उनकी नहीं उनके पिता की बात करेंगे।
रजा मुराद के पिता जो उत्तर प्रदेश के रामपुर के रहने वाले थे। उनका नाम था। हमीद अली खान।
ऐसे आए फिल्मों में
रामपुर रियासत के नवाब थे रजा अली खान। हमीद अली ने उनके के खिलाफ कोई जुलूस निकाला तो नवाब ने उन्हें 24 घंटे के अंदर रामपुर खाली करने का फरमान जारी कर दिया था। ये बात है सन 1938की। इस तरह हमीद बंबई आ गए।
रजा मुराद ने एक साक्षात्कार में अपने पिता के बारे में बताया था कि बंबई आने पर उनकी दोस्ती जीनत अमान के पिता अमानउल्ला खान से हुई।जो फिल्म में कहानियां लिखा करते थे। वालिद साहब को भी कहानियां लिखने का शौक था। उस जमाने में निर्माता, निर्देशक महबूब खान साहब का बहुत बड़ा नाम था। वह महबूब खान को कहानी सुनाने गए। महबूब देर तक कहानी सुनते रहे और कहानी सुनने के बाद बोले, ‘तुम ये कहानी वहानी रहने दो, ये बताओ, एक्टर बनोगे?’ तमाम ना नुकुर के बाद वालिद साहब अभिनेता बनने को राजी हो गए। ये साल 1942 की बात है, उस समय महबूब साहब फिल्म ‘नजमा’ बना रहे थे। उसमें अशोक कुमार हीरो और वीना हीरोइन थीं। वालिद साहब ने उस फिल्म में अशोक कुमार के पिता का रोल किया। उस समय वह अशोक कुमार से महज कुछ ही दिन बड़े थे।
मेहबूब खान की फिल्मों में परमानेंट कलाकार
फिल्म ‘नजमा’ के बाद वालिद साहब ने महबूब खान की फिल्मों के परमानेंट एक्टर बन गए। उन्होंने महबूब खान की ‘अनमोल घड़ी’, ‘अनोखी अदा’, ‘अंदाज’, ‘अमर’, ‘आन’ और ‘सन ऑफ इंडिया’ जैसी सभी फिल्मों में काम किया। सिर्फ ‘मदर इंडिया’ में काम नहीं मिला।
महबूब खान ने जब ‘मदर इंडिया’ का ट्रायल रखा तो वालिद साहब को बुलाया और फिल्म दिखाने के बाद बोले कि अब बताओ कि तुम्हारे लायक इसमें क्या रोल था?
ऐसे पड़ा मुराद नाम
रजा मुराद ने बताया मेरे वालिद ने महबूब खान की एक फिल्म ‘मेजर मुराद’ में काम किया था। यह फिल्म उनको बहुत पसंद थी। महबूब खान ने ही उनका नाम ही “मुराद” नाम रख दिया।
अंग्रेज सिपाही करते थे सैल्यूट
जब वह मुंबई आए तो उनकी गोरी रंगत, हरी आंखें और घुंघराले बाल और सुर्ख चेहरा देखकर अंग्रेज पुलिस वाले उनको सैल्यूट करते थे। जहां भी वह जाते, लोग उनको देखकर चौक्कने हो जाते थे कि कोई ब्रिटिश अफसर आ गया है।
जीनत अमान से रिश्ता
रजा मुराद बताते है,जीनत अमान के वालिद अमानउल्ला खान को लोग प्यार से अमान साहब कहकर बुलाते थे। जिन्होंने ‘पाकीजा’ और ‘मुगल -ए आजम’ के जैसी फिल्में लिखी हैं। अमान साहब का ताल्लुक भोपाल के शाही घराने से रहा। एक बार अमान साहब के साथ मेरे वालिद भोपाल गए। अमान साहब के परिवार, उनके संस्कार से वालिद साहब बहुत प्रभावित हुए। वालिद साहब ने कहा कि आपके ही खानदान में शादी करना चाहता हूं, तो अमान साहब की छोटी बहन लियाकत जहां बेगम के साथ उनकी शादी हुई। अमान साहब के साथ जो दोस्ती थी वह रिश्ते में बदल गई। इस हिसाब से जीनत अमान मेरी सगी ममेरी बहन है। भोपाल के नवाब हमीद उल्ला खान मेरी नानी के मौसेरे भाई थे।
(ये जानकारियां विभिन्न पत्र पत्रिकाओं, सोशल मीडिया और अन्य चैनलो से ली गई है। किसी भी प्रकार की सच्चाई या झूठी होने का दावा हम नहीं करते)