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*नहाय- खाय और पारण : जितिया पर हेल्थ मेंटिनेन्स के लिए फ़ूड*

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       ~ नीलम ज्योति

 संतान की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए माताएं जितिया व्रत रखती हैं। महिलाएं चाहती हैं कि नहाय-खाय-जितिया पारण के अवसर पर उन सभी खाद्य पदार्थों को खा लिया जाए जो पारम्परिक रूप से खाए जाते हैं। इससे जीवित्पुत्रिका व्रत जिस इच्छित लक्ष्य के लिए किया जाता है, वह पूरा हो सकेगा।

     इस वर्ष यह व्रत 6 अक्टूबर को शुरू होकर 7 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा। 8 अक्टूबर को जितिया का पारण किया जायेगा। इस पर्व में मांएं 24 घंटे का उपवास रखती हैं। वे ईश्वर से प्रार्थना करती हैं कि उनकी संतानों के साथ-साथ सभी मांओं की संतान स्वस्थ, विद्या-बुद्धि और लंबी आयु से परिपूर्ण हो।

     जितिया में नहाय खाय और पारण के अवसर पर एक जैसे खाद्य पदार्थ पकाए और खाए जाते हैं। इस अवसर पर वैसी साग-सब्जियां ही खाई जाती हैं, जो आसानी से उगती हों। जिन्हें उगाने और बड़ा करने में विशेष मेहनत नहीं करनी पड़े। जो मौसम की हर तरह की मार झेलने में सक्षम हो।

      दरअसल, इन साग-सब्जियों को ग्रहण करने के साथ ही मांएं ईश्वर से प्रार्थना करती हैं कि उनकी संतान भी हर परिस्थिति में जी सके। वे फल-फूल सकें। असफलता और विषम परिस्थिति उन्हें डिगा नहीं सकें। साथ ही इन साग-सब्जियों से तैयार रेसिपी आसानी से पचने योग्य भी होती हैं।

     24 घंटे के उपवास के बाद मन और शरीर दोनों हल्का रह पाता है। जितिया के नहाय खाय और पारण के अवसर पर अरवी, तोरई, खीरा, नोनी का साग,  मंडुआ और देसी मटर खाई जाती है.

*1. नोनी का साग :*

     सबसे अधिक नोनी साग से तैयार रेसिपी खाई जाती है। नोनी साग, नोनी के पकौड़े, नोनी दाल आदि खाए जाते हैं।

     मौसम में तेजी से आ रहे बदलाव से शरीर को सुरक्षित रखता है नोनी का साग। इसे आप गमले में भी उगा सकती हैं। नोनी से तैयार जूस जोड़ों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। शारीरिक सहनशक्ति बढ़ा सकता है। वजन प्रबंधन में सहायता करता है। बोन हेल्थ, ओरल हेल्थ को मजबूती देता है।

*2. अरबी :*

अरबी को कच्चू भी बोलते हैं। इस जड़ वाली सब्जी को आप गमले में भी उगा सकती हैं। अरवी के पत्ते की रेसिपी तो अब विश्व में धूम मचा रही है।

    फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटामिन सी, विटामिन ई और रेसिस्टेंस स्टार्च से भरपूर होती है अरवी। यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने में मदद करती है। हृदय रोग के खतरे को कम करती है।

*3. तोरई :*

डायटरी फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी, आयरन, मैग्नीशियम और विटामिन बी6 से भरपूर होती है तोरई। इसमें स्वाभाविक रूप से लो कैलोरी, लो सैचुरेटेड फैट और लो कोलेस्ट्रॉल होता है।

      कम तेल में बनने वाली स्वादिष्ट सब्जी तुरई कब्ज को कम करने, वजन कम करने और ब्लड शुगर लेवल को प्रबंधित कर सकती है।

*4. मंडुआ :*

   इसे रागी भी कहते हैं. फिंगर मिलेट या रागी में प्रोटीन, आहार फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम भरपूर होता है। यह प्राकृतिक रूप से वजन घटाने में मदद करता है।

    मोटा अनाज कहलाने वाला रागी पेट साफ़ कर कोलन कैंसर को रोकता है। जितिया के पारन के अवसर पर रागी जरूर खाई जाती है, ताकि 24 घंटे के उपवास के बाद कब्ज का सामना नही करना पड़े। रागी एंटी एजिंग होता है और तनावमुक्त भी रखता है।

*5. देसी मटर :*

जितिया के पारण के दिन देसी मटर या कुशी केराव खाकर ही व्रत तोड़ा जाता है। यह मटर बंजर जमीन में भी उग आता है।

    विटामिन बी 12 का बढ़िया स्रोत देसी मटर हड्डी को मजबूत रखता है। इसमें एंटी कोलेस्ट्रॉल गुण होते हैं। (चेतना विकास मिशन).

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