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गांधीजी के भाषण से गोवालिया टैंक मैदान में  भूचाल सा आ गया था’!      

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         *प्रोफेसर राजकुमार जैन*

               *(भाग -3)*

*’ए वतन मेरे वतन’ फिल्म ही नहीं इतिहास है।* जयप्रकाश नारायण ने 9 अक्टूबर 1939 को ए.आई.सी.सी. की बैठक में जवाहर लाल नेहरू के  प्रस्ताव पर एक संशोधन पेश करते हुए माँग की थी, कि हमें तत्काल, जन आंदोलन छेड़ देना चाहिए, परंतु कार्यसमिति ने उनके संशोधन को प्रचंड बहुमत से खारिज कर दिया। सैकड़ों साल की गुलामी के खिलाफ़ कांग्रेस पार्टी के झण्डे के नीचे महात्मा गाँधी की रहनुमाई में अंग्रेज़ी सल्तनत के विरुद्ध जो संघर्ष चल रहा था, उसमें आखिर में वो दिन भी आ गया जिस दिन का इंतज़ार कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी दूसरे विश्वयुद्ध के आरंभ से कर रही थी कि गाँधी जी को जन-आंदोलन शुरू कर देना चाहिए 7,8, और 9 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस का एक विशेष अधिवेशन बम्बई के गोवलिया टैंक मैदान में आयोजित किया गया। उस समय बम्बई के मेयर सोशलिस्ट नेता यूसुफ मेहर अली थे।

कांग्रेस के सम्मेलन से पहले यूसुफ मेहर अली ने 1 अगस्त 1942 को बम्बई के चौपाटी मैदान पर “तिलक जयन्ती समारोह” में जनता का आह्वान करते हुए खुले शब्दों में कहा कि बम्बईवासियों को आज़ादी की लड़ाई के अंतिम दौर के लिए तैयार होना है, जो न केवल जेल होगी, बल्कि अंग्रेज़ी राज को भारत से खत्म करने के लिए खुला विद्रोह होगा। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सम्मेलन होने से पहले सोशलिस्ट कार्यकर्ताओं की कई बैठकें की, अगर महात्मा गाँधी तथा अन्य राष्ट्रीय नेताओं की गिरफ्तारियाँ हो तो हमें भूमिगत रहकर कैसे काम करना है। मेहर अली ने महात्मा गाँधी के आशीर्वाद से पदमा पब्लिकेशन के नाम से छपी एक पुस्तिका ‘Quit India” प्रकाशित की, जिसकी हजारों प्रतियाँ हाथों हाथ बिक गई।

महात्मा गाँधी के बम्बई आगमन पर यूसुफ मेहर अली ने ही मेयर की हैसियत से उनका स्वागत किया। सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों के लिए यूसुफ ने एक बिल्ला बनवाया, जिसमें भारत का मान-चित्र बना हुआ था तथा उसके ऊपर क्यू. अर्थात् क्विट इण्डिया ‘भारत छोड़ो’ लिखा हुआ था जो कि चांदी के समान धातु का बना हुआ था, गाँधी जी को दिखाया। परंतु गाँधी जी ने कहा कि हिंदुस्तान की गरीब जनता चांदी की खरीदारी नहीं कर सकती, इसलिए इसकी जगह सस्ती थातु परत का बिल्ला बनवाओ। मेहर अली ने रातों-रात बिल्ले को तैयार करवाया, जिसे गाँधी जी ने पसंद किया। सम्मेलन के लिए एक वालिन्टयर कोर भी बनाई गई जिसके इंजार्च सोशलिस्ट नेता अशोक मेहता थे। यूसुफ मेहर अली पहले नेता थे जिसने “साइमन कमिशन वापिस जाओ’ तथा ‘भारत छोड़ो’ नारा दिया था। सम्मेलन की अध्यक्षता मोलाना अब्दुल कलाम आज़ाद कर रहे थे। जवाहर लाल नेहरू ने ‘भारत छोड़ों प्रस्ताव पेश किया। सरदार पटेल ने इसका अनुमोदन किया।

अन्य नेताओं के अतिरिक्त सोशलिस्ट नेता आचार्य नरेन्द्र देव, अच्युत पटवर्धन तथा डॉ. लोहिया ने प्रस्ताव का जोरदार समर्थन किया। डॉ. लोहिया ने प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि ‘पिछले कुछ महीनों से बरतानिया हुकूमत के प्रति कांग्रेस में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। भारत के लोगों को यह विश्वास, हो गया है कि अंग्रेजी हुकूमत कोई अपराजेय नहीं है, जैसा कि पहले जनता को लगता था, अब जनता के दिलों में भय समाप्त हो गया है। सम्मेलन में कम्यूनिस्टों द्वारा प्रस्ताव के विरोध में कई संशोधन पेश किये गये थे इसका विरोध करते हुए आचार्य नरेन्द्र देव ने कहा, ‘यह अफसोस की बात है कि अभी भी ऐसे लोग है जो संघर्ष के आखिरी दौर में भी कुर्बानी देने के लिए तैयार नहीं हैं। वे पहले भी नहीं थे, अब भी नहीं है।

अच्युत पटवर्धन ने कम्यूनिस्टों द्वारा पाकिस्तान की माँग का विरोध करते हुए कहा कम्यूनिस्टों का यह कहना कि करोड़ो मुसलमान पाकिस्तान के पक्ष में है। वो यह क्यों नहीं कहते कि कई करोड़ इसके खिलाफ भी है। कम्यूनिस्ट कांग्रेस से तो यह अपील कर रहे है परंतु वे मुस्लिम लीग से क्यों नहीं करते।’ 8 अगस्त की रात्रि में महात्मा गाँधी ने कांग्रेस प्रस्ताव पर बोलते हुए भारतवासियों का आह्वान करते हुए तीन बातें कही – 1 करो या मरो 2 अंग्रेजों भारत छोड़ो 3 आज से हर भारतवासी अपने को स्वतंत्र समझे। भारत को आजाद कराने के लिए अब ये अपने नेता स्वयं है। मैदान में मूसलाधार बारिश हो रही थी। 50 हजार से ज्यादा लोगों ने महात्मा गाँधी के संदेश को सुना। गाँधी जी के भाषण से मैदान में मानों भूचाल सा आ गया।

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