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मोदी, मुल्क और मुसलमान से आगे निकलकर …..हिंदू, ईवीएम, असुर, देव शक्तियों पर आकर टिक गया

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राकेश चौकसे बुरहानपुर
2024  विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश मे लोकतंत्र की परीक्षा का साल है इस साल के चुनावी महासमर मे मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बिच होने के बजाय एनडीए गठबंधन मोदी बनाम इंडिया गठबंधन  राहुल के बिच होना है।  राज्यो मे उत्तर प्रदेश मे मायावती बहुजन समाज पार्टी और पश्चिम बंगाल तृणमूल कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टी ममता दीदी एकला चलो नारे को बुलंद कर अकेले लड़ रहै है । जबकी धारा 370 के खात्मे और तीन तलाक से मुक्ति के बाद महिलाओ मे जोश है। अल्प संख्यक वर्ग मे भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ कट्टरता के साथ सत्ता मे आई तब बंटवारे का डर बैठाकर वोट साधने का प्रयास अब हवा – हवा हो गया है। अल्पसंख्यक वर्ग मे पार्टी के प्रति विपक्षी दलों द्वारा भाजपा, हिन्दू, कट्टरता के डर बता वोट लेना जैसे विषय और  मुद्दे इस चुनाव मे गौण नजर आ सकते है ! उत्तर प्रदेश से मुस्लिम मातृशक्तियो द्वारा अन्य दलों को छोड़कर भाजपा मे शामिल होने, छिंदवाड़ा मुस्लिम कांग्रेस नेता पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जाफर का भाजपा की सदस्यता लेना प्रमाण देता है। मुस्लिमो को बीजेपी का डर दिखाने वाले विपक्षियों की दुकानें अब बंद होने लगीं है अल्पसंख्यक अब समझ गया उन्हे कांग्रेस के साथ विपक्ष ने ठगा ही है।
यही कारण है मोदी का बढ़ता परिवार,इंडिया गठबंधन की परेशानी बडा रहा है। क्या यह सच नही 2024 के चुनाव भाजपा के प्रति अल्प संख्यक और दक्षिण भारतीय राज्यो के मतदाताओं का नजरिया बदलने वाले सिद्ध हो सकते है ! और मोदी का 400 प्लस का नारा सच मे तब्दील। 
यही कारण है राहुल का मुंबई मे आयोजित इंडिया गठबंधन के मंच पर बयान राजा की आत्मा ईवीएम मे बैठी है। हार स्वीकारने वाला बयान है! यह बयान समूचे इंडिया गठबंधन को कमज़ोर करने वाली श्रेणी मे आ गया हैं। इससे आगे बढ़कर दिग्गी का असुर शक्तियां मोदी सरकार मे मौजूद है कहकर नए विवाद को जन्म दे दिया गया है, लालू का परिवार वाला बयान बिहार के साथ हिंदी भाषी बेल्ट मे, में मोदी का परिवार कितनी फजीहत करवा चुका से सबक न ले बयान वीरों के बयान घटक दल को कमज़ोर कर रहे है।
देश के महापर्व का आगाज हो चुका है 95 करोड़ मतदाता 10 .5 लाख पोलिंग स्टेशन पर 55 लाख ईवीएमएस के साथ 1.5 करोड़ पोलिंग अफसर की मौजूदगी मे  देश की अठारहर्वी सरकार का भाग्य तय करेगे।
अबकी बार 400 पार के नारे, राम लला के विराजने, धारा 370 के खात्मे, तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं की मुक्ति के बूते 2024 के महासमर मे कूदी भाजपा के पास प्रधान मंत्री के चेहरे के रूप मे मोदी है। स्टार प्रचारकों की लिस्ट बड़ी है मुद्दे और आगामी विजन और लक्ष्य निर्धारित है। इसे चुनावी रणनीति की संज्ञा दे या पार्टी नेताओ की एक जुटता जीत पर जीत के रिकार्ड बन रहे है। कांग्रेस 2014 से 2019 हार के बाद अब तक के चुनावी सर्वे मे हार के मुहाने पर खड़ी दिखाईं जा रही है। इन दो हार और इस हार के मुहाने पर खड़े दिखाने से अब भी पार्टी सबक लेने से गुरेज ही कर रही है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व का छोटे -बड़े नेताओ से तालमेल का अभाव नेताओ के बिच संवाद हीनता प्रमुख है। लंबे समय तक देश पर राज करने वाली राजनितिक पार्टी उम्र का बड़ा पड़ाव पार कर चुकी है 2014 से 2024 अपने अस्तित्व को बचाने से जूझ रही है। जिस परिवार के नाम पर पार्टी चलती है उस परिवार के लोग अपनी परंपरागत सीट छोड़कर अन्य सुरक्षित सीट की और भाग रहे है। कुछ चुनाव लड़ने से मना कर रहे इससे इनकी पार्टी के प्रति निष्ठा और विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न लगने के साथ अन्य प्रत्याशियो के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। दूसरी भाषा मे वर्षो से जमे नेता ही पार्टी को खोखला कर रहे है कुछ मौका परस्त नेताओ सिद्धांतो के खिलाफ जाकर पाला बदल लिया है। प्रत्याशी चयन के साथ मतदान के पूर्व जो अफरा तफरी मची है उससे पार्टी की छबि धूमिल हो रही है।
प्रथम चरण के चुनाव के लिए नामांकन प्रकिया शुरु हो गईं है किंतु उम्मीदवार के नाम की घोषणा न करना संवाद हीनता की कमी के कारण ही है। इन्हे डर है गुजरात मे अहमदाबाद पूर्व से रोहन गुप्ता का नाम घोषित होने के बाद पिता की बीमारी का बहाना बना इन्होने नाम वापस ले कर छबि धूमिल ही करी है। अन्य सीटो पर ऐसी स्तिथि निर्मित न हो पार्टी अंतिम समय का इंतजार कर नाम घोषित करने के मूड में आ गई है। इसी कारण खंडवा संसदीय सीट से अरुण यादव का नाम प्रथम पंक्ति मे, इंदौर से अक्षय क्रांति, उज्जैन महेश परमार, विदिशा देवेंद्र पटेल, भोपाल अरुण श्रीवास्तव, होशंगाबाद संजय शर्मा, बालाघाट हिना कांवरे, गुना राव यादवेंद्र सिंह यादव, ग्वालियर से तीन नामो पर चर्चा, झाबुआ कांतिलाल भूरिया, जबलपुर दिनेश यादव, दमोह रंजीता गौरव पटेल, रीवा नीलम अभय मिश्रा, शहडोल फूंदेलाल सिंह मार्को, सागर गुड्डू बुंदेला मंदसौर से नंदकिशोर पटेल सहित एक नाम गुर्जर का संभावित नामो पर चल रहा है। घोषणा नही कर रहे। कांग्रेस के पास खोने को कुछ नही है इसलिए इस पार्टी की रणनीति प्रचार पर जोर दे रही है इसी कडी मे आठ क्षेत्रीय भाषाओं मे राहुल के भाषणों की रिकॉर्डिंग चलाने का प्लान है। कुल मिलाकर 2024 का चुनाव मोदी, मुल्क, मुसलमान से आगे निकलकर हिंदू, ईवीएम, देव शक्तियों शक्ति विनाश – शक्ति उपासना और अधर्म की शक्ति, धर्म की शक्ति पर केंद्रित होता दिख रहा है।
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