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पेरू में तंबाकू उद्योग को जिम्मेदार ठहराकर हर्जाना वसूलने का निर्णय ले सकती हैं सरकारें

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बॉबी रमाकांत

पेरू में हो रही वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की अंतर-देशीय बैठक में, तम्बाकू उद्योग को मानव जीवन, मानव स्वास्थ्य, और पर्यावरण को क्षति पहुंचाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराने और हर्जाना वसूलने का महत्वपूर्ण मुद्दा केंद्र में है। हर साल, तम्बाकू के कारण 80 लाख से अधिक लोग मृत और लाखों लोग जानलेवा बीमारियों से ग्रसित होते हैं।

हृदय रोग, कैंसर, दीर्घकालिक श्वास संबंधी रोग, मधुमेह, टीबी, आदि अनेक ऐसे रोग हैं जिनका ख़तरा तम्बाकू सेवन के कारण अत्यधिक बढ़ता है। तम्बाकू उद्योग द्वारा पर्यावरण को क्षति पहुंचाने के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराने की मांग, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अनेक देश की सरकारें कर रही हैं।

पनामा में हो रही वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि (जिसे औपचारिक रूप से “फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल” या एफसीटीसी कहते हैं) की बैठक में, तम्बाकू उद्योग को ज़िम्मेदार ठहरा कर हर्जाना वसूलने का प्रस्ताव ओमान, ईरान, ब्राज़ील, जिबूती, घाना, इराक़, कुवैत, पनामा, क़तार, सऊदी अरेबिया, सीरिया, पाकिस्तान और यमन की सरकारों द्वारा समर्थित है।

नेटवर्क फॉर एकाउंटेबिलिटी ऑफ़ टोबैको ट्रांसनेशनल्स ने भी, 95 देशों के 30,000 से अधिक लोगों द्वारा समर्थित ज्ञापन को सरकारों को सौंपा जिसमें तम्बाकू उद्योग को क़ानूनी रूप से ज़िम्मेदार ठहराने और उससे हर्जाना वसूलने की मांग है।

क़ानूनन रूप से बाध्य वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि (एफसीटीसी) जिसको 183 देशों ने पारित किया है, के आर्टिकल-19 में तम्बाकू उद्योग को क़ानूनी रूप से ज़िम्मेदार ठहराने और हर्जाना वसूलने का प्रावधान तो है पर इसको लागू नहीं किया गया है क्योंकि तम्बाकू उद्योग का जन स्वास्थ्य नीति में हस्तक्षेप इस प्रक्रिया को कुंठित करता आया है। इसीलिए इस बैठक से अपेक्षा है कि आर्टिकल-19 को क्रियान्वित करने की दिशा में कार्य होगा।

कॉर्पोरेट एकाउंटेबिलिटी के अभियान निदेशक डैनियल डोराडो ने कहा कि “यदि कोई हमारे स्वास्थ्य या सुरक्षा को क्षति पहुंचाएगा तो उसे समाज जवाबदेह ठहरायेगा। इसीलिए तम्बाकू उद्योग को ज़िम्मेदार ठहराना ज़रूरी है क्योंकि दुनिया में साल-दर-साल मानव जीवन, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को तम्बाकू नुक़सान पहुंचाता आया है। न केवल तम्बाकू उद्योग को जवाबदेह ठहराना ज़रूरी है बल्कि उसको भविष्य में क्षति पहुंचाने से रोकना भी उतना ज़रूरी है।

तम्बाकू से अनेक ट्रिलियन डॉलर का हर साल नुक़सान

हर साल, तम्बाकू के कारण स्वास्थ्य पर, अमरीकी डॉलर 422 अरब का आर्थिक व्यय होता है और वैश्विक अर्थ व्यवस्था को अमरीकी डॉलर 1.85 ट्रिलियन का नुक़सान होता है। यह भी समझना होगा कि तंबाकू के कारण जो स्वास्थ्य, समाज और पर्यावरण को क्षति पहुंचती है, उसका पूरी तरह आंकलन करना सरल नहीं है-

जैसे कि सिर्फ़ चीन में ही तम्बाकू उत्पाद के कचरे को साफ़ करने में अमरीकी डॉलर 2.6 अरब का व्यय होता है। सिगरेट पीने के बाद जो हिस्सा फेंक दिया जाता है वह हमारे समुद्र में सबसे बड़ा मानव-जनित कचरा है– जो तम्बाकू से होने वाले क्षतियों में अक्सर जोड़ा नहीं जाता है।

फ़िलीपींस की अधिवक्ता आइरीन रयीस ने कहा कि “तम्बाकू उद्योग इसलिये मुनाफ़े का व्यापार है क्योंकि उससे होने वाले नुक़सान की असली भरपायी उद्योग नहीं करता बल्कि इसकी असली क़ीमत तो समाज चुकाता है।

एक ओर है तम्बाकू उद्योग जो हर साल अमरीकी डॉलर 1 ट्रिलियन का मुनाफ़ा कमाता है और दूसरी ओर हैं उसके तम्बाकू उत्पाद के सेवन करने वाले लोग जो अपने स्वास्थ्य, जीवन, ज़मीन और कर दे के तम्बाकू महामारी की असली क़ीमत अदा कर रहे हैं (जो मुनाफ़े से अनेक गुना अधिक है)।

तम्बाकू उद्योग भले ही अमीर देशों के हों परंतु यह अधिकांश पैसा तो विकासशील देशों से ही कमाते हैं। देर से ही सही अब यह ज़रूरी है कि सरकारें तम्बाकू उद्योग को ज़िम्मेदार ठहराए और समाज के ऊपर जो तम्बाकू उद्योग का कर्जा है उसकी वसूली हो।

20 साल से एफसीटीसी आर्टिकल-19 लागू क्यों नहीं?

वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की बैठक में 5 देश यह मांग कर रहे हैं कि संधि के आर्टिकल-19 को सशक्त किया जाये जिसे इसे प्रभावकारी ढंग से दुनिया में लागू किया जा सके और तंबाकू उद्योग को जवाबदेह ठहराया जा सके।

अनेक देश, जैसे कि ब्राज़ील, आयरलैंड और कनाडा ने तम्बाकू उद्योग के ख़िलाफ़ स्वास्थ्य-संबंधी मुकदमें दर्ज करे हुए हैं। अमरीका के बाल्टीमोर शहर ने भी तम्बाकू उद्योग के ख़िलाफ़ क़ानूनी लड़ाई लड़ी और उसको सिगरेट पीने के बाद बचे हुए कचरे के लिये ज़िम्मेदार ठहराया और हर्जाना वसूला।

पनामा देश के स्वास्थ्य उप-मंत्री डॉ इवेट बेरीरियो आक़ुई ने सभी सरकारों से विनती की कि वह आर्टिकल-19 के समर्थन में अपना मत दें जिससे कि सभी सरकारें मिलकर तम्बाकू उद्योग को जवाबदेह ठहरा सकें।

यदि सरकारों ने आर्टिकल-19 को सशक्त कर के तम्बाकू उद्योग को जवाबदेह ठहराने और हर्जाना वसूलने का निर्णय लिया तो यह उन्हें बल देगा कि अन्य उद्योग (जो इंसान और पर्यावरण को नुक़सान पहुंचा रहे हैं) उनको भी जवाबदेह ठहराया जा सके। जलवायु परिवर्तन संधि हो या प्लास्टिक प्रदूषण संधि– सभी को लागू करने के लिए ऐसी नीतियां रीढ़ की हड्डी के माफ़िक़ हितकारी रहेंगी।

नाइजीरिया में कॉर्पोरेट एकाउंटेबिलिटी एंड पब्लिक पार्टिसिपेशन के निदेशक अकिनबोड ऑलुवेमी ने कहा कि तम्बाकू उद्योग और अन्य उद्योग जो मानव और पर्यावरण को नुक़सान पहुंचा रहे हैं, वह अपने उत्पाद बेच कर मुनाफ़ा कमा रहे हैं परंतु समाज को उनको व्यापार के कारण हुई क्षति की भरपाई करनी पड़ रही है। आख़िर कब तक यह उद्योग जवाबदेही से बचते रहेंगे?

ब्राज़ील के अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के थिएगो लिंडोल्फ़ो चवेस और विनिस्कस दे अज़ेवादो फाँसेका ने बताया कि 2019 में, ब्राज़ील ने सबसे बड़े तम्बाकू उद्योग और उनकी विदेशी सहयोगी कंपनियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा किया और तंबाकू-जनित 26 जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे लोगों को हर्जाना देने, भविष्य में तम्बाकू जनित बीमारियों के इलाज पर होने वाले व्यय और जन स्वास्थ्य को हुए नुक़सान की भरपाई करने की मांग शामिल थी।

अभी तक न्यायालय के आदेश सरकार के पक्ष में रहे हैं हालांकि अभी लड़ाई लंबी है– जिसका एक कारण यह है कि पिछले 4 सालों में, तंबाकू उद्योग ने 25,000 से अधिक पृष्ठ के दस्तावेज़ दाखिल किए हैं।

एक्शन ऑन स्मोकिंग एंड हेल्थ की अधिवक्ता केल्सी रोमियो-स्तूपी ने कहा कि जो क़ानून हमारे लिए है वही क़ानून तंबाकू उद्योग के मालिक और अन्य शेयरधारकों पर भी लागू होता है। तो फिर यह उद्योग इतनी बड़े स्तर पर असामयिक मृत्यु और जानलेवा रोग का कारक बन कर और पर्यावरण को नुक़सान पहुंचाने के बाद कैसे साफ़ बच जा रहे हैं?

(बॉबी रमाकांत की रिपोर्ट।)

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