अग्नि आलोक
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गुरु प्यारा

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न देखा मैं सृजनहारा
न देखा मैं पालनहारा
मैं देखा अपना गुरु बलिहारा
जिन भव पार
मुझ उतारा।

न देखा मैं राम प्यारा
न देखा मैं कृष्ण न्यारा
मैं देखा अपना गुरु प्यार
जिन दर्श दिखाया
प्रभ तेरा हर रूप न्यारा।

न देखी मैं काली मैया
न देखी मैं दुर्गा मैया
मैं देखा अपना गुरु प्यारा
जिन दिखाई भगवती
हर लीला न्यारी ।

डॉ.राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
9876777233
7009313259
rajivdogra1@gmail.com

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